दहलन फसलों के दाम में तेजी से इजाफा हो रहा है क्योंकि इसका उत्पादन मांग के मुकाबले कम है. ऐसे में चने की खेती किसानों के लिए फायदे का सौदा है. इस साल अब तक लगभग 99 लाख हेक्टेयर में इसकी खेती हो चुकी है. लेकिन, इस समय इसकी खेती में कई रोगों और कीटों के अटैक का खतरा भी रहता है. जिस पर समय रहते ध्यान नहीं दिया गया तो फसल खराब हो सकती है. वैज्ञानिकों ने एक ऐसा ही टिप्स दिया है, जिससे किसान जान सकते हैं कि फसल अब खतरे में आने वाली है. दरअसल, अगर चने के खेत में चिड़िया बैठ रही हो तो यह समझ लें कि चने में फली छेदक का प्रकोप होने वाला है. चने की फसल में फली छेदक कीट की गिडारें हल्के हरें रंग की होती हैं, जो बाद में भूरे रंग की हो जाती हैं.
फली छेदक कीट, फलियों में छेदकर अपने सिर को अंदर डालकर दानों को खा जाती हैं. इसकी रोकथाम के लिए फली बनना प्रारंभ होते ही मोनोक्रोटोफॉस 36 ईसी की 750 मिली या फेनवेलरेट 20 ईसी की 500 मिली मात्रा 500 से 600 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से खेत में छिड़काव करें. फसल में पहला छिड़काव 50 प्रतिशत फूल आने के बाद करें. यदि छिड़काव के लिए केमिकल उपलब्ध नहीं हो, तो मिथाइल पैराथियान 2 प्रतिशत घोल की 25 किलोग्राम मात्रा का छिड़काव करें.
इसे भी पढ़ें: Wheat Price: गेहूं की बुवाई ने बनाया रिकॉर्ड, इस साल कम हो सकती है बढ़ते दाम की टेंशन
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद से जुड़े वैज्ञानिकों ने बताया है कि फली छेदक को कंट्रोल करने के लिए न्यूक्लियर पॉलीहेड्रोसिस वायरस (एनपीवी) 250 से 350 शिशु समतुल्य 600 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें. इसके अलावा कटवा सुंडी उगते पौधों के तनों को या शाखाओं को काटकर नुकसान पहुंचाते हैं. इसकी रोकथाम के लिए 0.4 प्रतिशत फैनबालरेट पाउडर 10 किलोग्राम की दर से भुरकाव करें. चने में 5 प्रतिशत नीम के बीज गिरी का अर्क या 3 प्रतिशत नीम ऑयल तथा आवश्यकता अनुसार कीटनाशी का प्रयोग करें.
यह रबी सीजन में उगाई जाने वाली महत्वपूर्ण दलहनी फसल है. भारत में इसकी लगभग 100 लाख हेक्टेयर में खेती होती है. दालों के बढ़ते आयात के बीच पिछले साल यानी 2024 में चने के रकबे में बड़ी गिरावट आई थी. लेकिन इस साल बुवाई अच्छी दिख रही है. दुनिया में चने का सबसे बड़ा उत्पादक भारत ही है. अपने देश में विश्व के कुल चना उत्पादन का लगभग 70 फीसदी पैदा होता है. दलहन फसलों का करीब 45 फीसदी चना ही है. ऐसे में इसकी खेती में कोई रोग फैलने या फिर कीट का अटैक होने पर दलहन आयात का खतरा बढ़ जाता है. इस समय चना उत्पादन में मध्य प्रदेश पहले और महाराष्ट्र दूसरे स्थान पर है.
इसे भी पढ़ें: Tur Dal Price: दुनिया में अरहर दाल का सबसे बड़ा उत्पादक है भारत, फिर इतना क्यों बढ़ रहा दाम?
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today