हरियाणा में सरकारी खाद केंद्रों पर किसानों की भारी भीड़, पुलिस की निगरानी में हो रही DAP की ब‍िक्री

हरियाणा में सरकारी खाद केंद्रों पर किसानों की भारी भीड़, पुलिस की निगरानी में हो रही DAP की ब‍िक्री

फसल बुवाई का नया सीजन लगते ही खाद की मांग बढ़ जाती है. ऐसे में किसानों का काम सिर्फ सरकारी आपूर्ति से नहीं हो पाता है. कुछ यही हाल हरियाणा में बना हुआ है, जहां सरकार कह रही है कि राज्‍य में भरपूर खाद डीएपी है, लेकिन किसान डीएपी की कमी की शिकायत कर रहे हैं. दो जिलों में केंद्रों पर अव्‍यवस्‍था और कुप्रबंधन की शिकायत के बाद पुलिस की निगरानी में डीएपी बेचने की नौबत आ गई.

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हरियाणा में सरकारी खाद केंद्रों पर किसानों की भारी भीड़, पुलिस की निगरानी में हो रही DAP की ब‍िक्रीहरि‍याणा में पुलिस की देख-रेख में बेचा जा रहा डीएपी. (सांकेति‍क तस्‍वीर)

पूरे देश में रबी फसलों की बुवाई का समय चल रहा है. हरियाणा में ज्‍यादातर किसान गेहूं और सरसों की बुवाई करते हैं. लेकिन, बुवाई के लिए जरूरी डीएपी खाद की कमी से परेशान हैं. यही वजह है कि किसानों में डीएपी हासिल करने की होड़ मची है और सरकारी खाद वितरण केंद्रों पर पुलिस की निगरानी में खाद बिक्री करनी पड़ रही है. जींद और भिवानी में केंद्रों पर डीएपी खाद की कमी और बिक्री में अव्‍यवस्‍था को लेकर किसानों की शिकायत को देखते हुए अधिकारियों ने यहां पुलिस की मदद से खाद वितरण करवाया. सरकारी केंद्रो पर किसानों भारी भीड़ लग रही है.

अफसर बोले- खाद की कमी नहीं

'दि ट्रिब्‍यून' की रिपोर्ट के मुताबिक, कृषि विभाग के अधिकारियों ने कहा कि राज्‍य में खाद की कमी नहीं है. किसानों की जरूरत के अनुसार डीएपी उपलब्‍ध कराई जा रही है. हालांकि, उन्‍होंने यह स्‍वीकार किया कि स्थानीय प्रशासन और खाद डिस्‍ट्रीब्यूट करने वाली वाली कंपनियों में को-ऑर्डिनेशन की कमी की बात सुनने को मिल रही है, जिसकी वजह से कुछ जिलों में अव्‍यवस्‍था देखने को मिल रही है. कृषि विभाग के अनुसार, पिछले साल हरियाणा में रबी सीजन के दौरान कुल डीएपी की खपत 2,10,380 मीट्रिक टन थी.

ऐसे में इस बार चालू सीजन में भी इतने ही डीएपी की जरूरत है. अक्टूबर 2023 में किसानों को 1,19,470 मीट्रिक टन डीएपी उपलब्‍ध कराया गया था, लेकिन इस साल 1 अक्टूबर के 2 नवंबर के बीच किसानों को 1,15,197 मीट्रिक टन डीएपी बेचा गया है. यह पिछले बार के मुकाबले 4,273 मीट्रिक टन कम है. इसे लेकर अफसरों का कहना है कि डीएपी की इतनी मात्रा कम होने को किल्‍लत नहीं कहा जा सकता. आंकड़ों के अनुसार, 23,655 मीट्र‍िक टन डीएपी की और जरूरत है. 

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किसानों का आरोप- कालाबाजारी हो रही 

वहीं, किसान ने डीएपी की कालाबाजारी होने की बात कह रहे हैं. उनका कहना है कि महंगे दाम पर डीएपी की बिक्री हो रही है. एक किसान ने बताया कि उन्‍हें सरसों की बुवाई के लिए डीएपी चाहिए था, लेकिन कमी के च‍लते नहीं मिला. फिर उन्‍होंने 1,900 रुपये प्रति बैग कीमत चुकाकर 10 बैग डीएपी खरीदे, जबकि‍ डीएपी की प्रति बोरी सरकारी दर 1350 रुपए तय है.

किसान संगठन कर रहे खाद आपूर्ति‍ की मांग

बता दें कि किसान संगठन लगातार डीएपी की कमी और कालाबाजारी की बात कह रहे हैं. हाल ही में हिसार में किसान संगठन अखिल भारतीय किसान सभा (AIKS) ने रोकतक में डिप्‍टी कमिश्‍नर कार्यालय में मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा था. ज्ञापन में पराली जलाने पर दर्ज की जा रही कार्रवाई बंद करने, पराली प्रबंधन पर सब्सिडी में बढ़ोतरी, डीएपी स्‍टॉक, खाद बिक्री केंद्रों पर स्टॉक बोर्ड लगाने जैसी किसानों की मांगों को रखा गया था.

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