केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने देश की आलू उत्पादकता बढ़ाने के लिए केंद्रीय बीज समिति की सिफारिशों के आधार पर पूरे भारत में क्वालिटी बीज के रूप में कृषि उपयोग के लिए 4 नई आलू किस्मों को मंजूरी दी है. एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि ICAR के केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान (CPRI) द्वारा विकसित आलू की इन चार नई किस्मों - कुफरी रतन, कुफरी चिपभारत-1, कुफरी चिपभारत-2 और कुफरी तेजस - को देश भर में बीज उत्पादन और प्रवर्धन के लिए मंजूरी दे दी गई है.
1. कुफरी रतन, मध्यम परिपक्वता वाली किस्म है जो 90 दिन में तैयार हो जाती है. उच्च उपज वाली ये किस्म 37-39 टन प्रति हेक्टेयर पैदावार देती है. ये लाल छिलके वाली आलू की किस्म है. यह उत्तर भारतीय मैदानों और पठारी क्षेत्रों जैसे हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान के मैदानों के लिए उपयुक्त है. इसके कंद आकर्षक, गहरे लाल, अंडाकार, उथली मध्यम आंखों वाले और पीले गूदे वाले होते हैं और इसकी भंडारण क्षमता बढ़िया होती है.
2. कुफरी तेजस एक गर्मी झेलने वाली, मध्यम परिपक्वता यानी 90 दिन में तैयार होने वाली किस्म है. इसकी उपज भी 37-40 टन प्रति हेक्टेयर है. इसे हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड जैसे भारतीय मैदानी इलाकों के लिए शुरुआती मौसम के लिए और मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र के लिए मुख्य मौसम के लिए मोडिफाई किया गया है. यह किस्म सफेद क्रीम, अंडाकार कंद, उथली आंखे, सफेद गूदा पैदा करती है. परिवेशी भंडारण स्थितियों में इसकी भंडारण क्षमता बहुत अच्छी है.
3. कुफरी चिपभारत-1 एक मध्यम परिपक्वता (100 दिन), उच्च उपज (35-38 टन/हेक्टेयर) चिप प्रोसेसिंग किस्म है. मुख्य मौसम में इसे हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, कर्नाटक, तेलंगाना और तमिलनाडु जैसे भारतीय मैदानी इलाकों के लिए अनुशंसित किया जाता है. इस किस्म में सफेद क्रीम, गोल कंद, उथली आंखें, सफेद गूदा, उच्च शुष्क पदार्थ (21 प्रतिशत) होता है. साथ ही इसकी परिवेशी भंडारण स्थितियों में स्टोरेज क्षमता बहुत अच्छी होती है. इसमें शर्करा की मात्रा भी कम होती है.
4. कुफरी चिपभारत-2 एक जल्दी पकने वाली (90 दिन), उच्च उपज (35-37 टन/हेक्टेयर) चिप प्रोसेसिंग आलू किस्म है. इसे मुख्य मौसम में हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, कर्नाटक, तेलंगाना और तमिलनाडु जैसे भारतीय मैदानी क्षेत्रों के लिए तैयार किया गया है. आलू की यह किस्म सफेद क्रीम, अंडाकार कंद, उथली-मध्यम आंखें, क्रीम गूदा, उच्च शुष्क पदार्थ (21 प्रतिशत) उत्पन्न करती है. परिवेशी भंडारण स्थितियों में इसकी भी स्टोरेज क्षमता बहुत अच्छी है. इस किस्म में कम शर्करा क्षमता है और यह आलू बीज उत्पादकों और प्रसंस्करणकर्ताओं को लाइसेंस के माध्यम से उपलब्ध होगी.
आईसीएआर-सीपीआरआई के निदेशक ब्रजेश सिंह ने वैज्ञानिकों की टीम को कृषक समुदाय और आलू आधारित उद्योगों में उनके समर्पित और निरंतर योगदान के लिए बधाई दी. उन्होंने कहा कि चार नई किस्मों की अधिसूचना भारत के आलू क्षेत्र को मज़बूत करने में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है. सीपीआरआई ने एक बयान में सिंह के हवाले से कहा, "यह न केवल एक वैज्ञानिक उपलब्धि है, बल्कि वैज्ञानिकों, किसानों और उद्योगों के लिए भी उत्सव का क्षण है." सिंह ने आगे जोर देकर कहा कि इन किस्मों के जारी होने से आलू की उत्पादकता बढ़ाने, प्रसंस्करण दक्षता में सुधार लाने और किसानों को बेहतर लाभ सुनिश्चित करने के नए रास्ते खुलेंगे, साथ ही आलू आधारित खाद्य उद्योग के विकास को भी बढ़ावा मिलेगा.
(सोर्स- PTI)
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