scorecardresearch
Rajasthan: खरीफ की तैयारी शुरू, इस तरह से किसान खुद कर सकते हैं सोयाबीन के बीज तैयार

Rajasthan: खरीफ की तैयारी शुरू, इस तरह से किसान खुद कर सकते हैं सोयाबीन के बीज तैयार

सोयाबीन की बीज किसान खुद ही तैयार कर सकते हैं. क्योंकि सोयाबीन एक स्वपरागित फसल होती है. इसीलिए इसके बीजों को हर साल बदलने की जरूरत नहीं होती. 

advertisement
किसान सोयाबीन के बीज घर में भी तैयार कर सकते हैं. फोटो साभार- AAJ TAK किसान सोयाबीन के बीज घर में भी तैयार कर सकते हैं. फोटो साभार- AAJ TAK

देशभर में खऱीफ सीजन की तैयारी किसानों ने शुरू कर दी है. राजस्थान में बाजरे के अलावा सोयाबीन खऱीफ की सबसे बड़ी फसलों में से एक है. प्रदेश का हाड़ौती क्षेत्र यानी बारां, बूंदी जिलों में सोयाबीन की अच्छी फसल होती है. लेकिन क्या आप जानते हैं सोयाबीन की बीज किसान खुद ही तैयार कर सकते हैं. क्योंकि सोयाबीन एक स्वपरागित फसल होती है. इसीलिए इसके बीजों को हर साल बदलने की जरूरत नहीं होती. 

सोयाबीन के बीजों को हर साल बदलने की जरूरत नहीं होती

कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार सोयाबीन के बीजों को हर साल या बार-बार बदलने की जरूरत नहीं होती है. सोयाबीन एक स्वपरागित फसल है. उसके बीज के उत्पादन को आगे आने वाले दो-तीन वर्षों तक बुवाई के काम लिया जा सकता है. इससे फसल के उत्पादन पर कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ता है और ना ही उत्पादन में कमी आती है. 

इसीलिए किसान अपने पास उपलब्ध बीजों का इस्तेमाल कर सकते हैं. साथ ही जिन किसानों के पास बीज नहीं हैं, वे अपने आसपास के किसानों से बीज ले सकते हैं. बीजों की सफाई और स्पाइरल सीड ग्रेडर से ग्रेडिंग कर बीज तैयार कर सकते हैं. इसके बाद खेतों में बुवाई शुरू की जा सकती है. 

इस तरह बनाएं बीज

बारां जिले में संयुक्त निदेशक कृषि विस्तार अतीश कुमार शर्मा सोयाबीन के बीज तैयार करने की प्रक्रिया समझाते हैं. वे बताते हैं, “किसान साफ किए हुए बीज की बुवाई से पहले अंकुरण की जांच जरूर करें. सोयाबीन बीज के अंकुरण की जांच के लिए 100 दाने लें. दानों को गीले किए हुए टाट के बोरे में रखें. साथ ही रोजाना इस बोरे को पानी के छींटे देकर गीला करते रहें. दो-तीन दिन बाद बीजों का अंकुरण हो जाएगा. यदि 100 दानों में से 70 दानों का स्वस्थ अंकुरण होता है तो 80 किलो बीज प्रति हैक्टेयर बुवाई के लिए काम में लें. साथ ही यदि अंकुरण 60 प्रतिशत तक होता है तो बीज दर उसी अनुपात में बढ़ा दें.” 

इसके अलावा यदि बीजों का अंकुरण 50 प्रतिशत से कम होता है तो इन बीजों की बुवाई ना करें. इसकी जगह किसान दूसरे बीज काम में लें. 

ये भी पढ़ें- Wheat Procurement: क‍िसानों ने सरकार को द‍िया झटका, एक भी राज्य पूरा नहीं कर सका टारगेट

समस्या होने पर सीड टेस्टिंग लैब में कराएं जांच 

किसानों को बीज संबंधी या अंकुरण के संबंधित कोई समस्या होती है तो वे जिला स्तर पर मौजूद बीज परीक्षण लैब में बीजों की निशुल्क जांच करा सकते हैं. यहां किसी भी तरह के बीजों की जांच की जा सकती है. किसान लैब टेस्टिंग के लिए एक किलो बीज के नमूने लेकर, उस पर अपना नाम, पता देकर आवेदन कर सकते हैं. इसके अलावा नमूना जांच के लिए सीधे भी भेज सकते हैं या संबंधित सहायक कृषि अधिकारी के माध्यम से कार्यालय संयुक्त निदेशक कृषि जिला परिषद में दे सकते हैं.

ये भी पढ़ें- सरकारी अनदेखी से गिरे कपास के दाम! अच्छी कीमतों के लिए तरसे महाराष्ट्र के किसान

बीजों पर मिलती है सब्सिडी, बढ़ती है उपज

संयुक्त निदेशक ने बताया कि जो किसान खुद के बीज काम में लेंगे, उनकी काफी बचत होगी. क्योंकि उन्हें बाजार से महंगे बीज नहीं लेने होंगे. कृषि विभाग की ओर से स्पाइरल सीड ग्रेडर पर अनुसूचित जाति, जनजाति एवं लघु सीमान्त कृषकों को 50 प्रतिशत या अधिकतम 10 हजार रूपए की सब्सिडी दी जाती है.

साथ ही सामान्य किसानों को 40 प्रतिशत या अधिकतम आठ  हजार रूपए का अनुदान दिया जाता है. जो किसान स्पाइरल सीड ग्रेडर खरीदना चाहते हैं वे अपना आवेदन ई-मित्र के माध्यम से राज किसान साथी पोर्टल पर कर सकते हैं.