धान में बालियां तैयार होने लगें तो सिंचाई के दौरान रखें इन 3 बातों का ध्यान, बढ़ जाएगी उपज

धान में बालियां तैयार होने लगें तो सिंचाई के दौरान रखें इन 3 बातों का ध्यान, बढ़ जाएगी उपज

धान की फसल इन दिनों 60 से 65 दिन की हो चुकी है. अब धान की फसल में बाली निकलने और बाली से दाने बनने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. इस समय किसानों को सिंचाई का विशेष ध्यान रखने की जरूरत होती है. वहीं, खेत में ज्यादा पानी भरने से फसल को नुकसान हो सकता है.

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धान में बालियां तैयार होने लगें तो सिंचाई के दौरान रखें इन 3 बातों का ध्यान, बढ़ जाएगी उपजधान की खेती

सितंबर का महीना आते ही कई राज्यों में धान की फसलों में बालियां आनी शुरू हो जाती हैं. इस महीने धान की फसल को सूखने से बचाने के लिए विशेष ध्यान रखने की जरूरत होती है नहीं तो उत्पादन पर असर पड़ सकता है. क्योंकि सितंबर महीने में बारिश कम होने की संभावना रहती है, जिससे खेत में पानी की कमी हो सकती है. ऐसे में अगर बारिश नहीं हो रही है तो किसानों को इस समय खेत की मिट्टी सूखने से पहले ही सिंचाई कर देनी चाहिए. लेकिन सितंबर के महीने में धान की फसल में अधिक पानी देना भी नुकसानदायक हो सकता है. ऐसे में जरूरी है कि किसान सिंचाई के दौरान इन 3 बातों का ध्यान रखें.  

धान में बाली आने शुरु

धान की फसल इन दिनों 60 से 65 दिन की हो चुकी है. अब धान की फसल में बाली निकलने और बाली से दाने बनने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. इस समय किसानों को सिंचाई का विशेष ध्यान रखने की जरूरत होती है. वहीं, खेत में ज्यादा पानी भरने से फसल को नुकसान हो सकता है. साथ ही तेज हवा चलने से फसल गिर भी सकती है. ऐसे में जरूरी है कि किसान विधिवत तरीके से धान की सिंचाई करें.

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कैसे करें धान की सिंचाई

धान की फसल में इस समय हल्की सिंचाई करने की जरूरत होती है, ताकि खेत में नमी बनी रहे. ऐसे में किसान इस महीने ध्यान रखें कि शाम के वक्त सिंचाई करें. वहीं, सुबह के समय खेतों से अतिरिक्त पानी को बाहर निकाल दें. जिससे कि उनकी फसल सुरक्षित रहेगी.

तेज हवा से होता है नुकसान

धान की फसल में ज्यादा पानी भरने से मिट्टी नरम हो जाती है. ऐसे में तेज हवा चलने से पौधे गिर सकते हैं. साथ ही पौधे के गिरने से फूल झड़ जाते हैं, जिससे दाने पर दाग हो जाते हैं और उत्पादन पर बुरा असर पड़ता है. इसलिए खेतों में अधिक पानी ना दें.

ज्यादा यूरिया भी है खतरनाक

सितंबर के महीने में कई राज्यों में कम बारिश होती है. ऐसे में गर्मी की वजह और अधिक यूरिया के इस्तेमाल से भूरा फुदका भी धान की फसल को चपेट में ले सकता है. ये रोग धान की रस चूसता है. रस चूसने से पौधे सूख जाते हैं. ऐसे में जरूरी है कि किसान भूरा फुदका की कड़ी निगरानी करें और अगर भूरा फुदका दिखाई दे तो किसान अप्लाइड या ब्रूनो नाम की दवा का छिड़काव कर दें.

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