किसी भी गांव का या खास इलाके में एक स्टार्टअप खुलने से वहां के आस-पास के गांव के लोगों को काफी लाभ मिल जाता है. राजधानी रांची के गांव चुंद में भी पंकज गुप्ता ने जैविक खाद और कीटनाशक बनाने की शुरुआत की है. यहां से पंकज गुप्ता को फायदा तो हुआ ही, साथ में यहां के रहने वाले ग्रामीणों को भी फायदा हुआ है. यहां के ग्रामीण भी अब जैविक खेती की तरफ रुख कर रहे हैं, यह अपने-आप में एक बड़ा बदलाव है. क्योंकि अब किसान यहां पर जैविक खेती को अपना रहे हैं.
जैविक खाद बनाने वाले पंकज गुप्ता बताते हैं कि उस समय अधिकांश किसान शुद्ध जैविक या प्योर जैविक की तरफ नहीं जा पाते थे, क्योंकि उन्हें सही समय पर जैविक खाद या कीटनाशक नहीं मिल पाता था. इसके कारण कई किसान ऐसे हैं जो जैविक खाद या कीटनाशक का इस्तेमाल करने की इच्छा रखने के बावजूद नहीं कर पाते हैं. पर गांव में उनका स्टार्ट अप खोलने के बाद अब उनके पास किसान सीधे आकर संपर्क कर रहे हैं और जैविक खाद खरीद कर ले जा रहे हैं. किसानों को सही समय पर खाद और अन्य उत्पाद उपलब्ध होने लगे हैं.
जैविक खेती को अपना चुके किसान खद्दी उरांव बताते हैं कि उन्होंने पहले अखबारों और अन्य माध्यमों से जैविक खेती के बारे में सुना था. वो इसकी इस तकनीक को अपनाना चाहते थे, पर सही और उचित जानकारी नहीं होने के कारण इसे अपना नहीं पा रहे थे. पर अब वो अच्छी तरह से जैविक खेती कर रहे हैं. इसका उन्हें फायदा भी हो रहा है. उन्होंने बताया कि उन्हें देखकर अन्य किसान भी हैं जो जैविक खेती को अपना रहे हैं. गांव में ही जैविक खाद और कीटनाशक उपलब्घ होने के कारण अधिक संख्या में किसान जैविक खेती की तरफ आ रहे हैं. इसलिए गांव में अब ऐसे किसानों की संख्या बढ़ रही है.
वहीं पंकज गुप्ता बताते हैं कि गांव में जब से उन्होंने जैविक खाद बनाने की शुरुआत की थी उस समय उन्हें यह उम्मीद थी कि ग्रामीणों का जितना अच्छा रिस्पॉन्स मिलेगा, उससे भी अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है. जैविक खेती के प्रति ग्रामीण काफी दिलचस्पी दिखा रहे हैं. हालांकि बढ़िया क्वालिटी की जैविक खाद और कीटनाशक बनाने की अपनी परेशानियां हैं, पर गांव में इसकी वजह से बदलाव हो रहा है यह अच्छी बात है. प्रत्येक गांव में अगर किसानों को जैविक खेती के लिए इनपुट आसानी से उपलब्ध होंगे तो किसान जरूर जैविक खेती करेंगे.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today