एक ओर पंजाब में जहां धान कटाई के बाद रबी फसलों की बुआई का समय चल रहा है. वहीं, दूसरी ओर राज्य में खाद का संकट देखने को मिल रहा है. किसान गेहूं की अच्छी फसल के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले डाइ-अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) के लिए परेशान है. यहां किसान बाजार मूल्य से 10 से 48 प्रतिशत महंगे दाम पर खाद खरदीने के लिए मजबूर हैं. राज्य के अलग-अलग हिस्सों में किसान डीएपी की किल्लत की बात कह रहे हैं.
'दि ट्रिब्यून' की रिपोर्ट के मुताबिक, किसानों का कहना है कि जिन डीलरों के पास खाद है, वो उसे ऐसी खाद के साथ बंडल पैकेज के रूप में बेच रहे हैं, जो उनके काम की नहीं है. ऐसे में उन्हें अनुपयोगी खाद खरीदने के लिए मजबूर किया जा रहा है. किसानों को 1,350 रुपये की कीमत वाले डीएपी बैग को 1,500 रुपये से 2,100 रुपये की कीमत चुकाकर खरीदना पड़ रह है.
भवानीगढ़ के नदमपुर गांव के रहने वाले किसान कुलविंदर सिंह ने कहा कि समाना और भवानीगढ़ के आसपास के किसानों को डीएपी के हर बैग के साथ 700 रुपये मूल्य वाली एक अन्य खाद जबरन बेची जा रही है, जो उनके उपयोग की नहीं है. किसान कुलविंदर सिंह ने आरोप लगाते हुए कहा, ''सरकार खाद की किल्लत को लेकर कुछ नहीं कर रही है. हमने इस मुद्दे को लेकर जिला कृषि अधिकारियों को भी जानकारी दी, लेकिन तब भी बेईमान डीलरों पर कोई छापेमारी नहीं की जा रही है.''
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नाभा के पास बिंबर गांव के रहने वाले एक अन्य किसान गुरबख्शीश सिंह ने भी यही आरोप दोहराए. गुरबख्शीश ने कहा, “किसान फसल को लेकर डरे हुए हैं. आने वाले कुद दिन बहुत महत्वपूर्ण हैं. अगर सरकार जरूरत के मुताबिक खाद उपलब्ध कराने में सफल नहीं हुई तो गेहूं की फसल का बुरा असर पड़ेगा.''
खाद के बंडल पैकेज को लेकर एग्री इनपुट डीलर्स एसोसिएशन, पंजाब के महासचिव गोकल प्रकाश गुप्ता ने कहा कि निजी कंपनियां उन्हें इसी तरह डीएपी की उपलब्ध कर रही हैं. उनके पास कोई ऑप्शन नहीं है. वहीं, सहकारी समितियों के पास भी डीएपी की बहुत सीमित आपूर्ति है. समिति सदस्यों का कहना है कि अभी डिमांड के हिसाब से सिर्फ 30-50 प्रतिशत डीएपी की ही आपूर्ति हो रही है.
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