देश के अधिकांश राज्यों में तेज ठंड के साथ शीतलहर का दौर जारी है. बढ़ती हुई ठंड लोगों के साथ ही किसानों के लिए परेशानी का सबब बनती जा रही है क्योंकि इससे किसानों की मेहनत पर पानी फिरता दिख रहा है. दरअसल, लगातार गिरते तापमान से रबी की कई फसलों पर पाले के असर होने लगा है, जिससे फसलों को नुकसान पहुंचने की आशंका है. ऐसे में किसानों को अपनी फसल को शीतलहर से बचाने के लिए राजस्थान कृषि विभाग ने एडवाइजरी जारी की है. इसमें बताया गया है कि फसलों को पाले से कैसे बचाएं. इसके लिए पांच उपाय भी बताए गए हैं, जिसे अपनाकर किसान अपनी फसलों को पाले से बचा सकते हैं.
बता दें कि पाले से पौधों के फूल झुलसकर गिरने लगते हैं, पत्तियां बदरंग होने लगती हैं, फलीदार फसलों की फलियों और बालियों में दाने नहीं बनते और दानों के सिकुड़ने लगते हैं. इसके अलावा फसलों में झुर्रियां पड़ने लगती है जिसके कारण पैदावार घटने का खतरा रहता है.
1. पौधशालाओं के पौधों और सीमित क्षेत्र वाले बागानों में नकदी सब्जी वाली फसलों को पाले से बचाने के लिए उसे टाट, पॉलीथिन या भूसे से ढ़क दें. इसके अलावा हवा आने वाली दिशा की तरफ यानी उत्तर-पश्चिम की तरफ टाट को बांध भी सकते हैं. नर्सरी या बगीचे में भी क्यारियों के किनारों पर टाट बांधकर पौधों को पाले से बचा सकते हैं.
2. जब पाला पड़ने की संभावना हो तब फसलों में हल्की सिंचाई कर देनी चाहिए. इससे नमीयुक्त जमीन में काफी देरी तक गर्मी रहती है और भूमि का तापमान एकदम कम नहीं होता है, जिससे तापमान शून्य डिग्री सेल्सियस से नीचे नहीं गिरेगा और फसलों को पाले से होने वाले नुकसान से बचाया जा सकता है.
3. जब फसलों पर पाला पड़ने की संभावना हो तब उन दिनों फसलों पर घुलनशील गंधक 0.2 प्रतिशत प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर फसलों पर छिड़काव करें. ध्यान रखें कि पौधों पर घोल की फुहार अच्छी तरह लगे. छिड़काव का असर दो सप्ताह तक रहता है. यदि इस अवधि के बाद भी शीतलहर और पाले की संभावना बनी रहे तो छिड़काव को 15-15 दिन के अंतर से दोहराते रहें या थायो यूरिया 500 पी.पी.एम. (आधा ग्राम) प्रति लीटर पानी का घोल बनाकर छिड़काव करें.
4. सरसों, चना, आलू, मटर जैसी फसलों को पाले से बचाने में गंधक का छिड़काव करने से न केवल पाले से बचाव होता है, बल्कि पौधों में आयरन की जैविक और रासायनिक तत्व बढ़ जाते हैं, जो पौधों में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने और फसल को जल्दी पकाने में सहायक होती हैं.
5. लंबे समय के लिए उपाय के रूप में फसलों को बचाने के लिये खेत की उत्तरी-पश्चिमी मेड़ों पर और बीच-बीच में उचित स्थानों पर हवा को रोकने के लिए पेड़ लगाने चाहिए. इसमें किसान शहतूत, शीशम, बबूल, खेजड़ी आदि के पेड़ लगा सकते हैं. ये पेड़ पाले और ठंडी हवा के झोंकों से फसल का बचाव करते हैं.
पाले और शीतलहर के प्रभाव को करने के लिए अगर राजस्थान के किसानों को अधिक जानकारी लेनी हो तो इसके लिए किसान निकटतम कृषि कार्यालय में संपर्क कर सकते हैं. इसके अलावा किसान कॉल सेन्टर के टोल फ्री नं. 18001801551 पर बात करके भी अपनी फसलों को पाले से बचाने की उपाय जान सकते हैं.
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