दुनियाभर में हमारे देश के खास पहचान खेती की वजह से भी बनी हुई है. कई अनाजों के साथ ही फल-सब्जी और मसालों के उत्पादन में भी भारत शीर्ष देशों में गिना जाता है. भारत के कई कृषि उत्पादों की डिमांड विदेशों में जबरदस्त है. अधिक पैदावार के लिए लोग खेतों में केमिकल खाद और कीटनाशकों का प्रयोग करते हैं लेकिन खेत से लेकर बागवानी और गमलों में भी केमिकल खाद और कीटनाशकों का यूज ना करने की सलाह दी जाती है. आइए जान लेते हैं कि अगर केमिकल खाद और कीटनाशक का इस्तेमाल ना करें तो फिर उसकी जगह पर विकल्प क्या हैं? आइए इस खबर में जान लेते हैं.
अगर आप केमिकल खादों को छोड़कर जैविक खादों का यूज करना चाहते हैं को कई बार ऑप्शन नहीं मिल पाते हैं. इस खबर में आपको बता देते हैं कि खेत-गार्डन और गमलों में कौन सी खाद का इस्तेमाल करना चाहिए. अगर आप बड़े पैमाने में खेती करने जा रहे हैं तो खेत की जुताई के साथ ही सड़े हुए गोबर की खाद मिट्टी में मिला दी जाती है. इसके बाद पहली और दूसरी खाद के रूप में वर्मी कंपोस्ट का छिड़काव किया जाता है. फसल को बूस्टर डोज देने के लिए जीवामृत का भी यूज कर सकते हैं. गमलों में पौधे रोप रहे हैं तो कोकोपीट, राख की खाद और फल-सब्जी के छिलकों से बनी खाद का इस्तेमाल किया जाता है.
खाद के बारे में जानने के बाद कीटनाशकों के बारे में भी जानना बहुत जरूरी है. कीटनाशक के रूप में सबसे ज्यादा प्रचलित नीम की पत्तियों से बना देसी कीटनाशक और छाछ से बना कीटनाशक इस्तेमाल किया जाता है. कुछ लोग गौमूत्र को भी कीटनाशक के रूप में यूज करते हैं. बाजारों में भी इस तरह के जैविक कीटनाशक उपलब्ध होते हैं लेकिन अधिक शुद्धता के लिए आप इन्हें घर पर भी तैयार कर सकते हैं.
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जैविक खेती की बात आए तो उसके फायदों के बारे में भी जान लेना बहुत जरूरी होता है. जैविक तरीके से उगाए गए खाद्य पदार्थ केमिकल खेती के मुकाबले अधिक फायदेमंद बताए जाते हैं. ये हमारी हेल्थ के लिए काफी अच्छे माने जाते हैं. इन सब के अलावा केमिकल खादों से मिट्टी की हेल्थ पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है साथ ही भूमिगत जल के लिए भी हानिकारक होता है. जैविक खाद मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने में मददगार है.
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