गेहूं का अभी सीजन चल रहा है. ठंड बढ़ने से गेहूं की फसल अच्छी बढ़वार ले रही है और आगे बंपर उपज मिलने की संभावना है. किसान कुछ खास बातों का ध्यान रखते हुए गेहूं की फसल को स्वस्थ बनाए रख सकते हैं. इसमें सिंचाई और खरपतवार नियंत्रण का सबसे अहम रोल है. गेहूं की फसल के पूरे जीवन में 35 से 40 सेमी पानी की जरूरत होती है. पानी की जरूरत सबसे अधिक तब होती है जब गेहूं की क्राउन यानी कि छत्रक, जड़ों और बालियों के निकलने का समय होता है. इन तीनों समय पर गेहूं को पानी देना जरूरी होता है वर्ना फसल स्वस्थ नहीं होगी.
गेहूं के पूरे फसल चक्र के दौरान चार से छह बार सिंचाई की जरूरत होती है. अगर मिट्टी भारी हो तो उसमें चार बार और हल्की मिट्टी हो तो उसमें छह बार सिंचाई की जरूरत होती है. गेहूं में छह अवस्थाएं ऐसी होती हैं जिनमें सिंचाई बहुत फायदा करती है. इन्हीं अवस्थाओं के अनुसार गेहूं की सिंचाई करनी चाहिए. आइए जानते हैं ये छह अवस्थाएं क्या हैं और कब गेहू में अंतिम सिंचाई करनी चाहिए.
अगर गेहूं की फसल देर से बोई गई हो तो पहली सिंचाई बुआई के 18-20 दिनों बाद और बाद की सिंचाई 15-20 दिनों बाद करनी चाहिए. सिंचाई के बाद एक तिहाई नाइट्रोजन का छिड़काव करने की सलाह दी जाती है. कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि खरपतवार फसलों को मिलने वाली 47 परसेंट नाइट्रोजन, 42 परसेंट फॉस्फोरस, 50 परसेंट पोटाश, 24 परसेंट मैग्नीशियम और 39 परसेंट कैल्शियम का उपयोग करते हैं. इसके अलावा खरपतवार उन कीटों और रोगों को भी आसरा देते हैं जो फसलों को नुकसान पहुंचा सकते हैं. इसलिए खरपतवार को खत्म करना बहुत जरूरी होता है.
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अगर गेहूं में फफूंद से जुड़ी कोई बीमारी दिखे तो उसमें प्रोपिकोनॉजोल का 0.1 परसेंट या मैंकोजेब का 0.2 परसेंट घोल का छिड़काव किया जा सकता है. गेहूं की फसल को चूहों से बचाने के लिए जिंक फॉस्फाइड या एल्युमिनियम फॉस्फाइड की टिकियों से बने चारे का प्रयोग कर सकते हैं. इससे चूहे मर जाएंगे. गेहूं में अगर संकरी पत्ती वाली घास उग आए तो उसके लिए पेंडीमेथिलीन 1000-1500 ग्राम प्रति हेक्टेयर बुआई के 1-3 दिनों के अंदर छिड़काव करें.
चौड़ी पत्ती वाली घास गेहूं में उग आए तो 2.4 डीई 500 ग्राम प्रति हेक्टेयर में बुआई के 30-35 दिनों बाद इस्तेमाल करें. मेटसल्फ्यूरॉन चार ग्राम प्रति हेक्टेयर खेत में बुआई के 30-35 दिनों बाद प्रयोग करें. किसान आइसोप्रोटयूरॉन 750 ग्राम प्रति हेक्टेयर बुआई के 30-35 दिनों बाद छिड़काव करें. संकरी पत्ती वाली घास के लिए किसान पीनाक्साडेन 35 से 40 ग्राम प्रति हेक्टेयर बुआई के 30-35 दिनों बाद छिड़काव करना चाहिए.
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