शीतलहर और कड़ाके की ठंड के बीच हरियाणा के करनाल स्थित भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान संस्थान (आईआईडब्ल्यूबीआर) ने किसानों के लिए एडवाइजरी जारी की है. एडवाइजरी में आईआईडब्ल्यूबीआर ने गेहूं उत्पादक किसानों को पीले रतुआ रोग से सावधान रहने की सलाह दी है. उसने कहा है कि पीछले कुछ साल से करनाल जिले में कहीं- कहीं पर पीले रतुआ का प्रकोप देखने को मिल रहा है. इसलिए किसानों को समय- समय पर अपने खेत का दौरा करते रहना चाहिए. अगर गेहूं के खेत में पीले रतुआ रोग का असर दिखाई, दे तो समय रहते कीटनाशकों का छिड़काव करें.
बिजनेस लाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, आईआईडब्ल्यूबीआर के निदेशक ज्ञानेंद्र सिंह ने कहा कि अगर किसानों को गेहूं के खेत में पीले रतुआ रोग का प्रकोप दिखाई देता है, तो उसके निदान के लिए तुरंत उपाय करें. इसके लिए किसान पीले रतुआ रोग से प्रभावित गेहूं के खेत में प्रोपिकोनाज़ोल 25 ईसी @ 0.1 प्रतिशत या टेबुकोनाज़ोल 50 प्रतिशत + ट्राइफ्लोक्सीस्ट्रोबिन 25 प्रतिशत डब्ल्यूजी @ 0.06 प्रतिशत का छिड़काव कर सकते हैं. उन्होंने सलाह देते हुए कहा है कि किसानों को एक लीटर पानी में एक मिलीलीटर रसायन मिलाया जाना चाहिए. अगर एक एकड़ में रोग का प्रकोप है तो 200 लीटर पानी में 200 मिलीलीटर कवकनाशी मिलाकर स्प्रे कर सकते हैं.
ज्ञानेंद्र सिंह ने कहा कि जिन किसानों ने पिछले वर्ष अपने खेत में किसी कीटनाशक का उपयोग किया था, वे इस साल उपर बताए गए कवकनाशी का उपयोग कर सकते हैं. उनके मुताबिक, किसानों को अपने खेत में इसका छिड़काव तब करना चाहिए, जब बारिश या कोहरा या ओस न हो. उन्होंने कहा कि अभी तक जिले के किसी भी हिस्से से पीले रतुआ की कोई रिपोर्ट नहीं है. सिंह ने कहा कि ऐसे पीले रतुआ रोग के मामले दिसंबर के आखिरी सप्ताह और जनवरी के पहले सप्ताह में सामने आते थे. लेकिन, हम इस बार कोई जोखिम नहीं लेना चाहते हैं. इसलिए किसानों को इससे निपटने के लिए पहले से ही तैयार रहना चाहिए.
ज्ञानेंद्र सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार ने इस साल गेहूं की बंपर पैदावार की उम्मीद जताई है. उसने 114 मिलियन टन उत्पादन का अनुमान लगाया है. सिंह ने कहा कि गेहूं की फसल की स्थिति हर जगह अच्छी है. ऐसे में हरियाणा में गेहूं की अच्छी उपज की उम्मीद है.
आईआईडब्ल्यूबीआर की सलाह में यह भी कहा गया है कि बेहतर परिणामों के लिए सिंचाई से ठीक पहले किसान नाइट्रोजन का प्रयोग कर सकते हैं. देर से बोई गई गेहूं की फसल के लिए खरपतवार प्रबंधन के लिए रसायनों का स्प्रे करना चाहिए. यदि गेहूं के खेत में संकरी और चौड़ी पत्ती वाले दोनों तरह के खरपतवार हैं तो 120 में सल्फोसल्फ्यूरॉन 75 डब्लूजी @ 13.5 ग्राम/एकड़ या सल्फोसल्फ्यूरॉन + मेट्सल्फ्यूरॉन 16 ग्राम/एकड़ का उपयोग करें.
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