केंद्र सरकार के चीनी निर्यात खोलने और इथेनॉल कीमतों में बढ़ोत्तरी के हालिया फैसलों से गन्ना भुगतान तेज हुआ है. चीनी मिलों की ओर से गन्ना किसानों के बकाया का भुगतान करने में तेजी देखी गई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि 6 फरवरी 2025 तक देशभर के गन्ना किसानों का 75 फीसदी बकाया चुका दिया गया है. चीनी मिलों पर बकाया किसानों की राशि उनके खातों में भेजी गई है. इससे देश के 5.5 करोड़ किसानों और उनके परिवारों को सीधे लाभ हुआ है.
निजी चीनी मिलों के उद्योग निकाय ISMA ने कहा है कि सरकार की चीनी निर्यात नीति ने गन्ना भुगतान को बढ़ावा दिया और बाजार को स्थिर किया है. भारतीय चीनी एवं जैव-ऊर्जा निर्माता संघ (Indian Sugar & Bio Energy Manufacturers Association (ISMA)) ने कहा कि सरकार की ओर से 20 जनवरी 2025 को 2024-25 सीजन के लिए 10 लाख टन चीनी के निर्यात को मंजूरी देने के निर्णय ने चीनी उद्योग को बहुत जरूरी बढ़ावा दिया है. सरकार के इस हस्तक्षेप से अतिरिक्त चीनी स्टॉक और घरेलू कीमतों में गिरावट की चिंताओं का समाधान हुआ है, जिससे इस क्षेत्र को काफी राहत मिली है.
निर्यात भत्ते ने चीनी भंडार को संतुलित करने में मदद की है और चीनी मिलों को वित्तीय स्थिरता प्रदान की है, जिससे वे समय पर गन्ना भुगतान करने में सक्षम हुए हैं. इस कदम से 5.5 करोड़ किसानों और उनके परिवारों को सीधे लाभ हुआ है, जिससे उनकी आजीविका की निरंतर सुरक्षा पक्की हुई है. जबकि, केंद्रीय कैबिनेट ने गन्ना के बाय प्रोडक्ट सी हैवी गुड़ से बनने वाले इथेनॉल की कीमत 1.69 रुपये प्रति लीटर बढ़ाकर 57.97 रुपये प्रति लीटर में बढ़ोत्तरी का फैसला लिया है. इससे चीनी मिलों पर वित्तीय कम हुआ है.
सरकार के हालिया फैसलों से चीनी मिलों ने किसानों को भुगतान में तेजी आई है. ISMA के अनुसार 6 फरवरी 2025 तक देश भर में लगभग 75 फीसदी गन्ना बकाया चुकाया जा चुका है. जबकि, निर्यात मंजूरी से पहले यह 68 फीसदी था. ISMA ने बयान में कहा कि प्रमुख चीनी उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में गन्ना भुगतान 77 फीसदी से बढ़कर 84 फीसदी हो गया है. इसी तरह कर्नाटक में गन्ना बकाया भुगतान 55 फीसदी से बढ़कर 66 फीसदी हो गया है.
ISMA ने कहा है कि इस निर्यात निर्णय ने घरेलू बाजार की भावनाओं को भी सकारात्मक रूप से प्रभावित किया है, जिससे चीनी की कीमतें स्थिर हुई हैं. इसके अलावा इस घोषणा ने एक स्वस्थ मांग आपूर्ति संतुलन को बढ़ावा दिया है. नतीजतन चीनी की कीमतों में सुधार हुआ है, जिससे बाजार में बहुत जरूरी स्थिरता आई है. मूल्य स्थिर होने से चीनी मिलों और किसानों दोनों को लाभ होता है, जिससे उनकी उपज के लिए उचित और समय पर रिटर्न मिलना आसान होता है और क्षेत्र की वित्तीय सेहत मजबूत होती है. बाजार की यह सकारात्मक प्रतिक्रिया उद्योग के भीतर निरंतर निवेश और विकास को भी प्रोत्साहित करती है, जिससे लंबे समय के लिए स्थिरता को बढ़ावा मिलता है.
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