अभी का मौसम कई फसलों के लिए बहुत ही खतरनाक है. थोड़ा भी तापमान बढ़ जाए तो फसल की उपज घटने या मारे जाने की आशंका है. गेहूं के साथ भी यही बात है. अगर तापमान बढ़ जाए तो गेहूं का दाना छोटा पड़ सकता है. इससे पैदावार घट सकती है. इसके अलावा सब्जियों और सरसों पर भी मौसम का प्रतिकूल असर हो सकता है. इससे बचने के लिए किसानों को मौसम के हरेक छोटे-बड़े बदलाव पर ध्यान देना चाहिए. इसमें भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद यानी कि ICAR की ओर से जारी मौसम सलाह बड़ी मददगार साबित हो सकती है. इस सलाह में मौसम से जुड़ी जानकारी के अलावा फसलों पर लगने वाली अलग-अलग बीमारियों और उसके उपचार के बारे में बताया जाता है.
आईसीएआर के वेदर एडवाइजरी के मुताबिक, 15 फरवरी से लेकर 19 फरवरी तक कहीं भी बारिश होने की संभावना नहीं है. 15 फरवरी को अधिकतम तापमान 27 डिग्री, 16 फरवरी को भी 27 डिग्री, 17 को भी 27 डिग्री, 18 को 28 डिग्री और 19 को 29 डिग्री जा सकता है. 15 फरवरी से लेकर 19 फरवरी तक न्यूनतम तापमान 9 डिग्री से लेकर 12 डिग्री तक जा सकता है. इस दौरान कहीं भी बादल छाए रहने की कोई संभावना नहीं है.
ये भी पढ़ें: GIS: NCR में निवेशकों की पहली पंसद बना गौतमबुद्ध नगर जिला, टॉप 20 में आगरा भी शामिल
मौसम सलाह में कहा गया है कि तापमान में बढ़ोतरी की वजह से किसानों को सब्जियों और सरसों की फसल पर विशेष ध्यान रखने की जरूरत है. इन फसलों पर माहू यानी कि लाही का प्रकोप बढ़ जाता है. लाही या माहू को अंग्रेजी में एफिड कहा जाता है. इससे बचने के लिए या उपचार के लिए सब्जियों पर 0.25 से 0.5 एमएल इमिडाक्लोपरीड एक लीटर पानी में मिलाकर छिड़कना चाहिए. छिड़काव करने के एक हफ्ते बाद ही सब्जियां तोड़नी चाहिए. माहू या लाही का खतरा सरसों पर भी देखा जाता है. इससे बचाव के लिए भी इमिडाक्लोपरीड का छिड़काव किया जा सकता है.
वर्तमान मौसम में फ्रेंच बीन, ग्वार बीन, गर्मी में बोई जाने वाली मूली की बुआई की सलाह दी जाती है क्योंकि अभी का तापमान बीजों के अंकुरण के लिए उपयुक्त है. बीजों की खरीद प्रमाणित दुकानों से की जानी चाहिए.
वर्तमान मौसम की स्थिति में किसानों को मार्च के पहले सप्ताह के दौरान बुआई के लिए प्रमाणित स्रोत से मूंग और उड़द के लिए क्वालिटी वाले बीज खरीदने की सलाह दी जाती है. किस्मों के बारे में नीचे जानकारी दी गई है.
हरा चना - पूसा विशाल, पूसा वैशाखी, PDM-11, SML-32
काला चना - पंत उड़द 19, पंत उड़द 30, पंत उड़द 35, PDU-1।
किसानों को फसल के राइजोबियम कल्चर के साथ-साथ फास्फोरस घुलनशील बैक्टीरिया के साथ बीज उपचार की भी सलाह दी जाती है. मौसम को ध्यान में रखते हुए समय से बोई गई प्याज की फसल में थ्रिप्स के आक्रमण और पर्पल ब्लॉच के संक्रमण की लगातार निगरानी करनी चाहिए. थ्रिप्स के लिए कॉन्फिडोर @ 0.5 मिली प्रति 3 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए. इसके साथ टिपोल 1.0 ग्राम/लीटर मिलाकर फसलों पर छिड़काव की सलाह दी जाती है. परपल ब्लॉच के लिए डाइथेन-एम -45 @ 3 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव किया जाता है.
मौसम को ध्यान में रखते हुए फल छेदक कीट के नियंत्रण के लिए टमाटर की फसल में पक्षियों के बसेरे लगाने की सलाह दी जाती है. क्षतिग्रस्त फलों को हाथ से उठाकर मिट्टी में दबा देने की सलाह दी जाती है. टमाटर में फल छेदक की निगरानी के लिए फेरोमोन ट्रैप @ 2-3 ट्रैप प्रति एकड़ फसल के खेत में लगाने की सलाह दी जाती है.
ये भी पढ़ें: यूपी में 48 घंटों तक जारी रहेगा तेज हवाओं का दौर, वैज्ञानिकों ने दी ये सलाह
बैंगन की फसल में प्ररोह और फल छेदक कीट के नियंत्रण के लिए प्रभावित फलों और टहनियों को एकत्रित कर जमीन में दबा देने की सलाह दी जाती है. यदि कीटों की संख्या अधिक है तो एक लीटर स्पिनोसेड 48 ईसी चार लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए. मौसम को ध्यान में रखते हुए गेंदे की फसल में पुष्प सड़न रोग की लगातार निगरानी जरूरी है. लक्षण दिखने पर बाविस्टिन 1 ग्राम\लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today