सरसों के लिए बहुत खतरनाक हैं ये कीट, नहीं किया बचाव तो फसल हो जाएगी चौपट 

सरसों के लिए बहुत खतरनाक हैं ये कीट, नहीं किया बचाव तो फसल हो जाएगी चौपट 

सरसों की फसल पर कीट का भयंकर प्रकोप बढ़ते जा रहा है. इससे कहीं ना कहीं सरसों की फसल की पैदावार को लेकर किसान चिंतित नजर आ रहे हैं क्योंकि इन कीटों से उपज में काफी कमी आ सकती है और किसानों पर आर्थिक बोझ बढ़ सकता है.

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सरसों के लिए बहुत खतरनाक हैं ये कीट, नहीं किया बचाव तो फसल हो जाएगी चौपट सरसों की फसल में लगने वाले कीट

सरसों रबी की एक प्रमुख तिलहन फसल है. इस फसल का भारत की अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण स्थान है. वहीं इन दिनों देश के कई राज्यों में सरसों की फसल के ऊपर कई रोग का प्रकोप और असर देखने को मिल रहा है. दरअसल, लगातार पड़ रही कड़ाके की ठंड और कोहरे के कारण सरसों की फसल पर कीट का भयंकर प्रकोप बढ़ते जा रहा है. इससे कहीं ना कहीं सरसों की फसल की पैदावार को लेकर किसान चिंतित नजर आ रहे हैं क्योंकि इन कीटों से उपज में काफी कमी आ सकती है और किसानों पर आर्थिक बोझ बढ़ सकता है. इसके लिए सबसे ज़रूरी है कि कीटों की पहचान करना. ऐसे में बिहार के कृषि विभाग ने सरसों की फसल में लगने वाले दो प्रमुख कीटों की पहचान और प्रबंधन का वैज्ञानिक तरीका बताया है. आइए जानते हैं सरसों में लगने वाले कीटों की पहचान और रोकथाम के बारे में.

सरसों में लाटी कीट के लक्षण

सरसों की फसल के लिए लाही कीट (Aphid) एक गंभीर खतरा है. ये छोटे भूरे या काले रंग के कीट पौधों का रस चूसकर उनके विकास को बाधित कर देते हैं. जब लाही कीट पौधों का रस चूसते हैं, तो पौधों की पत्तियां धीरे-धीरे मुरझाने लगती है और सिकुड़ जाती हैं. इससे पौधों की वृद्धि रुक जाती है और पौधे कमजोर हो जाते हैं. इससे फलियों में दाने नहीं बन पाते हैं, जिससे फसल का उत्पादन भारी मात्रा में कम हो जाता है.

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लाही कीट से बचाव के उपाय

फसलों को लाही कीट से बचाने के लिए 5-6 पीली स्टिकी ट्रैप प्रति एकड़ खेत में लगाना चाहिए. ये ट्रैप कीटों को आकर्षित करके फंसा लेते हैं, जिससे उनकी संख्या में कमी आती है. इसके अलावा खेत में खरपतवार को समय-समय पर हटाएं, ताकि लाही कीट को शरण न मिल सके और इनका प्रकोप कम हो. साथ ही जब सरसो की फसल 40-45 दिन की हो और लाही कीटों का प्रकोप दिखाई दे तो, क्लोरोपायरीफॉस 20% EC 200 मिलीलीटर दवा को 200 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ खेत में स्प्रे के माध्यम से छिड़काव करें. इससे लाही कीट और अन्य कीटों को नष्ट किया जा सकता है.

आरा मक्खी कीट के लक्षण

सरसों की फसल में हानि पहुंचाने वाली आरा मक्खी कीट को इंग्लिश में सॉ फ्लाई कहा जाता है. इस कीट के लार्वा काले और भूरे रंग के होते हैं, जो वे पत्तियों के किनारों या पत्तियों के बीच में रहते हैं. ये सरसों की पत्तियों को टेढ़े-मेढ़े तरीके से खाती हैं और उसमें छेद कर देती हैं. आरा मक्खी कीट पूरे पौधे की पत्तियों को खाकर खत्म कर देती है और पौधा पत्ता विहीन हो जाता है, जिससे उत्पादन पर काफी असर पड़ता है.

आरा कीट से ऐसे करें बचाव

आरा मक्खी कीट से नियंत्रण के लिए जब पौधा थोड़ा बड़ा हो रहा हो उस अवस्था में सिंचाई करना बहुत फायदेमंद होता है, क्योंकि अधिकांश लार्वा डूबने के कारण मर जाते हैं. साथ ही सुबह और शाम को आरा मक्खी के ग्रबों को एकत्र करना और नष्ट करना चाहिए. इसके अलावा करेले के बीज के तेल के इमल्शन का एंटीफिडेंट के रूप में उपयोग करना चाहिए. इस कीट के प्रकोप होने पर फसल पर मैलाथियान 50 ईसी @ 400 मिली/एकड़ या क्विनालफॉस 25 ईसी @ 250 मिली दवा को 200 से 250 लीटर पानी में प्रति एकड़ हिसाब छिड़काव से करना चाहिए. इस तरह से आरा मक्खी के प्रकोप को समाप्त किया जा सकता है.

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