ग्रामीण परिवेश में बकरी पालन अब एक बेहतर रोजगार बनते जा रहा है. बकरी पालन का काम ग्रामीण क्षेत्रों में बीते कई दशक से चलते आ रहा है, लेकिन मौजूदा वक्त में बकरी पालन एक कारोबार के रूप में तेजी से विकसित हो रहा है. बकरी पालन के व्यवसाय से जुड़कर कई लोग आर्थिक तौर पर अपने जीवन में बदलाव ला रहे हैं. इसलिए भारत में कृषि के बाद बड़े पैमाने पर पशुपालन किया जाता है. समय के साथ बकरी के मांस और दूध दोनों की मांग लगातार बढ़ रही है.
आप भी बकरी पालन कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. ऐसे में बकरी पालन करने वाले पशुपालकों को इन बातों की पूरी जानकारी होना जरूरी हैं कि बकरियों को कब दाना देना चाहिए और कब चारा खिलाना चाहिए. आइए जानते हैं.
यदि आप बकरी पालन हैं और आप अपनी पशुओं के आहार को लेकर जानकारी पाना चाहते हैं, तो जान लें कि अगर आपके पास बेहतर चारागाह और हरा चारा उपलब्ध हो तो बकरियों को दाना नहीं देना चाहिए. वहीं, अगर आप बकरियों को दाना दे रहे हैं तो धीरे-धीरे करके उनके आहार में बदलाव करें. उन्हें दाने के अलावा रसीला चारा जैसे बरसीम और लोबिया खिलाएं, लेकिन ध्यान दें कि मात्रा अधिक न हो क्योंकि इससे बकरियों को अफरा हो सकता है. इसके अलावा बकरियों को चराने के लिए सुबह ओष वाला घास खिलाएं, ये बकरियों के लिए ज्यादा फायदेमंद होता है.
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बकरियों के बढ़ते हुए बच्चों को 100 ग्राम दाना का मिश्रण खिलाना चाहिए. वहीं प्रजनन के मौसम में बकरियों को 200 ग्राम दाना देना चाहिए. साथ ही दूध देने वाली बकरियों को प्रतिदिन 250 ग्राम दाना मिश्रण खिलाएं. वहीं दाना मिश्रण बनाने के लिए कोई भी सस्ता अनाज 50 से 60 फीसदी, दाल की चूनी 20 फीसदी, खली 25 फीसदी और गेहूं का चोकर या चावल 10 फीसदी का मिश्रण बनाएं. फिर उस मिश्रण को आप दिए गए जानकारी के हिसाब से अपनी बकरियों को खिला सकते हैं.
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