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Kharif Special: बायो फर्टिलाइजर से करें म‍िट्टी और बीजों का उपचार, यहां जानें पूरी ड‍िटेल

Kharif Special: बायो फर्टिलाइजर से करें म‍िट्टी और बीजों का उपचार, यहां जानें पूरी ड‍िटेल

खाद्यान्न, दलहनी, सब्जियों और फलों और पोषक तत्व पूर्ति के लिए रासायनिक उर्वरकों के बजाय बायो फर्टिलाइज का अधिक से अधिक प्रयोग किया जाना चाहिए. इससे किसानों की लागत खर्च भी कम आएगी. बायो फर्टिलाइजर का प्रयोग जब बीज और खेत की मिट्टी में किया जाता है, तो फसल की पैदावार और मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार होता है और पोषक तत्वों की उपलब्धता में वृद्धि होती है.

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बायो फर्ट‍िलाइजर के इस्तेमाल से कम खर्च में अध‍िक उत्पादन प्राप्त क‍िया जा सकता है- फोटो क‍िसान तक बायो फर्ट‍िलाइजर के इस्तेमाल से कम खर्च में अध‍िक उत्पादन प्राप्त क‍िया जा सकता है- फोटो क‍िसान तक

बायो फर्टिलाइजर यानी जैव-उर्वरक लाभकारी जीवाणुओं से बना उत्पाद है, ज‍िसका प्रयोग बड़ी जोत वाले क‍िसानों से लेक‍र छोटी जोत वाले क‍िसान अपनी खेती में कर सकते हैं. व‍िशेषज्ञों का मानना है क‍ि क‍िसानों को खाद्यान्न, दलहनी, सब्जियों और फलों में पोषक तत्व पूर्ति के लिए रासायनिक उर्वरकों के बजाय इसका अधिक से अधिक प्रयोग किया करना चाहिए. इससे क‍िसान रासायन‍िक उर्वरकों से वातावरण और म‍िट्टी को होने वाले नुकसान का कम कर सकते हैं. किसानों की लागत खर्च भी कम आएगी.

बायो फर्टिलाइजर का प्रयोग बीज और खेत की मिट्टी में किया जाता है, तो फसल की पैदावार और मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार होता है और पोषक तत्वों की उपलब्धता में वृद्धि होती है. आइए खरीफनामा की इस कड़ी में जानते हैं बायो फर्टिलाइजर का इस्तेमाल क‍िसान कैसे करें, जिससे कि फसलों से बेहतर पैदावार मिल सके. 

बायो फर्टिलाइजर से बीजों का उपचार कैसे करें

कृषि विज्ञान केन्द्र नरकटियागंज पश्चिम चंपारण के हेड़ ड़ॉ आरपी सिंह ने कहा क‍ि क‍िसानों को बायो फर्टिलाइजर पर अध‍िक देने की जरूरत है. इससे ही रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता कम की जा सके, जिससे खेती की लागत में कमी आ सके और किसानों के लिए फसल उत्पादन ज्यादा लाभकारी साबित हो सके. उन्होंने बताया कि बायो फर्टिलाइजरो के इस्तेमाल के लिए बीज उपचार सबसे अच्छी विधि हैं. 

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बीज उपचार के लिए सबसे पहले एक लीटर पानी में 125 ग्राम गुड़ को मिलाकर घोल बनाते है. इसके बाद घोल को किसी बर्तन में रखकर कुछ देर तक आग पर गरम करते है, जिससे एक गाढ़ा घोल बन जाय, इसके बाद इस घोल को कुछ समय रखकर ठड़ा कर लेते हैं और जब घोल ठड़ा हो जाता है तो इसमें राइजोबियम कल्चर, एजोक्टौ बैक्टर या पीएसबी कल्चर (कोई भी एक बायो फर्ट‍िलाइजर) को 200 ग्राम मात्रा को मिलाते हैं. इसके बाद इस तैयार घोल को 10 किलो बीज पर छिड़काव कर इस प्रकार मिलाते है, जिससे कि प्रत्येक बीज पर घोल का एक परत बन जाय और इन उपचारित बीजों को छाया में कुछ देर तक सुखाते हैं और फिर सुखने के बाद खेतों में तुरन्त बुवाई कर देते हैं

बीज उपचार की दूसरी विधि

इसमे बीज उपचार की दूसरी विधि है, ज‍िसमें पहले आधा लीटर पानी में 50 ग्राम गुड़ या गोद को मिलाकर घोल बना लेते हैं और इस घोल में 200 ग्राम मात्रा किसी उसमे बायो फर्टिलाइजर कल्चर को अच्छी तरह से मिलाते हैं. इसके बाद तैयार घोल को 10 किलोग्राम बीज पर छिड़क इस प्रकार छिड़काव करते है, जिससे की प्रत्येक बीज पर घोल की एक परत बन जाए. इसके बाद उपचारित बीजों को कुछ देर तक छाया में सूखा लेते हैं और सुखने के बाद बीजों को खेतों में तुरन्त बुवाई कर देते हैं . 

जड़ और कंद फसलों में कैसे करें प्रयोग 

कृषि विशेषज्ञों कहना है कि रोपाई करने वाले पौधोंं की जड़ को बायो फर्ट‍िलाइजर से उपचार किया जाता है. इसके लिए चौड़े बर्तन में 5 से 7 लीटर पानी में 250 ग्राम गुड़ को मिलाकर घोल बनाते हैं और इसमे एक किलो एजैक्टोबैक्टर और एक किलो पीएसबी कल्चर मिलाते हैं. घोल में नर्सरी से पौधों को उखाड़कर जड़ों की मिट्टी को साफ कर इस घोल में 50 से 100 पौधों को घोल में 10 मिनट तक डुबोकर उपचारित करते हैं. इसके बाद खेतों में पौधों की रोपाई की जाती है. इस विधि से धान, टमाटर, फूलगोभी , प्याज इत्यादि फसल के पौधों को उपचारित किया जा सकता है.

कन्द वाली फसलों उपचारित करने के लिए 20 से 30 लीटर पानी में एक किलो एजैक्टोबैक्टर और एक किलो पीएसबी कल्चर मिलाते हैं और उसमे कन्दों को उपचारित करते हैं. इस तरीके से आलू, अदर घुईया के अलावा गन्ना  को उपचारित करते है. इसके बाद खेतों में कन्दों की बुवाई करते हैं. 

मृदा उपचार के जरिए करते हैं पोषक तत्वों की पूर्ति   

बायो फर्टिलाइजर के द्वारा फसलों को नाइट्रोजन और फास्फोरस की पूर्ति के लिए मृदा उपचार विधि का इस्तेमाल किया जाता है. इसके तहत सात से दस किलोग्राम जैव उर्वरक एजैक्टोबैक्टर और पीएसबी कल्चर को 100 किलों कम्पोस्ट में मिलाकर रात भर छोड़ दिया जाता है. इसके बाद खेतों में अन्तिम जुताई के समय एक हेक्टयर खेत में छिड़काव कर दिया जाता है. इन बायो फर्टिलाइर का प्रयोग धान की फसल की रोपाई के तीसरे चौथे दिन बाद कम्पोस्ट में मिला कर किया जाना चाहिए. इससे फसल की तेज वृद्धि होती है. इनके अलावा भी कई प्रकार के बायो फर्टिलाइजर उपलब्ध है, जो सभी पोषक तत्वों की पूर्ती करते हैं. एक ही फसल में कई बायोफर्टिलाइर उर्वरकों का एक ही वक़्त पर प्रयोग किया जा सकता है. इनमे आपस में कोई नेगेटिव क्रिया नहीं होती.

प्रयोग करते समय इन बातों का रखे खयाल

बायो फर्टिलाइजर का चयन फसलों की किस्म के अनुसार ही करना चाहिए. बायो फर्टिलाइजर प्रयोग करते समय पैकेट के ऊपर उत्पादन तिथि, उपयोग की अन्तिम तिथि व संस्तुत फसल का नाम अवश्य देख लें. प्रयोग करते समय जैविक उर्वरकों को धूप व गर्म हवा से बचाकर रखना चाहिए.आजकल लगभग सभी बायोफर्टिलाइर का लिक्वीड फॉर्म भी मौजूद है. इस तरह आप भी अपनी फसलों में रासायनिक उर्वरकों की जगह बायो फर्टिलाइजर का इस्तेमाल कर सकते हैं, जिससे कम लागत में अपनी फसलों से अच्छी पैदावर लेने के साथ खेत की मृदा उर्वरता को स्थाई बनाए रख सकते हैं.