मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से एक बड़ा सवाल उठा है कि क्या सरकार अब किसानों को उनके खाते में डायरेक्ट खाद की सब्सिडी देगी? क्या ये सब्सिडी वैसी ही होगी जैसे सरकार पीएम किसान स्कीम में किसानों के खाते में पैसे देती है? ये सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि ऐसा सुनने में आ रहा है कि सरकार खाद सब्सिडी को कृषि मंत्रालय के तहत ला सकती है. यानी खाद सब्सिडी का पैसा कृषि मंत्रालय के बजट में शामिल किया जा सकता है.
अभी तक ऐसा नियम नहीं है क्योंकि सरकार खाद सब्सिडी का पैसा किसानों को नहीं देकर खाद कंपनियों के लिए बजट आवंटित करती है. उसके बाद कंपनियों की खाद बिक्री देखी जाती है और उसके आधार पर कंपनियों को सब्सिडी का पैसा दिया जाता है. हालांकि सब्सिडी के तौर पर लाखों करोड़ों रुपये देने के बावजूद ऐसा माना जाता है कि यह किसान हितैषी पॉलिसी नहीं है क्योंकि यह पैसा किसानों को नहीं मिलकर कंपनियों को मिलता है.
'बिजनेसलाइन' की एक रिपोर्ट में लिखा गया है, अगर सरकार कंपनियों को दी जाने वाली पॉलिसी को बदलती है और किसानों को सब्सिडी देना चाहती है, तो इसके लिए बड़े बदलाव की जरूरत होगी. सबसे बड़ी चुनौती पेमेंट के मॉडल को लेकर है. अभी तक खाद सब्सिडी के लिए किसी तरह का डीबीटी सिस्टम नहीं है. इस तरह का सिस्टम पीएम किसान के लिए है जिसमें स्कीम का पैसा सीधा किसानों के खाते में दिया जाता है.
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एक सूत्र ने बताया, खाद सब्सिडी किसानों के लिए बनाई गई स्कीम है. अगर इसे कृषि मंत्रालय के अंतर्गत लाया जाता है तो इससे पता चलेगा कि सरकार कृषि क्षेत्र के लिए कितने रुपये खर्च करती है. इस पैसे को कृषि मंत्रालय के अंतर्गत लाने के लिए अलग-अलग स्तरों पर बात हुई है. अगर कोई फैसला लिया जाता है तो अगली सरकार के पहले 100 दिन में नई योजना सामने आ सकती है. सूत्र ने यह बताया कि सरकार इस सब्सिडी को या तो डीबीटी के अंतर्गत लाएगी या किसानों के लिए कूपन जारी करेगी.
सूत्र ने बताया कि सब्सिडी का मॉडल जैसा भी हो, लेकिन किसानों पर इसका किसी तरह का बोझ नहीं पड़ेगा और किसानों को खाद का सीधा पैसा मिलेगा. अगर डीबीटी के जरिये किसानों को पैसा दिया जाता है तो यह राशि उनके बैंक खाते में खेती के सीजन से पहले दी जाएगी ताकि जरूरी खादों को खरीद हो सके. इससे सीजन के बीच खाद की किल्लत से निपटा जा सकेगा क्योंकि सीजन में अक्सर खाद की मांग बढ़ जाती है जिससे अफरा-तफरी का माहौल हो जाता है.
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इस दिशा में कूपन के विकल्प को ज्यादा अच्छा बताया जा रहा है. इस सिस्टम में किसान को उसके खेत और उसकी फसल के आधार पर कूपन दिया जाएगा. यह कूपन उस खाद के अनुसार होगा जिसकी किसान खरीदारी करना चाहता है. किसान इस कूपन को खाद दुकानदार के पास ले जाएगा. उस कूपन के आधार पर दुकानदार सरकार से पैसे लेगा और उसके बदले किसान को खाद दे देगा. इस एक कूपन के आधार पर ही किसान जैविक खाद या जैविक कीटनाशक भी खरीद सकेगा. सरकार इस तरह के खाद और कीटनाशकों को खेती में बढ़ावा दे रही है.
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