बढ़ती गर्मी से बचा सकते हैं अपनी फसल, कृषि एक्सपर्ट से जान लें उपाय

बढ़ती गर्मी से बचा सकते हैं अपनी फसल, कृषि एक्सपर्ट से जान लें उपाय

कृषि वैज्ञानिक डॉ. सिंह कहते हैं, कई जगह अभी गेहूं की बाली नहीं निकली है. जब तक बाली निकलेगी तब तक तापमान और बढ़ जाएगा. इससे बालियों की बढ़वार पर बुरा असर पड़ेगा. किसान अगर गेहूं में सिंचाई करते हैं तो फसल के गिरने का डर रहेगा. जब गेहूं की बाली आएगी और मिल्किंग स्टेज में तापमान बढ़ेगा तो उसका दाना सूख जाएगा.

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बढ़ती गर्मी से बचा सकते हैं अपनी फसल, कृषि एक्सपर्ट से जान लें उपायडॉ एस पी सिंह (कृषि वैज्ञानिक, कृषि विज्ञान केंद्र चंदौली)

फरवरी महीने में मार्च सी गर्मी पड़ने लगी है. जो तापमान मार्च महीने में होता, वह फरवरी के अंतिम हफ्ते में दर्ज होने लगा है. अभी 33-34 डिग्री वाला तापमान लोगों से अधिक फसलों को मार रहा है. गेहूं से लेकर दलहन और तिलहन तक पर असर देखा जा रहा है. जिन खेतों में गेहूं की बालियां नहीं आई हैं, उन खेतों में बड़ा असर दिख सकता है. गेहूं के फूल मुर्झाने और दाने सिकुड़ने की चिंता है. इसके साथ ही बढ़ते तापमान से सरसों पर माहू का असर बढ़ जाएगा. इसी तरह दलहन की फसलें भी कमजोर हो जाएंगी जिससे उत्पादन घट जाएगा. इन सबके चलते किसानों की आय घटती नजर आ रही है.

लेकिन क्या इस तापमान का कोई उपाय नहीं है? कृषि विशेषज्ञों की मानें तो फरवरी-मार्च में बढ़ते तापमान को कम करने के लिए किसान कुछ उपाय आजमा सकते हैं. इससे उनकी फसल पूरी तरह से चौपट होने से बच जाएगी. कृषि विज्ञान केंद्र चंदौली के कृषि वैज्ञानिक डॉ एसपी सिंह ने 'आजतक' से इस बारे में विस्तार से जानकारी दी. एसपी सिंह कहते हैं कि फरवरी में बढ़ते तापमान से फसलों की उपज घट जाएगी. 

कृषि वैज्ञानिक डॉ. सिंह कहते हैं, कई जगह अभी गेहूं की बाली नहीं निकली है. जब तक बाली निकलेगी तब तक तापमान और बढ़ जाएगा. इससे बालियों की बढ़वार पर बुरा असर पड़ेगा. किसान अगर गेहूं में सिंचाई करते हैं तो फसल के गिरने का डर रहेगा. जब गेहूं की बाली आएगी और मिल्किंग स्टेज में तापमान बढ़ेगा तो उसका दाना सूख जाएगा. इसके अलावा बाकी फसलों पर भी असर देखा जाएगा. 

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डॉ. सिंह कहते हैं, कुछ फसल के लिए बढ़ता तापमान फायदेमंद है. जैसे सरसों को इससे फायदा होगा और उसकी फली जल्दी पकेगी. लेकिन तापमान बहुत अधिक बढ़ेगा तो किसानों को पिछेती सरसों पर नुकसान झेलना पड़ेगा. तापमान अधिक बढ़ने पर देर से बोई गई सरसों पर माहू का अटैक बढ़ जाएगा. माहू सरसों को पूरा खत्म कर देगा. किसान सरसों को माहू से बचाने के लिए एमिडा क्लोरोपिड का छिड़काव कर सकते हैं. इससे सरसों को बचाया जा सकता है.

कृषि वैज्ञानिक डॉ. सिंह कहते हैं कि गेहूं को बढ़ते तापमान से बचाने के लिए उसमें सिंचाई की जा सकती है. इससे गिरने का खतरा रहेगा, लेकिन किसानों के सामने दूसरा कोई विकल्प भी नहीं है. सिंचाई करने से दाने नहीं सिकुड़ेंगे. खेत में नमी बने रहने से दाने कुछ बढ़ेंगे और उत्पादन बहुत अधिक नहीं मारा जाएगा. 

किसानों ने अभी खेतों में अरहर की बड़े पैमाने पर खेती की है. इसमें बढ़ते तापमान की वजह से फ्रूट बोरर कीट लगने का खतरा है. कई जगह इस कीट का आक्रमण अरहर पर हो गया है. इससे बचने के लिए किसानों को फसल पर एंडोकार्प के तीन स्प्रे करने होंगे. इससे अरहर को बचाने में मदद मिलेगी.

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चना भी इसी सीजन में होता है जिस पर बढ़ते तापमान का भारी असर दिख सकता है. चने में भी अधिक तापमान और मौसमी बदलाव से फ्रूट बोरर कीट का खतरा बढ़ जाता है. इससे चने को बचाने के लिए एंडोकार्ड का छिड़काव किया जा सकता है. अगर अभी चने पर एंडोकार्प का दो स्प्रे कर दें तो चने की फसल को बचाया जा सकता है. अन्यथा तापमान की मार फसलों पर गंभीरता से पड़ेगी.

तापमान बढ़ने से फसलों पर कीटों का आक्रमण बढ़ जाता है क्योंकि कीटों का जीवन चक्र बढ़ जाता है. सामान्य तापमान में अगर कोई कीट 15 दिन जिंदा रहेगा, तो तापमान बढ़ने पर उसका जीवन चक्र एक महीने तक भी जा सकता है. इससे फसलों पर अधिक दिनों तक खतरा बना रहेगा. फ्रूट बोरर 30 दिन में अपना जीवन चक्र पूरा करता है. इसी 30 दिन में उसका लार्वा फसलों को खाकर खत्म हो जाता है. लेकिन तापमान बढ़ने पर यह जीवन चक्र और अधिक दिन तक जा सकता है.(रिपोर्ट/उदय गुप्ता)

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