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महाराष्ट्र सरकार के ख‍िलाफ उद्योग संगठनों ने खोला मोर्चा, ब‍िल पास होने पर कारोबार समेटने की धमकी

महाराष्ट्र सरकार के ख‍िलाफ उद्योग संगठनों ने खोला मोर्चा, ब‍िल पास होने पर कारोबार समेटने की धमकी

क्रॉप लाइफ इंडिया के चेयरमैन केसी रवि ने कहा क‍ि महाराष्ट्र सरकार एमपीडीए एक्ट के संशोधन के तौर पर ज‍िन पांच ब‍िलों को व‍िधानसभा में पास करवाने के ल‍िए लाई है उनमें ऐसे प्रावधान हैं क‍ि कीटनाशक या बीज की समस्या पर किसानों की एक भी शिकायत कॉर्पोरेट्स को परेशानी में डाल सकती है.

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एमपीडीए संशोधन विधेयक की वजह से गुस्से में उद्योग संगठन. एमपीडीए संशोधन विधेयक की वजह से गुस्से में उद्योग संगठन.

एग्रो केम‍िकल बनाने वाली कंपन‍ियों के सभी चार उद्योग संगठनों ने महाराष्ट्र सरकार के उन प्रस्ताव‍ित ब‍िलों के ख‍िलाफ मोर्चा खोल द‍िया है जो क‍िसानों को म‍िलावटी, सब स्टैंडर्ड या गलत ब्रांड वाले बीज, उर्वरक और कीटनाशकों से बचाने के नाम पर तैयार क‍िए गए हैं. नागपुर में 7 द‍िसंबर से शुरू होने वाले महाराष्ट्र व‍िधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान इन्हें पेश क‍िया जाना है. उद्योग संगठनों ने इन पांच व‍िधेयकों को अस्पष्ट होने के साथ-साथ असंगत और कठोर बताया है. उनका कहना है क‍ि इन व‍िधेयकों के पास होने के बाद एग्री इनपुट बनाने वालों के ख‍िलाफ अपराध‍ियों जैसा सलूक क‍िया जाएगा. इसल‍िए प्रस्तावित विधेयकों को पारित नहीं किया जाना चाहिए. उद्योग संगठनों ने धमकी दी है क‍ि अगर इन्हें पास क‍िया गया तो कई कंपन‍ियां महाराष्ट्र से अपना कारोबार समेट लेंगी.  

उद्योग संगठनों का कहना है क‍ि महाराष्ट्र सरकार एमपीडीए अधिनियम (Maharashtra Prevention of Dangerous Activities Act (MPDA) में संशोधन के रूप में इन पांच विधेयकों को ड्राफ्ट क‍िया है. क्रॉप केयर फेडरेशन ऑफ इंडिया (सीसीएफआई), क्रॉप लाइफ इंडिया (सीएलआई), पेस्टिसाइड्स मैन्युफैक्चरर्स एंड फॉर्म्युलेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (पीएमएफएआई) और एग्रो केम फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसीएफआई) का अनुमान है कि प्रस्तावित संशोधनों के गंभीर परिणाम होंगे, जो दूर तक जाएंगे. किसानों की फसल और वित्तीय हानि को रोकने के घोषित उद्देश्यों से परे, यह सही कारोबार करने वालों को नष्ट करने और किसानों को महत्वपूर्ण कीटनाशकों से वंचित करने का काम करेगा. 

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अब महाराष्ट्र में कारोबार करना मुश्क‍िल 

एग्री इनपुट उद्योग संगठनों का कहना है क‍ि ये ब‍िल इंस्पेक्टरों को खुली छूट देते हैं. ऐसा करके वो निर्माताओं और विक्रेताओं को उनके उत्पीड़न की संभावनाओं के साथ खतरे में डालते हैं. इनकी वजह से महाराष्ट्र में कारोबार करना लगभग असंभव हो गया है. यहां तक कि मामूली अपराधों के लिए भी गिरफ्तारी और जमानत के बिना पुलिस हिरासत में रखने का खतरा मंडरा रहा है. इन ब‍िलों को पास होने के बाद किसी भी कंपनी का कोई भी अधिकारी 'जिम्मेदार व्यक्ति' के रूप में नामांकित होने के लिए तैयार नहीं होगा. क्योंकि कोई भी मामला होने पर उसे या तो परेशान क‍िया जाएगा या फ‍िर जेल में डाल द‍िया जाएगा.  

कंपन‍ियों को परेशान कर सकती है क‍िसानों की श‍िकायत 

क्रॉप लाइफ इंडिया के चेयरमैन केसी रवि ने कहा, ''नकली बीजों, उर्वरकों और कीटनाशकों पर कार्रवाई करने और उन्हें खत्म करने के लिए कानून लागू करने वाली एजेंसियों के पास पर्याप्त दंडात्मक प्रावधान पहले से ही उपलब्ध हैं. उदाहरण के लिए एग्रो केम‍िकल सेक्टर कीटनाशक अधिनियम 1968 द्वारा संचाल‍ित होता है, जो महाराष्ट्र कृषि निदेशालय को दोषी कीटनाशक निर्माताओं पर मुकदमा चलाने में सक्षम बनाता है. 

डॉ. रवि ने कहा, “कीटनाशक या बीज की समस्या पर किसान की एक भी शिकायत कॉर्पोरेट्स को परेशानी में डाल सकती है. कंपनी के प्रतिनिधि के रूप में नामित किसी भी व्यक्ति को किसान द्वारा दर्ज की गई शिकायत पर पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया जा सकता है. यही नहीं गिरफ्तारी गैर-जमानती है.”

आज भारत चीन के बाद कृषि रसायनों का दूसरा सबसे बड़ा निर्माता है और हमारे उत्पाद 100 से अधिक देशों में निर्यात किए जाते हैं.  डॉ. रवि ने बताया कि यह क्षेत्र पहले से ही केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा अच्छी तरह से रेगुलेटेड है. इसल‍िए प्रस्तावित प्रावधान अनुचित हैं क्योंकि कृषि इनपुट इंडस्ट्री के पास गुणवत्ता की जांच करने के लिए एक अचूक तंत्र है.  

दूसरे राज्य में श‍िफ्ट कर लेंगे कारोबार

क्रॉप केयर फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष दीपक शाह ने कहा, “कृषि इनपुट उद्योग ने संयुक्त रूप से महाराष्ट्र खतरनाक गतिविधियां रोकथाम (एमपीडीए) अधिनियम में संशोधन के रूप में इन विधेयकों का विरोध किया है. क्योंक‍ि इन अधिनियमों के किसी भी प्रावधान के उल्लंघन के मामले में उद्योगों को ड्रग अपराधियों, खतरनाक व्यक्तियों, रेत तस्करों और कालाबाजारियों के समान माना जाएगा. उन पर मुकदमा चलाया जाएगा और गिरफ्तार किया जाएगा. ऐसे में महाराष्ट्र सरकार का यह कदम लोगों के हित में नहीं होगा. यह कृषि के साथ-साथ व्यापार में भी बाधा उत्पन्न करेगा. इसकी वजह से महाराष्ट्र में स्थापित और संचालित हो रहीं कई कंपन‍ियां अपने कार्यालय इस राज्य से बाहर स्थानांतरित करने के लिए मजबूर हो सकती हैं. 

कंपन‍ियों में पैदा होगा डर 

इसी कड़ी में पेस्टिसाइड मैन्युफैक्चरर्स एंड फॉर्म्युलेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के प्रदीप पी. दवे ने कहा, “हम सरकार द्वारा पेश किए गए उपरोक्त विधेयकों से बेहद चिंतित हैं. यदि ऐसे प्रावधानों को लागू किया जाता है तो वास्तविक निर्माताओं और अधिकृत वितरकों में डर पैदा हो जाएगा. हम खुद किसानों को गुणवत्तापूर्ण बीज, उर्वरक और कीटनाशक उपलब्ध कराने के लिए पिछले कई दशकों से कड़ी मेहनत कर रहे हैं. 

महाराष्ट्र सरकार पर उठाए सवाल 

एग्रो केम फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसीएफआई) के अध्यक्ष परीक्षित मूंदड़ा ने कहा, “ऐसे समय में जब केंद्र सरकार व्यापार को आसान बनाने की कोश‍िश कर रही है तब इसके विपरीत महाराष्ट्र सरकार कृषि इनपुट उद्योग को तंग करने वाले कानून ला रही है. एग्री इनपुट बनाने वालों को ड्रग माफिया और डकैतों के समान ट्रीट क‍िया जा रहा है. डबल इंजन सरकार अलग-अलग दिशाओं में काम करती दिख रही है.”

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अत‍िर‍िक्त शक्त‍ियां चाहती है राज्य सरकार 

दरअसल, इस सेक्टर को रेगुलेट करने के ल‍िए पहले से ही कानून हैं. लेक‍िन, महाराष्ट्र सरकार मिलावटी, नकली, डुप्लिकेट एग्री इनपुट के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए अतिरिक्त शक्तियां चाहती है. इसल‍िए ऐसे कानून ला रही है. बीज, उर्वरक और कीटनाशकों के निर्माताओं और विक्रेताओं ने पिछले दो महीनों में महाराष्ट्र के कृषि मंत्री धनंजय मुंडे और अधिकारियों को बार-बार आवेदन दिया है और अब नागपुर में शीतकालीन सत्र शुरू होने से पहले तत्काल सुनवाई की गुहार लगा रहे हैं. ताक‍ि ये पांच व‍िधेयक पास न हों.