खरीफ सीजन में खरपतवार रोकने पर किसानों का खर्च बढ़ा, हर्बीसाइड प्रोडक्ट की मांग और बिक्री में इजाफा 

खरीफ सीजन में खरपतवार रोकने पर किसानों का खर्च बढ़ा, हर्बीसाइड प्रोडक्ट की मांग और बिक्री में इजाफा 

खेती में इस्तेमाल किए जाने वाले रसायन बनाने वाली कंपनियों ने इस खरीफ सीजन में खरपतवारनाशकों यानी हर्बीसाइड की बिक्री में इजाफा दर्ज किया है. हालांकि, कीटनाशकों और कवकनाशकों जैसी अन्य श्रेणियों में बिक्री कम रही है. इसके नतीजे में किसानों को इन प्रोडक्ट की खरीद करने में ज्यादा जेब ढीली करनी पड़ी है.

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खरीफ सीजन में खरपतवार रोकने पर किसानों का खर्च बढ़ा, हर्बीसाइड प्रोडक्ट की मांग और बिक्री में इजाफा खरीफ सीजन में हर्बीसाइड प्रोडक्ट की बिक्री में बड़ा उछाल देखा गया है.

अच्छी बारिश के चलते इस बार खेतों में खरपतवार ने किसानों की मुश्किलें बढ़ाई हैं. इसके चलते खरीफ सीजन के सबसे जरूरी महीनों जुलाई से सितंबर तक हर्बीसाइड प्रोडक्ट की बिक्री में बड़ा उछाल देखा गया है. इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि तिमाही के दौरान इन प्रोडक्ट को बनाने वाली कंपनियों की कमाई में जबरदस्त ग्रोथ दर्ज की गई है, जैसे धनुका का मुनाफा 117 करोड़ रुपये बढ़ गया है. इंडस्ट्री के लिए तो यह फायदेमंद रहा है, लेकिन किसानों की खरपतवार निपटान लागत में इजाफा हो गया. हालांकि, मैनुअल तरीके से निपटान की तुलना में लागत कम बताई जा रही है. 

खेती में इस्तेमाल किए जाने वाले रसायन बनाने वाली कंपनियों ने इस खरीफ सीजन में खरपतवारनाशकों यानी हर्बीसाइड (Herbicide) की बिक्री में इजाफा दर्ज किया है. हालांकि, कीटनाशकों (Insecticides) और कवकनाशकों (fungicides) जैसी अन्य श्रेणियों में बिक्री कम रही है. बिजनेसलाइन की रिपोर्ट के अनुसार यूपीएल एसएएस के सीईओ आशीष डोभाल ने कहा कि अधिक बारिश का मतलब खरपतवारनाशक प्रोडक्ट की बिक्री के लिए अच्छा है. 

मजदूरी लागत बढ़ने से प्रोडक्ट का इस्तेमाल बढ़ा 

आशीष डोभाल ने कहा कि अगस्त-सितंबर के दौरान लगातार बारिश के चलते खरपतवारनाशकों की खूब मांग रही है. उन्होंने कहा कि इस दौरान कवकनाशकों और कीटनाशकों की बिक्री प्रभावित हुई. देश में खरपतवारनाशकों की कैटेगरी अन्य कृषि रसायनों की तुलना में तेजी से बढ़ रही है. डोभाल ने कहा कि मजदूरों की कमी और बढ़ती मजदूरी लागत के चलते जो किसान कभी खरपतवारनाशकों का इस्तेमाल नहीं करते थे, इस बार उन्होंने भी इनका इस्तेमाल किया है. 

इन प्रोडक्ट का खूब हो रहा इस्तेमाल 

देशभर के किसानों को सीधे कृषि इनपुट बेचने वाली एग्रीटेक फर्म बिगहाट ने इस खरीफ फसल सीजन में अत्यधिक बारिश के चलते खरपतवारनाशक प्रोडक्ट की मांग में उछाल दर्ज किया है. बिगहाट में कृषि विज्ञान प्रमुख श्रीकांत वेमुला ने कहा कि हाल ही में हुई बारिश ने खरपतवार प्रबंधन में चुनौतियों को जन्म दिया है, जिससे खरपतवारनाशक सॉल्यूशन की जरूरत बढ़ा दी है. मजदूरी लागत बचाने के चलते किसान एट्राजीन, पैराक्वाट, ग्लाइफोसेट और ग्लूफोसिनेट अमोनियम 13.5 जैसे खरपतवारनाशक प्रोडक्ट का इस्तेमाल कर रहे हैं. यह प्रोडक्ट फसल बुवाई से पहले और बाद में होने वाले खरपतवार को खत्म करने में कारगर हैं. 

एग्री केमिकल इंडस्ट्री में खरपतवारनाशक की 40 फीसदी हिस्सेदारी 

गोदरेज एग्रोवेट लिमिटेड के सीईओ क्रॉप प्रोटेक्शन बिजनेस राजावेलु एनके ने कहा कि भारत में खरपतवारनाशक बाजार में घरेलू और वैश्विक मांग को देखते हुए तेजी से बढ़ रहा है. 2024 से 2028 तक 3.82 फीसदी CAGR की अनुमानित बढ़त के साथ खरपतवारनाशक भारत के एग्री केमिकल सेक्टर के भीतर बड़ा हिस्सा बन रहे हैं. वर्तमान में भारत के एग्री केमिकल इंडस्ट्री के भीतर खरपतवारनाशक पहले से ही 40 फीसदी बाजार हिस्सेदारी रखते हैं. क्रिस्टल क्रॉप प्रोटेक्शन लिमिटेड के सीईओ अंकुर अग्रवाल ने कहा कि उनकी कंपनी ने खरीफ फसल के मौसम के दौरान खरपतवारनाशक की बिक्री में भी बढ़ोत्तरी देखी है. उन्होंने कहा कि इस साल कीटनाशकों की तुलना में खरपतवारनाशक की बिक्री बेहतर रही. 

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