अगले महीने से पंजाब में रबी सीजन शुरू हो जाएगा. धान की कटाई करने के बाद किसान गेहूं सहित अन्य रबी फसलों की बुवाई शुरू कर देंगे. लेकिन अभी से ही राज्य में डायमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) की कमी का खतरा मंडरा रहा है. ऐसे में किसानों की चिंताएं बढ़ती जा रही हैं. हालांकि, सूत्रों का कहना है कि पंजाब को हर महीने नियमित रूप से डीएपी जारी किया जा रहा है. जुलाई में 25,000 मीट्रिक टन, अगस्त में 51,000 मीट्रिक टन और सितंबर में अब तक 35,000 मीट्रिक टन डीएपी की सप्लाई की गई है. इसके बावजूद भी अधिकारियों को डर है कि रबी सीजन के लिए 5.50 लाख मीट्रिक टन की कुल मांग केंद्र द्वारा पूरी नहीं की जा सकती है.
द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, करीब 70,000 मीट्रिक टन डीएपी का इस्तेमाल अक्टूबर की शुरुआत में दोआबा के आलू उत्पादक करेंगे, जिससे गेहूं की बुवाई के लिए बहुत कम मात्रा बचेगी, जो अक्टूबर के मध्य से शुरू होकर नवंबर के मध्य में समाप्त होगी. कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुदियां ने कहा कि रबी सीजन के लिए उर्वरकों की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए सभी प्रयास किए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि घबराने की कोई जरूरत नहीं है.
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उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत मान की सरकार डीएपी की आपूर्ति के लिए केंद्र सरकार से लगातार बातचीत कर रही है. वह जल्द से जल्द 5.50 लाख मीट्रिक टन डीएपी की आपूर्ति को लेकर केंद्र पर दबाव बना रही है. हालांकि, अभी राज्य के पास केवल 1.10 लाख मीट्रिक ही डीएपी उपलब्ध है. वहीं, ये भी कहा जा रहा है कि सरकार बढ़ती कीमतों और चीन के साथ गतिरोध के बीच डीएपी आयात करने की अच्छी स्थिति में नहीं दिखती है.
सूत्रों ने कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत मान केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री जेपी नड्डा के साथ नियमित संपर्क में थे और उनसे डीएपी का अधिक स्टॉक भेजने का आग्रह किया था, क्योंकि गेहूं की बुवाई सबसे पहले पंजाब में शुरू होगी. उसके बाद हरियाणा, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में होगी. हालांकि, कमी के मद्देनजर, केंद्र ने राज्य के अधिकारियों को किसानों को डीएपी के विकल्प जैसे नाइट्रोजन फास्फोरस पोटेशियम (एनपीके) 151515, एनपीके 161616, नाइट्रोजन फास्फोरस पोटेशियम सल्फर (एनपीपीएस) 2020013 या राजस्थान में निर्मित सिंगल सुपर फॉस्फेट का चयन करने के लिए मनाने के लिए कहा है.
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नाम न बताने की शर्त पर एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि विकल्पों की भी कमी है. सिंगल सुपर फॉस्फेट बनाने वाले राजस्थान ने अपने राज्य में इसका 70 प्रतिशत इस्तेमाल करने का फैसला किया है. हरियाणा ने इन विकल्पों में से 40 प्रतिशत सिर्फ़ हैफेड के ज़रिए बेचने का फ़ैसला किया है. इन विकल्पों में फॉस्फोरस का प्रतिशत कम है, इसलिए ज़्यादा मात्रा की ज़रूरत है. अभी स्थिति गंभीर दिख रही है. हालांकि, नवंबर तक हमें 2 लाख मीट्रिक टन डीएपी और मिलने की संभावना है, लेकिन यह मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं हो सकता है.
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