Wheat Crop: गेहूं की फसल देर से बोई है तो तुरंत करें ये उपाय, पैदावार के नुकसान से बच सकते हैं

Wheat Crop: गेहूं की फसल देर से बोई है तो तुरंत करें ये उपाय, पैदावार के नुकसान से बच सकते हैं

कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि देर से बोई गई गेहूं की फसल यदि 21-25 दिन की हो गई हो तो पहली सिंचाई आवश्कयतानुसार करें और 3-4 दिन के बाद नत्रजन की बाकी मात्रा का छिड़काव करें. गेहूं की फसल में यदि दीमक का प्रकोप दिखाई दे, तो बचाव के लिए किसान क्लोरपायरीफांस 20 ई.सी. @ 2.0 ली. प्रति एकड़ 20 कि.ग्रा. बालू में मिलाकर खेत में शाम को छिड़क दें और सिंचाई करें. इससे फसल को हुए नुकसान की भरपाई हो सकेगी.

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Wheat Crop: गेहूं की फसल देर से बोई है तो तुरंत करें ये उपाय, पैदावार के नुकसान से बच सकते हैंगेहूं की खेती के लिए कृषि सलाह

अभी रबी का सीजन चल रहा है. रबी में गेहूं की फसल सबसे महत्वपूर्ण होती है. कुछ किसानों ने समय से तो कुछ किसानों ने देरी से गेहूं की बुवाई की है. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि फसल को अगर देरी से बोया गया है, तो उसकी पैदावार पर क्या असर होगा. विशेषज्ञ बताते हैं कि अगर गेहूं की बुवाई देरी से की गई है तो उसकी पैदावार प्रभावित हो सकती है क्योंकि ठंड का प्रकोप हो सकता है. देरी से बुवाई करने से गेहूं की फसल पर पाले का असर अधिक हो सकता है. इसे देखते हुए कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि किसानों को कुछ उपाय करने चाहिए ताकि फसल को नुकसान से बचाया जा सके.

कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि देर से बोई गई गेहूं की फसल यदि 21-25 दिन की हो गई हो तो पहली सिंचाई आवश्कयतानुसार करें और 3-4 दिन के बाद नत्रजन की बाकी मात्रा का छिड़काव करें. गेहूं की फसल में यदि दीमक का प्रकोप दिखाई दे, तो बचाव के लिए किसान क्लोरपायरीफांस 20 ई.सी. @ 2.0 ली. प्रति एकड़ 20 कि.ग्रा. बालू में मिलाकर खेत में शाम को छिड़क दें और सिंचाई करें. इससे फसल को हुए नुकसान की भरपाई हो सकेगी.

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ठंड और पाले से बचाएं फसल

सरसों की बुवाई भी देरी से की जाए तो उस पर विपरीत असर होता है. देर से बोई गई सरसों की फसल में विरलीकरण और खरपतवार नियंत्रण का काम करना जरूरी होता है. मौजूदा मौसम को ध्यान में रखते हुए सरसों की फसल में सफ़ेद रतुआ रोग और चेपा कीट की नियमित रूप से निगरानी करें. इससे बचाव के लिए किसानों को फसलों पर दवा का छिड़काव जरूरी हो जाता है.

कुछ अन्य फसलों के बारे में भी जान लेते हैं जिन्हें ठंड, पाले और कोहरे से बचाना चरूरी होता है. चने की फसल में फली छेदक कीट के निगरानी के लिए फीरोमोन प्रपंश @ 3-4 प्रपंश प्रति एकड़ उन खेतों में लगाएं जहां पौधों में 10-15 प्रतिशत फूल खिल गए हों. फसल को बचाने के लिए “T” अक्षर आकार के पक्षी बसेरा खेत के अलग-अलग जगहों पर लगाएं.  

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किसानों के लिए सलाह

  • गोभीवर्गीय फसल में हीरा पीठ इल्ली, मटर में फली छेदक और टमाटर में फल छेदक की निगरानी के लिए फीरोमोन प्रपंश @ 3-4 प्रपंश प्रति एकड़ खेतों में लगाएं. 
  • इस मौसम में तैयार बंदगोभी, फूलगोभी, गांठगोभी आदि की रोपाई मेड़ों पर कर सकते हैं.
  • इस मौसम में पालक, धनिया, मेथी की बुवाई कर सकते हैं. पत्तों के बढ़वार के लिए 20 कि.ग्रा. यूरिया प्रति एकड़ की दर से छिड़काव कर सकते हैं.
  • इस मौसम में आलू और टमाटर में झुलसा रोग की निरंतर निगरानी करते रहें. लक्षण दिखाई देने पर कार्बंडिजम 1.0 ग्राम प्रति लीटर पानी या डाईथेन-एम-45 2.0 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें.
  • इस मौसम में प्याज की समय से बोई गई फसल में थ्रिप्स के आक्रमण की निरंतर निगरानी करते रहें. प्याज में परपल ब्लोस रोग की निगरानी करते रहें. रोग के लक्षण पाए जाने पर डाएथेन-एम-45 @ 3 ग्रा./ली. पानी किसी चिपकने वाले पदार्थ जैसे टीपोल आदि (1 ग्रा. प्रति एक लीटर घोल) में मिलाकर छिड़काव करें.
  • मटर की फसल पर 2 प्रतिशत यूरिया के घोल का छिड़काव करें जिससे मटर की फल्लियों की संख्या में बढ़ोतरी होती है.
  • कद्दूवर्गीय सब्जियों के अगेती फसल के पौध तैयार करने के लिए बीजों को छोटी पॉलीथीन के थैलों में भर कर पाली घरों में रखें.

 

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