पंजाब में बदलते मौसम के बीच रबी फसलों का खास ध्यान रखें किसान, इन खाद-स्प्रे का छिड़काव जरूरी

पंजाब में बदलते मौसम के बीच रबी फसलों का खास ध्यान रखें किसान, इन खाद-स्प्रे का छिड़काव जरूरी

देर से बोई गई गेहूं की फसल में नाइट्रोजन की दूसरी खुराक पहली सिंचाई के साथ डालें. जिंक की कमी होने पर 25 किलोग्राम जिंक सल्फेट (21% जिंक) को सूखी मिट्टी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़कें या 0.5% जिंक सल्फेट (21% जिंक) का 2-3 बार छिड़काव करें. छिड़काव के लिए 1 किलोग्राम जिंक सल्फेट और 1/2 किलोग्राम बिना बुझा चूना 200 लीटर पानी में घोलें. छिड़काव के लिए 15 दिन का अंतराल लें.

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पंजाब में बदलते मौसम के बीच रबी फसलों का खास ध्यान रखें किसान, इन खाद-स्प्रे का छिड़काव जरूरीगेहूं की फसल

पंजाब में अभी मौसम शुष्क है. एक दो दिन पहले कहीं-कहीं बूंदाबांदी के आसार जताए गए थे. लेकिन अब मौसम विभाग (IMD) ने शुष्क मौसम का पूर्वानुमान दिया है. आईएमडी ने किसानों से कहा है कि मौजूदा मौसम को देखते हुए फसलों का ध्यान रखें. अभी रबी फसलों की बुवाई का समय चल रहा है. ऐसे में मौसम का खास ध्यान रखना जरूरी है. इसी के साथ बारिश और गरज-चमक की संभावना को देखते हुए नए लगाए गए फलों के पौधों को कवर करने की सलाह दी गई है. आईएमडी ने फसलों के मुताबिक खादों के इस्तेमाल की भी सलाह दी है. आइए जानते हैं क्या है ये सलाह.

गेहूं

देर से बोई गई गेहूं की फसल में नाइट्रोजन की दूसरी खुराक पहली सिंचाई के साथ डालें. जिंक की कमी होने पर 25 किलोग्राम जिंक सल्फेट (21% जिंक) को सूखी मिट्टी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़कें या 0.5% जिंक सल्फेट (21% जिंक) का 2-3 बार छिड़काव करें. छिड़काव के लिए 1 किलोग्राम जिंक सल्फेट और 1/2 किलोग्राम बिना बुझा चूना 200 लीटर पानी में घोलें. छिड़काव के लिए 15 दिन का अंतराल लें.

मैंगनीज की कमी होने पर, पहली सिंचाई से 2-3 दिन पहले एक छिड़काव करें औ साप्ताहिक अंतराल पर 0.5% मैंगनीज सल्फेट घोल (1 किलोग्राम मैंगनीज सल्फेट 200 लीटर पानी में मिलाकर) प्रति एकड़ दो से तीन छिड़काव करें. सल्फर की कमी होने पर, एक क्विंटल जिप्सम/एकड़ छिड़कें और हल्की सिंचाई करें या यदि मिट्टी में उचित नमी हो तो इसे गुड़ाई करके मिला दें.

वसंतकालीन गन्ना

  • जल्दी पकने वाली किस्मों जैसे CoPb 95, CoPb 96, Co 15023, CoPb 92, CoJ64, CoJ85 और Co 118 की पेराई/कटाई शुरू करें.
  • गन्ने के टॉप बोरर कीट के प्रबंधन के लिए, यदि क्षति 5% से अधिक हो तो टहनियों के आधार पर फेरटेरा 0.4 जीआर के 10 किलोग्राम दाने या फ्यूराडान/डायफुरान/फ्यूराकार्ब/कार्बोसिल/फ्यूरी
  • एनकैप्सुलेटेड 3जी (कार्बोफ्यूरान) का 12 किलोग्राम घोल डालें.
  • फसल की मासिक अंतराल पर सिंचाई करें.

सरसों

  • फसल को पाले से होने वाले नुकसान से बचाने के लिए सिंचाई करें.
  • सफेद रतुआ को नियंत्रित करने के लिए, फसल की उम्र 60 और 80 दिन होने पर प्रति एकड़ 100 लीटर पानी में 250 ग्राम रिडोमिल गोल्ड का छिड़काव करें.
  • स्क्लेरोटिनिया स्टेम रॉट को नियंत्रित करने के सरसों/राई की सिंचाई से बचें.

आलू

  • इन दिनों में आलू की फसल का नियमित सर्वेक्षण करें और वायरस से प्रभावित आलू के पौधों को बीज की फसल से अलग करें.
  • आलू की फसल को पिछेती झुलसा रोग से बचाने के लिए इंडोफिल एम-45/मास एम-45/मार्कजेब/एंट्राकोल/कवच 500-700 ग्राम या कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 50 डब्ल्यूपी/मार्क कॉपर 750-1000 ग्राम/एकड़ 250-350 लीटर पानी में मिलाकर 7 दिनों के अंतराल पर छिड़काव करें.

सब्जी फसलें

सब्जी की फसलों जैसे फूलगोभी, पालक, मेथी, धनिया, मूली, शलजम, मटर, टमाटर, बैंगन, मिर्च और शिमला मिर्च पर मल्चिंग की जा सकती है. इससे सतह से होने वाली गर्मी की हानि भी कम होती है. इन दिनों में आलू की फसल का नियमित सर्वेक्षण करें और बीज की फसल से वायरस प्रभावित आलू के पौधों को अलग करें. 

नींबू वर्गीय फसलों में कैंकर के प्रबंधन के लिए स्ट्रेप्टोसाइक्लिन 50 ग्राम + 25 ग्राम कॉपर सल्फेट को 500 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ या बोर्डो मिश्रण (2:2:250) का इस महीने में छिड़काव करें.

बेर में पाउडरी फफूंद का प्रबंधन वेटेबल सल्फर @ 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी के छिड़काव से किया जा सकता है और बेर में ब्लैक स्पॉट रोग का प्रबंधन बोर्डो मिश्रण (2:2:250) के छिड़काव से किया जा सकता है. आम के मीली बग के प्रबंधन के लिए पेड़ के तने के चारों ओर एल्काथेन शीट लगाई जा सकती है.

 

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