झारखंड एक बार फिर सूखे के कगार पर खड़ा है और किसान ना चाहते हुए इस अघोषित सूखे का सामना कर रहे हैं. प्रकृति की मार झेल रहे यहां के किसानों को सरकार की नीतियों के कारण भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. किसान डरे हुए हैं पर अभी तक राज्य सरकार की तरफ से किसी भी प्रकार का ठोस आश्वासन किसानों को नहीं मिला है. इसके कारण किसानों में निराशा का माहौल है. ऐसे में किसानों की शिकायत दूर करने के लिए पहले राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और फिर बाद में कृषि मंत्री बादल ने कृषि विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक की. बैठक से किसानों को उम्मीदें तो थीं पर ऐसी कुछ भी बड़ी बात बैठक से निकलकर सामने नहीं आई.
वहीं कृषि मंत्री ने अधिकारियों के साथ हुई बैठक में निर्देश दिया है कि सभी अधिकारी रेस हो जाए और दो दिनों के अंदर धान वितरण का कार्य पूरा करें. धान वितरण के मामले में सरकार के रेस होने पर किसान होने पर झारखंड किसान महासभा के प्रतिनिधियों ने तंज कसा है. किसान महासभा का कहना है कि जिस समय धान की रोपाई खत्म हो जाती है उस समय किसानों को बीज बांटकर सरकार क्या किसानों के साथ मजाक करना चाह रही है. सरकार के पास इतनी बड़ी मंशनरी है, ब्लॉक चेन तकनीक से धान बांटने का दावा करती है ऐसे में राज्य सरकार को जून महीने के अंत तक यह कार्य कर देना चाहिए था, जो काम दो महीने में नहीं हुआ वो दो दिन में कैसे हो जाएगा.
किसान महासभा के कार्यकारी अध्यक्ष पंकज राय ने कहा कि कृषि मंत्री के इसी आदेश से राज्य के किसान अंदाजा लगा सकते हैं कि राज्य सरकार किसानों के प्रति कितनी संवेदनशील है. ऐसे समय पर में जब एक्शन मोड में काम होना चाहिए. राज्य सरकार अपने अधिकारियों को योजना बनाने के लिए कह रही है. किसान महासभा के अध्यक्ष ने कहा कि राज्य को सूखा ग्रस्त घोषित करने की मांग, नगद धान खरीद की मांग और धान के बकाए पैसे की मांग को लेकर आगामी दो अगस्त को महासभा रांची मे विरोध प्रदर्शन करेगी.
मौसम विभाग की तरफ से जारी किए गए आंकडों के मुताबिक राज्य में अब तक 49 फीसदी कम बारिश दर्ज की गई है. सामान्य तौर पर इस अवधि के दौरान 489.2 एमएम की बारिश दर्ज की जाती है पर अभी तक राज्य में मात्र 247.4 एमएम बारिश दर्ज की गई है, राज्य में उन जिलों की संख्या बढ़कर सात हो गई है जहां पर 60 फीसदी से अधिक बारिश की कमी दर्ज की गई है. जबकि सिर्फ एक जिले में अब तक सामान्य बारिश दर्ज की गई है.
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