फसल उत्पादन में गुणवत्तायुक्त बीजों का अहम स्थान है, लेकिन कई बार ऐसा होता है कि किसानों को गुणवत्ता वाले बीज नहीं मिलते. जबकि सरकार दावा करती रहती है कि पर्याप्त बीज मौजूद हैं. ताजा उदाहरण यह है कि महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के कई जिलों में किसानों को कपास के बीज के लिए लंबी-लंबी लाइनें लगानी पड़ रही हैं. इसी तरह के हालात कई राज्यों में गुणवत्ता वाले धान के बीजों के लिए भी पैदा होते हैं. ऐसे में अब किसान बीज उत्पादन में भी हाथ आजमाकर कमाई कर सकते हैं. कृषि उत्पादन में बीज का महत्वपूर्ण योगदान है. कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि 'जैसा बोओगे वैसा काटोगे' इसका मतलब यह है कि अच्छा बीज बोएंगे तो अच्छी पैदावार होगी.
इसलिए किसान अगर चाहें तो अच्छी किस्मों के प्रमाणित बीजों का उत्पादन करके कमाई कर सकते हैं. सरकार बीजों की उपलब्धता के लिए चाहे जितनी बात करे लेकिन सच्चाई यह है कि बीजों की कमी बरकरार रहती है. महाराष्ट्र में अक्सर किसान असली बीजों के न मिलने और नकली की समस्या से परेशान रहते हैं. इसलिए बीज उत्पादन को उद्योग के रूप में अपनाकर किसान उत्तम बीजों की मांग की पूर्ति के साथ अपनी आय को भी बढ़ा सकते हैं. इसके लिए किसानों को सबसे पहले यह समझना होगा कि बीज कितने तरह के होते हैं.
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार देश में गुणवत्तायुक्त बीजों की मांग बढ़ाने, उत्पादन करने तथा उचित कीमत व समय पर किसानों को बीज उपलब्ध करवाने में सहकारी संस्थाएं जैसे-राष्ट्रीय बीज निगम, राज्य बीज निगम, राज्य बीज प्रमाणीकरण संस्थाएं (राज्य स्तर पर), कृषि विश्वविद्यालय, कृषि अनुसंधान संस्थान, कृषि विज्ञान केंद्र आदि का प्रमुख रूप से योगदान रहा है. बीज उत्पादन में किसान भी अपनी किस्मत आजमा सकते हैं. लेकिन उससे पहले बीजों का वर्गीकरण समझ लें. कृषि वैज्ञानिक जोगेन्द्र सिंह चौहान और रेखा चौधरी ने इसके बारे में जानकारी दी है.
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कृषि वैज्ञानिकों द्वारा विकसित किये गए उन्नत किस्मों के मूल बीज को न्यूक्लियस बीज कहा जाता है. यह उच्चतम आनुवंशिक शुद्धता वाला बीज होता है, जो कि संबंधित फसल के पादप प्रजनक की देखरेख में तैयार किया जाता है.
आनुवंशिक शुद्धता का प्रमाणित बीज का उत्पादन एवं इनका कृषकों को पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होना, प्रजनक बीजों के उच्च आनुवंशिक शुद्धता युक्त उत्पादन एवं उनकी मात्रा पर निर्भर करता है. इसके उत्पादन का कार्य भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली के नियंत्रण में देश के विभिन्न कृषि अनुसंधान केन्द्रों व राज्यों के कृषि विश्वविद्यालयों द्वारा किया जाता है.
इस बीज का उत्पादन प्रजनक बीज से किया जाता है. इसका उत्पादन मुख्यतः राजकीय कृषि फार्मों तथा कुछ चयनित प्रशिक्षित बीज उत्पादकों के खेतों पर किया जाता है. बीज प्रमाणीकरण संस्था की देखरेख में निर्धारित प्रक्षेत्र व बीज मानकों पर सही पाये जाने पर यह प्रमाणित किया जाता है. इस पर सफेद रंग का टैग लगा होता है.
आधार बीज से द्विगुणन कर प्रमाणित बीज तैयार किया जाता है. इसे कुछ चयनित बीज उत्पादकों व प्रगतिशील किसानों के खेतों पर तैयार किया जाता है. इसे बीज प्रमाणीकरण संस्था की देखरेख में निर्धारित प्रक्षेत्र व बीज मानकों पर सही पाये जाने पर प्रमाणित किया जाता है. प्रमाणित बीज पर नीले रंग का टैग लगा होता है. सामान्य तौर पर यही प्रमाणित बीज किसानों को फसल उत्पादन के लिए उपलब्ध होता है.
यह बीज प्रमाणित बीज से तैयार किया जाता है. यह बीज प्रमाणीकरण संस्था द्वारा प्रमाणित नहीं किया जाता है. इसकी भौतिक शुद्धता एवं अंकुरण क्षमता के प्रति उत्पादक स्वयं जिम्मेदार होता है. इसकी अंकुरण क्षमता भी लगभग प्रमाणित बीज के समान ही होती है.
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