कपास की अच्छी उपज के लिए खरपतवारों का नियंत्रण जरूरी, इन दो खादों की ले सकते हैं मदद

कपास की अच्छी उपज के लिए खरपतवारों का नियंत्रण जरूरी, इन दो खादों की ले सकते हैं मदद

अगर किसान समय रहते खरपतवारों को नियंत्रण नहीं करते हैं तो उनकी फसल पूरी बर्बाद हो जाती है. गुजरात, महाराष्ट्र, तेलंगाना, राजस्थान, हर‍ियाणा और पंजाब में इसकी खेती होती. वैज्ञान‍िक क‍िसानों को समय-समय पर एडवाइजरी जारी करके क‍िसानों को सलाह देते रहते हैं.

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कपास की अच्छी उपज के लिए खरपतवारों का नियंत्रण जरूरी, इन दो खादों की ले सकते हैं मदद कपास की खेती

कपास एक कमर्श‍ियल फसल है. इसकी खेती वैज्ञान‍िक तरीके से की जाए तो क‍िसानों को बंपर मुनाफा हो सकता है. कपास की फसल में कीट काफी लगते हैं, इसल‍िए कीटनाशकों का स्प्रे करना पड़ता है और उससे लागत बढ़ जाती है. इसके अलावा फसल में खरपतवारों बढ़ना फसलों को खराब कर देता हैं. अगर किसान समय रहते खरपतवारों को नियंत्रण नहीं करते हैं तो उनकी फसल पूरी बर्बाद हो जाती है. गुजरात, महाराष्ट्र, तेलंगाना, राजस्थान, हर‍ियाणा और पंजाब में इसकी खेती होती. वैज्ञान‍िक क‍िसानों को समय-समय पर एडवाइजरी जारी करके क‍िसानों को सलाह देते रहते हैं. फ‍िलहाल, यह जान‍िए क‍ि क‍िस तरह से आप कपास की फसल में खरपतवारों पर नियंत्रण पा सकते हैं.

कपास की अच्छी उपज लेने के ल‍िए पूरी तरह खरपतवार नियंत्रण होना बहुत जरूरी है. इसके लिए तीन-चार बार फसल बढ़वार के समय गुड़ाई बैलचालित त्रिफाली कल्टीवेटर या ट्रैक्टर चालित कल्टीवेटर द्वारा करनी चाहिए. पहली गुड़ाई सूखी हो, इसे पहली सिंचाई के पूर्व (बुआई के 30-35 दिनों पहले) ही कर लेनी चाहिए. फूल व गूलर बनने पर कल्टीवेटर का प्रयोग न किया जाए. इन अवस्थाओं में खुरपी द्वारा खरपतवार निकाल देना चाहिए. इसके 3.3 कि.ग्रा. पेंडीमेथिलीन प्रति हेक्टेयर जमाव से पूर्व या बुवाई के 2-3 दिनों के अन्दर प्रयोग करें.

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रासायनिक नियंत्रण

जकीयामा (पेंडीमेथलीन) @ 1000-1670 मिली को 200-280 लीटर की पानी प्रति एकड़ की दर से या जकीयामा प्लस (पेंडीमेथलीन) @ 600-700 मिली को 200 लीटर की पानी प्रति एकड़ की दर से जमाव से पूर्व या बुवाई के 2-3 दिनों के अंदर प्रयोग करें. या फ‍िर कबूतो (पारकुट डाईक्लोराइड) @ 500-800 मीली 200 लीटर पानी प्रति एकड़ की दर से 2-3 पत्तों की अवस्था में कतारों के बीज में प्रयोग करें. इसी तरह से आप रयुसेइ (क्विजोलपफप एथिल) @400 मीली 200 लीटर पानी में प्रत‍ि एकड़ की दर से बुवाई के 20-25 दिनों बाद प्रयोग करें.

बीज उपचार 

कपास की फसल में बीज उपचार बहुत जरूरी है. बुवाई से पहले बीज को प्रति क‍िलोग्राम 2.5 ग्राम कार्बेन्डाजिम (यामतो) या कैप्टॉन दवा से उपचारित करें. इमिडाक्लोप्रिड (इसोजाशी) 7 मीली प्रत‍ि क‍िलोग्राम बीज उपचारित कर बोने से फसल को 40 से 60 दिनों तक रस चूसक कीड़ों से सुरक्षा मिलती है.

बुवाई का समय क्या हो? 

पंजाब, हरियाणा तथा उत्तर प्रदेश में इसकी कपास की बुवाई आमतौर पर गेहूं की कटाई के बाद अप्रैल-मई में की जाती है. अप्रैल-मई में बुवाई करना अधिक लाभकर रहता है. बीज को पंक्तियों में बोना अच्छा रहता है. पंक्तियों में बुवाई के लिए सीड ड्रिल या देसी हल के पीछे कुंड में बीज बोया जाता है.

बीज दर क्या हो 

अगर अमेरिकन कपास की क‍िस्म है तो 15-20 क‍िलोग्राम प्रत‍ि हेक्टेयर बीज लगेगा. जबक‍ि देसी कपास में 15-16 क‍िलो प्रत‍ि हेक्टेयर की जरूरत होगी. इसी प्रकार संकर कपास में स‍िर्फ 2 से 2.5 क‍िलोग्राम प्रत‍ि हेक्टेयर बीज पर्याप्त होता है. देसी कपास और अमेरिकन कपास के लिए 60x30 सेंटीमीटर, संकर किस्मों के लिए 90x60 सेंटीमीटर पंक्ति से पंक्ति और पौधे से पौधे की दूरी रखनी चाहिए.

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