यूपी और एमपी के बुंदेलखंड इलाके में उपजाऊ जमीन न होने के कारण किसानों के लिए खेत से बेहतर उपज ले पाना आसान काम नहीं है. ऐसे में बुंदेलखंड जैसे कम उपजाऊ इलाकों में खेती की लागत लगातार बढ़ रही है. इस वजह से सरकार ने इस इलाके के किसानों को आय के स्रोत बढ़ाने के लिए पशुपालन सहित अन्य क्षेत्रों से जोड़ने के लिए तमाम योजनाएं शुरू की हैं. इसमें प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर बुंदेलखंड इलाके में किसानों के लिए Village Tourism को भी कारगर उपाय के रूप में शामिल किया गया है. इसके लिए झांसी स्थित केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय में ग्राम पर्यटन से जुड़ी सुविधाओं का एक ऐसा मॉडल बनाया जा रहा है, जिसकी तर्ज पर किसान अपने खेत को Tourist Spot के रूप में विकसित कर सकेंगे.
किसान अपने खेत पर ही इस प्रकार की Tourist Activities विकसित कर सकते हैं, जिनका लुत्फ उठाने के लिए सैलानी सीधे खेत खलिहान का रुख कर सकें. इस तरह की गतिविधियों में Mud Bath, Cooking, Swimming और Tracking आदि को शामिल करते हुए खेत पर ही तालाब, झोपड़ी और देसी लजीज खाना बनाने के लिए किचन बनाने की बात किसानों को सिखाने के लिए यूपी में सरकार ने पर्यटन ग्राम नीति लागू की है.
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इतना ही नहीं इस फार्म में पशुपालन भी किया जाएगा. जिसमें मुर्गा मुर्गी, भेड़, बकरी, बतख, गाय और भैंस पालन किया जाएगा. इससे किसान की आय होने के साथ पालतू जानवरों के पालन पोषण के बारे में बच्चों एवं अन्य सैलानियों को बताया जाएगा. फार्म में तोता, मोर सहित अन्य पक्षी भी पाले जाएंगे, जिनसे बच्चों का मनोरंजन हो सकेगा.
देश के किसी कृषि विश्वविद्यालय में यह पहला एग्री टूरिज्म फार्म होगा. इसे यूनिवर्सिटी कैंपस में 10 एकड़ जमीन पर विकसित किया जा रहा है. यहां आने वाले पर्यटकों को विश्वविद्यालय में हो रही खेती और इससे जुड़े नए प्रयोगों का भी Demonstration किया जाएगा. सैलानियों को टूरिज्म फार्म के अलावा पूरा कैंपस ई कार से घुमाया जाएगा. इसमें बन रहे भव्य तालाब में बुंदेलखंड में आसानी से पाली जा सकने वाली मछली रोहू, टिगार और कतला को डाला गया है. तालाब के चारों ओर फल एवं सब्जियों का पार्क बनाया गया है. प्रो सिंह ने बताया कि फार्म में एक मशरूम हट भी बनाई गई है. इसमें उगने वाली बेहतर किस्म की मशरूम का लजीज स्वाद सैलानी ले सकेंगे.
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इस प्रोजेक्ट की भावी योजना के तहत जल्द ही बुंदेलखंड में यूपी और एमपी के किसानों को विलेज टूरिज्म की ट्रेनिंग भी दी जाएगी. जिससे शहरी इलाकों से सटे गांवों के किसान अपने खेत में पर्यटन की सुविधाएं विकसित कर सकेंगे. साथ ही जिन किसानों ने खेत तालाब योजना में तालाब बनवाए हैं या बागवानी से जुड़ी योजनाओं का लाभ अपने खेत में लिया है, उन किसानों को खेत में ही पर्यटन से जुड़ी गतिविधियां शुरू करने के बारे में सिखाया जाएगा.
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