देश के किसान रबी फसलों की खेती के लिए खेतों में उतर गए है. वहीं, उत्तर भारत में कोहरे का असर और खेतों में नमी आते ही किसान आलू की फसल लगाने की तैयारी में जुट गए हैं. लेकिन, अगर किसान अच्छी उपज चाहते हैं तो कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी होता है. जैसे, आलू की बुआई से पहले किस विधि का इस्तेमाल करें? कौन सी खाद कितनी मात्रा में डालें कि उपज दुगनी हो जाए. ये सभी सवाल किसानों के मन में जरूर आते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं आलू की खेती किन बातों का ध्यान रखने पर कम लागत अधिक उत्पादन मिलेगा.
किसानों को आलू की खेती में अंतिम जुताई से पहले प्रति हेक्टेयर ढाई से तीन क्विंटल कम्पोस्ट जरूर डालना चाहिए. इसके साथ ही आलू की बुवाई से पहले और अंतिम जुताई के बाद 100 से 150 किलो नाइट्रोजन प्रति हेक्टेयर डालना चाहिए. इसके अलावा फास्फोरस भी 60 से 100 किलो प्रति हेक्टेयर के हिसाब से खेत में डाल दें. साथ ही आलू की खेती के लिए सबसे उप्युक्त पोटाश 150 किलो प्रति एकड़ के हिसाब से डालें.
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आलू की खेती में सबसे ज्यादा ध्यान देने वाली बात बीजों का चयन होता है. खेत की तैयारी के बाद सबसे जरूरी काम होता है, अच्छी क्वालिटी के रोग मुक्त बीज का चयन करना. दरअसल, आलू की खेती में सबसे बड़ी समस्या अगेती और पछेती झुलसा रोग की होती है. इससे किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ता है. ऐसे में खेती के लिए कई सारी ऐसी किस्में हैं जो इस रोग से लड़ने में सक्षम होती हैं. इसलिए अगर आप पहली बार आलू की खेती करने जा रहे हैं तो बुवाई के लिए रोग से लड़ने वाली किस्मों का ही चयन करें.
आलू की खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी बेहतर मानी जाती है. मिट्टी का पीएच मान 4.8 से 5.4 के बीच होना चाहिए. साथ ही इसके बीज के अंकुरण के लिए 22 से 24 डिग्री सेल्सियस तापमान बेहतर होता है. खास बात यह है कि आलू की बुवाई करने से पहले खेत की तीन से चार बार अच्छी तरह से जुताई करना चाहिए. इसके बाद पाटा चलाकर खेत को समतल और मिट्टी को भुरभुरी बना लें. फिर आलू की बुवाई करने से पहले खेत में खादों का छिड़काव करें. वहीं, बुवाई के वक्त ध्यान रखें कि बीज का साइज 25-25 मिमी से 45 मिमी का होना चाहिए.
भारत में किसान आलू की कई किस्मों की खेती करते हैं. लेकिन कुफरी पुखराज, कुफरी अशोका, कुफरी अलंकार, कुफरी लालिमा और कुफरी सदाबहार आलू की बेहतरीन किस्में हैं. इन किस्मों की बुवाई करने पर बंपर पैदावार मिलती है. वहीं, अगर सबसे कम दिन में पक कर तैयार होने वाली आलू की बात करें, तो कुफरी अशोका, कुफरी अलंकार और कुफरी लालिमा सहित कई किस्में हैं, जो महज 70 से 100 दिनों में तैयार हो जाती हैं. इन किस्मों की खेती करके किसान बंपर उत्पादन ले सकते हैं.
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