मसूर के लिए जानलेवा है उकठा रोग, किसान ऐसे करें बचाव

मसूर के लिए जानलेवा है उकठा रोग, किसान ऐसे करें बचाव

उकठा रोग विनाशकारी मृदाजनित होता है. इसमें किसानों के खेतों में उपज का 50 प्रतिशत तक नुकसान होता है. उकठा रोग बहुत तेजी से फैलने वाले रोगों में से एक है. अंकुरण एवं वानस्पतिक या फसल के प्रजनन चरणों को प्रभावित करता है. इससे बचाव के लिए रोग की प्रतिरोधक किस्मों का प्रयोग करें और रोकथाम के लिए 400 ग्राम M-45 को 200 लीटर पानी में डालकर प्रति एकड़ में छिड़काव करना चाहिए.

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मसूर के लिए जानलेवा है उकठा रोग, किसान ऐसे करें बचावlentils farming

भारत दुनिया का सबसे बड़ा मसूर उत्पादक देश है. हमारे देश में मसूर का उपयोग दाल के एक प्रमुख अवयव के रूप में किया जाता है. यह एक महत्वपूर्ण प्रोटीनयुक्त दलहनी फसल है. यह दाल गहरी संतरी और संतरी पीले रंग की होती है. इसका उपयोग बहुत सारे पकवानों में भी किया जाता है .यह कपड़ों की छपाई के लिए स्टार्च का स्त्रोत भी मुहैया कराता है. इसे गेहूं के आटे में मिलाकर ब्रैड और केक भी बनाये जाते हैं. इस तरह से मसूर का उपयोग दाल के अलावा भोजन के विभिन्न रूपों में किया जाता है.इसलिए इसका बाज़ार बना बनाया हुआ है. अगर आप मसूर की खेती कर रहे हैं तो इस फसल को नुकसान पहुंचाने वाले प्रमुख रोगों व कीटों के नियंत्रण के प्रति जागरूक रहें. ताकि पैदावार के मामले में आपको नुकसान नहीं उठाना पड़े और सही न्समय पर फसलों का उपचार किया जा सके.

ऐसे तो तो मसूर पर कई रोग लगते है लेकिन इनमें सबसे महत्वपूर्ण और विनाशकारी मृदाजनित रोग फ्रयूजेरियम उकठा रोग है. इसमें किसानों के खेतों में उपज का 50 प्रतिशत तक नुकसान होता है. उकठा रोग बहुत तेजी से फैलने वाले रोगों में से एक है. समय रहते अगर इस पर नियंत्रण नहीं किया गया तो फसल पूरी तरह नष्ट हो सकती है. यह रोग 22-25 डिग्री सेल्सियस तापमान पर पनपता है और मसूर के अंकुरण एवं वानस्पतिक या फसल के प्रजनन चरणों को प्रभावित करता है.  इस रोग की वजह से कई बार तो प्रभावित पौधा पूरी तरह से सूख जाता है. इससे बचाव के लिए रोग की प्रतिरोधक किस्मों का प्रयोग करें और रोकथाम के लिए 400 ग्राम M-45 को 200 लीटर पानी में डालकर प्रति एकड़ में छिड़काव करें.

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रोग का कारण और लक्षण

उकठा रोग मिट्टी में रहने वाले फ्यूजेरियम समूह के फफूंद के द्वारा होता है. मौसम में होने वाला बदलाव भी इस रोग के उत्पन्न होने के मुख्य कारणों में से एक है.  इसके लक्षण उकठा रोग से प्रभावित पौधों की ऊपरी पत्तियां और अन्य मुलायम भाग मुरझाने लगते हैं. रोग बढ़ने पर पूरा पौधा सूख जाता है.

बचाव के उपाय

फसल चक्र अपनाने से इस रोग के होने की संभावना काफी कम हो जाती है.

रोग से संक्रमित पौधों को खेत से बाहर निकाल कर नष्ट कर दें.

संक्रमित क्षेत्रों में मसूर की खेती न करें.

बुवाई से पहले प्रति किलोग्राम बीज को 10 ग्राम ट्राइकोडर्मा विरिडी 1% डबल्यू.पी से उपचारित करें.

खेत तैयार करते समय प्रति एकड़ खेत में 40 किलोग्राम सड़ी हुई गोबर की खाद में 1.5 से 2 किलोग्राम ट्राइकोडर्मा विरिडी मिलाकर खेत में समान रूप से मिलाएं.

इसके अलावा प्रति लीटर पानी में 3 ग्राम कॉपर ऑक्सी क्लोराइड मिलाकर छिड़काव करें.

रोग के लक्षण दिखने पर कार्बेन्डाज़िम 50 डब्लू.पी 0.2 प्रतिशत घोल को पौधों की जड़ों में डालें.

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