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गेहूं के लिए फायदेमंद तो आलू के लिए घातक है शीतलहर और बारिश, जानिए बचाव का तरीका

गेहूं के लिए फायदेमंद तो आलू के लिए घातक है शीतलहर और बारिश, जानिए बचाव का तरीका

इस मौसम में जहां गेहूं, दलहन जैसी फसलों को फायदा होगा वहीं आलू की फसल इससे प्रभावित होगी. अधिक नमी के कारण आलू की फसल में बीमारियों का प्रकोप बढ़ने की संभावना है. आलू की फसल में झुलसा रोग का खतरा बढ़ गया है.

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गेहूं के लिए फायदेमंद तो आलू के लिए घातक है शीतलहर और बारिश गेहूं के लिए फायदेमंद तो आलू के लिए घातक है शीतलहर और बारिश

देश के अलग-अलग राज्यों में लगातार बदलता मौसम कई फसलों के लिए अनुकूल है, तो वहीं कई फसलों के लिए नुकसानदेह. वहीं कई राज्यों में जारी शीतलहर और हल्की बारिश होने और पारा गिरने से जहां गेहूं को बहुत फायदा होगा. वहीं बादलों के कारण सब्जियों वाली फसलों में पाला से रोग लगने की आशंका है. दरअसल ठंड के दिनों में होने वाली हल्की बारिश या बारिश की फुहार से रबी फसलों को बहुत फायदा होता है. इससे फसलों को सिंचाई का पानी मिलता है, साथ ही पाला से सुरक्षा भी मिलती है.

वहीं इस मौसम को गेहूं की खेती करने वाले किसानों के चेहरे पर मुस्कान है. दूसरी ओर सब्जी जैसे आलू, टमाटर जैसी फसलों की खेती करने वाले किसानों के चेहरे पर फसलों के खराब होने की आशंका है. कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक, गेहूं के लिए अभी मौसम अच्छा है.

आलू की फसल पर शीतलहर का असर

इस मौसम में जहां गेहूं, दलहन जैसी फसलों को फायदा होगा वहीं आलू की फसल इससे प्रभावित होगी. अधिक नमी के कारण आलू की फसल में बीमारियों का प्रकोप बढ़ने की संभावना है. आलू की फसल में झुलसा रोग का खतरा बढ़ गया है. किसानों को अपने आलू की फसल में लगने वाले रोग का समय पर प्रबंधन करना जरूरी है. फसलों का प्रबंधन कर किसान नुकसान होने से बच सकते हैं.

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जानें कैसे करें झुलसा रोग की पहचान

ठंड के मौसम में आलू की फसल को पाला से बचाव करना ज्यादा जरूरी होता है. बारिश के बाद मौसम में नमी होने के चलते झुलसा संक्रमण का खतरा रहता है जिसको किसानों को जानना बेहद जरूरी है. आपको बता दे कि अगर अधिक पाले के कारण आपकी पत्तियां पीली पड़ने लगे तो समझ जाएं कि आपकी फसल में झुलसा रोग लग गया है. ये रोग लगते ही आलू सड़ने लगता है. ऐसी स्थिति में पैदावार भी प्रभावित होती है. इसके अलावा आलू की फसल में माहो और थ्रिप्स किट से भी खतरा रहता है.

झुलसा रोग से बचाव के उपाय

आलू की फसल में झुलसा रोग के लक्षण दिखाई देते ही जिनेब 75 फीसदी घुलनशील चूर्ण 2.0 किग्रा प्रति हेक्टेयर या मैंकोजेब 75 फीसदी घुलनशील चूर्ण 2 किग्रा प्रति हेक्टेयर दर से पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए. ऐसा करने से आलू की फसल को झुलसा रोग से बचाया जा सकता है.

बारिश के बाद टमाटर की फसल में अंगमारी का रोग लग सकता है. इसे नियंत्रित करने के लिए ऑक्सिस्ट्रॉबिन का छिड़काव एक मिली प्रति लीटर पानी के साथ करें. इसके साथ ही इस वक्त बोई गई प्याज की फसल में थ्रिप्स का प्रकोप हो सकता है. वहीं बैंगन में नीले धब्बे का संक्रमण हो सकता है. इससे बचाव के लिए टिपोल के साथ तीन ग्राम प्रति लीटर पानी में डायमिथेन एम-45 का आवश्यकता के अनुसार छिड़काव करें.