Paddy Insect: धान पर बीपीएच कीट का हो सकता है अटैक, फसल बचाने के लिए किसान अपनाएं ये उपाय

Paddy Insect: धान पर बीपीएच कीट का हो सकता है अटैक, फसल बचाने के लिए किसान अपनाएं ये उपाय

धान की फसल में बीपीएच (Brown Planthopper) कीट का हमला एक गंभीर समस्या हो सकता है, जिससे फसल को भारी नुकसान पहुंचता है. इस कीट के प्रकोप से बचने के लिए किसानों को सही समय पर उपाय अपनाना बेहद जरूरी है. यहां कुछ प्रभावी उपाय बताए गए हैं, जिन्हें अपनाकर फसल को सुरक्षित रखा जा सकता है.

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Paddy Insect: धान पर बीपीएच कीट का हो सकता है अटैक, फसल बचाने के लिए किसान अपनाएं ये उपायधान की फसल के लिए बीपीएच बहुत खतरनाक,

खरीफ मौसम में धान की फसल की रोपाई का कार्य लगभग पूरा हो चुका है. रोपित धान की फसल में कई हानिकारक कीट और रोग नुकसान पहुंचा सकते हैं. इस समय धान में लगने वाला भूरा फुदका (Brown Planthopper - BPH), जिसे भूरा मधुआ या फूदका कीट और तेला कीट भी कहा जाता है. यह धान की फसल के लिए काफी घातक होता है. भूरा फुदका कीट धान के पौधों का रस चूसकर फसल को भारी नुकसान पहुंचाता है. इसका प्रकोप धान की फसल पर बहुत अधिक होता है. इस कीट के अधिक प्रकोप की स्थिति में धान के पौधे पूरी तरह सूख जाते हैं, जिससे 'हॉपरबर्न' नामक स्थिति उत्पन्न होती है. इस स्थिति में पौधे पूरी तरह झुलस जाते हैं, जिससे 100 प्रतिशत तक फसल का नुकसान हो सकता है. इसकी रोकथाम के लिए पहले इसकी पहचान करना जरूरी है. कीट की रोकथाम के लिए छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखकर कम लागत में धान की फसल को नुकसान से बचाया जा सकता है. इसके लिए बताए गए सुझावों को अपनाना जरूरी है.

धान के भूरा फुदका कीट (BPH) से रहें सतर्क

अगस्त माह शुरू हो गया है, इसलिए अपने धान के  खेतों का निरीक्षण अंदर तक जाकर करें. क्योंकि, कई बार धान की फसल पर भूरा फुदका कीट(BPH) शुरुआत इसी माह में हो जाती है. इस कीट रोकथाम के पहले इसकी पहचान जरूरी है. इसकी शिशु सफेद होता है जिसकी लंबाई 0.6 मिमी होती है और यह पांचवें चरण में बैंगनी-भूरे रंग का हो जाता है, जिसकी लंबाई 3.0 मिमी होती है. वयस्क हॉपर 4.5-5.0 मिमी लंबा होता है और इसका शरीर पीले-भूरे से गहरे भूरे रंग का होता है. धान की फसल बढ़ रही हो तो निगरानी रखना जरूरी है. बीपीएच संक्रमण ज्यादातर सितंबर के पहले सप्ताह से शुरू हो जाता है. धान का भूरा फुदका कीट पौधे के निचले भाग में जड़ों के पास पाया जाता है और तनों का रस चूसता है. इस कीट की रोकथाम के लिए छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखने से फसल को नुकसान और अधिक रसायनों के प्रयोग से बचा जा सकता है.

बीपीएच कीट की ऐसे करें रोकथाम 

  • भूरा फुदका कीट प्रकोप वाले खेतों में यूरिया का सीमित मात्रा में ही प्रयोग करें और खेतों में लगातार पानी भरा हुआ न रखें.
  • खेत से खरपतवार की निकाल दें और मेड़ों की साफ-सफाई रखें.
  • प्राकृतिक शत्रुओं जैसे मिरिड बग, मकड़ी आदि का संरक्षण करें. ये भूरे फुदकों को नियंत्रित रखते हैं.
  • अगर भूरा फुदका कीट का प्रकोप शुरुआती दिख रहा है, तो खेतों में लाइट ट्रैप और पीले स्टिक ट्रैप का प्रयोग करें.
  • अगर बीपीएच कीट का प्रकोप ईटीएल (Economic Threshold Level) के नीचे हो, यानि प्रति पौधा 5 कीट से नीचे है तो जैविक कीटनाशकों का उपयोग किया जा सकता है, जैसे 2.5 मिली नीम का अर्क प्रति लीटर पानी के साथ मिलाकर छिड़काव करें.
  • जैविक कीटनाशक मेटारिज़ियम एनीसोप्लीए 12-5 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें.

कब और कौन से कीटनाशकों का करें उपयोग

  1. धान की फसल पर जब 5-10 कीट प्रति पौधा आबादी यानी ईटीएल से ऊपर हो तो किसी भी एक रासायनिक कीटनाशक का उपयोग करें.
  2. भूरा फुदका कीट का प्रकोप ज्यादा होने पर मिथाइल डेमेटोन 25 ईसी 400 दवा लीटर या क्लोरपायरीफॉस 20 ईसी 500 मिली दवा या ऐसिफेट 75 प्रतिशत एसपी 250-400 ग्राम दवा या इमिडाक्लोप्रिड 178 एस एल 50 मिली दवा प्रति एकड़ के हिसाब से किसी एक कीटनाशक दवा का छिड़काव करें.
  3. दवा का प्रयोग करते समय 200 से 500 लीटर पानी के घोल में मिलाकर छिड़काव करें.
  4. विभिन्न समूहों के कीटनाशकों का प्रयोग करें ताकि कीटों में प्रतिरोधकता न विकसित हो.
  5. वैज्ञानिकों की ओर से सुझाई गई रसायनिक दवाओं का ही प्रयोग करें और एक साथ कई रसायनों का प्रयोग न करें.
  6. रसायन दवाओं का प्रयोग करते समय कटाई पूर्व अंतराल (PHI)   यानि फसल कटाई के पहले कब तक रासायिक दवाओं का प्रयोग किया जा सकता. 

इन उपायों को अपनाकर धान की फसल को भूरा फुदका कीट से कम लागत में फसल को बचाया जा सकता है. इसलिए भूरा फुदका कीट के प्रकोप से बचाव के लिए इन उपायों को अपनाएं.

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