पंजाब सरकार ने प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पीएसीएस) को आपूर्ति की गई दो कंपनियों में से एक द्वारा डीएपी को वापस लेने की पेशकश की है, जिनके उर्वरक की गुणवत्ता घटिया पाई गई थी. भारत सरकार द्वारा राज्य को आवंटित उर्वरकों के वितरण के लिए नोडल एजेंसी मार्कफेड ने अपने सभी जिला प्रबंधकों को जारी एक पत्र में कहा है कि यदि वे ऐसा चाहते हैं तो वे किसी विशेष आपूर्तिकर्ता द्वारा निर्मित डीएपी स्टॉक को सहकारी समितियों से वापस ले लें. यह भी प्रस्ताव है कि किसानों द्वारा उपयोग किए गए घटिया उर्वरक के लिए भारत सरकार से मुआवजा मांगा जाए, क्योंकि यह उर्वरक केंद्र द्वारा राज्य को आवंटित किया गया था.
द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, दो आपूर्तिकर्ता, जिनके नमूने डीएपी की अपेक्षित क्षमता के संबंध में गुणवत्ता परीक्षण में विफल रहे थे, पंजाब सरकार द्वारा अनुबंधित नहीं थे. भारत सरकार के उर्वरक विभाग द्वारा मार्च और अप्रैल में पंजाब को आवंटित उर्वरक के 22,000 मीट्रिक टन बैच में से मार्कफेड ने पीएसीएस को 17,000 मीट्रिक टन की आपूर्ति की थी. इनमें से 2,400 मीट्रिक टन डीएपी के नमूने फेल हो गए. मार्कफेड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हमने 1,905 मीट्रिक टन उर्वरक वापस मंगाया है.
ये भी पढ़ें- UP Weather: लखनऊ समेत कई जिलों में भारी बारिश का अलर्ट, पढ़िए मौसम को लेकर IMD का नया अपडेट
आपूर्तिकर्ता ने 670 मीट्रिक टन उर्वरक भी बदल दिया था. शेष 14,600 मीट्रिक टन में से हम पैक्स को इसे वापस भेजने का विकल्प देना चाहते हैं. राज्य सरकार के आदेश के अनुसार, उस डीएपी स्टॉक का 60 प्रतिशत पैक्स को आपूर्ति किया गया था, जबकि 40 प्रतिशत निजी व्यापारियों को आवंटित किया गया था. उर्वरक की गुणवत्ता खराब होने के संदेह पर, मोहाली जिले में शुरू में कुछ नमूने लिए गए, जिससे कृषि विभाग की सबसे बड़ी आशंका की पुष्टि हुई. राज्य भर से लिए गए 40 नमूनों में से 24 गुणवत्ता परीक्षण में विफल रहे.
बता दें कि पिछले महीने ही खबर आई थी कि पंजाब कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने सहकारी समितियों को घटिया डायमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) की आपूर्ति करने वाली दो उर्वरक कंपनियों के लाइसेंस रद्द कर दिए हैं. खास बात यह है कि विभाग ने जिन फर्मों के लाइसेंस रद्द किए हैं, उनका नाम मेसर्स मध्य भारत एग्रो प्रोडक्ट्स लिमिटेड और मेसर्स कृष्णा फॉशम प्राइवेट लिमिटेड है. कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुदियां ने कहा था कि कंपनियों द्वारा मार्कफेड को आपूर्ति किए गए डीएपी स्टॉक से 40 नमूने एकत्र किए गए थे. इनमें से 24 नमूने उर्वरक नियंत्रण आदेश 1985 के अनुसार घटिया गुणवत्ता के पाए गए. दो नमूनों की जांच रिपोर्ट अभी भी आनी बाकी है.
ये भी पढ़ें- Varanasi: भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान में अब पहली बार होगी BSC हॉर्टिकल्चर की पढ़ाई, जानें डिटेल
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today