भारत में अब किसान सब्जियों की खेती की ओर आकर्षित हो रहे है, क्योंकि ये कम समय में तैयार होने के साथ ही जल्दी और ज्यादा मुनाफा देती हैं. लेकिन ज्यादातर किसानों के सामने पैदावार कम होने और सब्जियों का सही विकास न होने की समस्या आती है, जो फसल में माइक्रो न्यूट्रिएंट्स (सूक्ष्म पोषक तत्वों) की कमी के कारण हाेती है. ऐसी सब्जियों से किसान को तो नुकसान होता है ही साथ ही इसे खाने वाले लोगोंं को भी जरूरी पोषण नहीं मिल पाता. इस समस्या को समझते हुए आईसीएआर-भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी (ICAR-IIVR) ने समाधान खोज लिया है.
ICAR-भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी ने सब्जियों की फसलों में सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी को दूर करने, फसल उत्पादकता बढ़ाने और गुणवत्ता में सुधार के लिए दो असूक्ष्म पोषक तत्व फॉर्मूलेशन बनाए हैं. कद्दूवर्गीय फसलों के लिए ‘काशी सूक्ष्म शक्ति’ और फलीदार सब्जियों के लिए ‘काशी सूक्ष्म शक्ति प्लस’ बनाया गया है. ‘काशी सूक्ष्म शक्ति’ एक पाउडर के रूप में उपलब्ध है. यह कद्दूवर्गीय फसलों जैसे’ करेला, परवल और लौकी की फसल की उत्पादकता बढ़ाने, उनमें जरूरी सूक्ष्म पोषक तत्वों की मात्रा में सुधार करने का काम करता है.
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वहीं, ‘काशी सूक्ष्म शक्ति प्लस’ लिक्विड के रूप में आता है. यह लिक्विड फलीदार सब्जियों के लिए बनाया गया, जो उन्हें जरूरी सूक्ष्म पोषक तत्व देने के साथ, पौधों की वृद्धि को बढ़ावा देता है और वर्मीवाश का काम करता है. दोनों फॉर्मुलेशन ‘काशी सूक्ष्म शक्ति’ और ‘काशी सूक्ष्म शक्ति प्लस’ का ICAR-IIVR में कठोरता से परखकर मूल्यांकन किया गया है. फिर इनके असर को देखने के लिए खेतों में परीक्षण किया गया.
उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर के कैलहट के रहने वाले किसान नागेश कुमार सिंह के खेत में सब्जियों की फसल करेला, लौकी और लौकी पर 2024 में ‘काशी सूक्ष्म शक्ति’ फॉर्मुलेशन पाउडर का प्रयोग किया गया, जिसके नतीजे बेहद शानदार आए. नागेश कुमार सिंह ने करेला, लौकी और लौकी की खेती क्रमश: 10, 5 और 15 बिस्वा जमीन पर की. जिसमें फॉर्मूलेशन के इस्तेमाल से फसल की अवधि 15 से 20 दिन तक बढ़ गई.
वहीं इन फसलों से 3 से 4 अतिरिक्त कटाई की गई. साथ ही पिछले सीजन के मुकाबले 25 से 30 प्रतिशत ज्यादा उत्पादन हासिल हुआ. वहीं, इस पाउडर के इस्तेमाल से सब्जियां देखने में भी और ज्यादा बढ़िया मिलीं. नागेश कुमार को करेला से 29,000 रुपये, परवल से 17,500 रुपये और लौकी से 45,000 रुपये का शुद्ध मुनाफा हासिल हुआ.
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