खेती में बढ़ते हुए उर्वरक के प्रयोग के चलते मिट्टी की उर्वरता कम होने लगी है. मिट्टी की घटती उर्वरा शक्ति के चलते फसलों की उत्पादकता भी प्रभावित होने लगी है. ऐसे में अब कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा दलहनी फसलों की बुवाई करने की किसानों को सलाह दी जा रही है. दलहनी फसलों की खेती से भूमि में उपस्थित पोषक तत्वों का सही इस्तेमाल पौधे करने लगते हैं जिससे मिट्टी के स्वास्थ्य में तेजी से सुधार होता है. वर्तमान समय में किसान दलहनी फसलों की खेती करने से हिचकते हैं. इसके चलते फसलों की उत्पादन लागत में भी वृद्धि हो रही है .
इन सबके बीच किसानों को अधिक से अधिक दालों की खेती करने की सलाह दी जा रही है ताकि भोजन में पोषण मिले. दालों के आयात को रोकने के लिए भी देश में इसकी खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है.
फसल चक्र के अंतर्गत जायद, खरीफ और रबी में से किसी भी सीजन में एक फसल के रूप में दलहन की खेती को अनिवार्य बताया गया है. काशी हिंदू विश्वविद्यालय के रिटायर्ड प्रोफेसर एमपी सिंह ने किसान तक को बताया कि दलहन फसलों की खेती करने से हवा में उपस्थित नाइट्रोजन का उपयोग पौधे सीधे करने लगते हैं. इससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति पर असर पड़ता है. एक हेक्टेयर भूमि पर अगर किसान के द्वारा अरहर की खेती की जाती है तो इससे जमीन को 220 किलोग्राम नाइट्रोजन की प्राप्ति होती है.
इसके अलावा खेत में पत्तियों के गिरने से लगभग पांच से 10 टन जैविक खाद भी मिलती है. इसके साथ ही किसानों को पीसीबी के घोल का भी प्रयोग करना चाहिए. इस घोल के प्रयोग से हमारी जमीन फास्फोरस का उपयोग करने लगती है जिससे फसल के उत्पादन पर बड़ा असर होता है.
काशी हिंदू विश्वविद्यालय के रिटायर्ड प्रोफेसर एमपी सिंह ने मूंग, अरहर जैसी 10 प्रमुख किस्मों को विकसित करने का काम किया है. वे बताते हैं कि फसल चक्र अपने से मिट्टी की सेहत अच्छी रहती है. हमारी मिट्टी प्यासी ही नहीं बल्कि भूखी भी है. इसलिए इसकी सेहत को ध्यान रखना काफी जरूरी है. किसान खेतों में बिना रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग से भी अच्छा उत्पादन ले सकते हैं. इसके लिए मूंग या उड़द जैसी फसलों की खेती करके उनकी फलियों को खेत से ही तोड़ लें और फिर पूरे पौधे को मल्चिंग करके मिट्टी में सड़ने दें. इससे फसलों को जैविक खाद की मात्रा बड़े पैमाने पर मिलती है. दलहन फसलों की खेती से मिट्टी में कार्बनिक तत्व के साथ-साथ सूक्ष्मजीवों की संख्या में भी तेजी से वृद्धि होती है जो पौधों के विकास और फसलों के उत्पादन के लिए जरूरी है.
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