कृषि क्षेत्र की अग्रणी वैश्विक कंपनी बेयर (Bayer) छोटे किसानों की उपज और आमदनी बढ़ाने में मदद करेगी. इसके लिए वह उत्तर प्रदेश के प्रमुख जिलों में किसान कार्यशालाओं का आयोजन करने जा रही है. इसमें किसानों को फूड, फीड और सस्टेनेबल फ्यूल (पर्यावरण के अनुकूल ईंधन) के रूप में मक्के के महत्व के बारे में जानकारी दी जाएगी. इसके लिए यूपी के कन्नौज समेत कई जिलों में 9 फरवरी से 14 फरवरी तक किसान कार्यशालाएं होंगी, जिनमें किसानों को मक्का की किस्मों की खेती और तकनीक की जानकारी मिलेगी.
भारतीय अर्थव्यवस्था में मक्का क्षेत्र की अहम भूमिका है. घरेलू और वैश्विक स्तर पर बढ़ती मांग के साथ बेयर अत्याधुनिक शोध, पर्यावरण के अनुकूल प्रक्रियाओं और इनोवेटिव समाधानों के माध्यम से मक्के की उपज बढ़ाने की दिशा में काम कर रही है, जिससे मक्के के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने के भारत के लक्ष्य में सहयोग मिलेगा. इसके लिए किसानों को मक्के की खेती के लिए जागरूक करने के लिए उत्तर प्रदेश में किसान कार्यशालाओं का आयोजन किया जा रहा है. 9 फरवरी से फर्रुखाबाद, कन्नौज, एटा में किसानों के लिए कार्यशालाएं होंगी. जहां पर किसानों को उन्नत फसल प्रबंधन तकनीकों से जुड़ी व्यापक जानकारियां दी जा रही हैं.
कार्यशालाओं में एग्रोनॉमी की सर्वश्रेष्ठ प्रक्रियाओं को लेकर लाइव डेमो दिया जाएगा, जिससे किसान नई तकनीकों के बारे में जान सकेंगे. उन्हें ऐसे अन्य किसानों की सफलता की कहानियां भी जानने को मिलेंगी, जिन्होंने डिकाल्ब हाइब्रिड्स का प्रयोग करते हुए बेहतर उपज प्राप्त की है. इस दौरान विशेषज्ञ पर्यावरण के अनुकूल कृषि प्रक्रियाओं को लेकर दिशानिर्देश प्रदान करेंगे और किसानों को उत्पादकता बढ़ाने के लिए जरूरी जानकारियां भी देंगे. इसके अतिरिक्त, फार्मराइज एप के माध्यम से क्यूआर कोड आधारित रिवार्ड प्रणाली जैसी गतिविधियों के माध्यम से किसानों को इन्सेंटिव कमाने और बायर के कृषि नेटवर्क से जुड़े रहने का भी मौका मिलेगा.
किसान बेयर के मक्का बीज डिकाल्ब के स्प्रिंग हाइब्रिड्स के बारे में भी जानेंगे. इन्हें खेती की विभिन्न परिस्थितियों के अनुकूल होने, टिकाऊपन, स्टे-ग्रीन ट्रेट्स और हाई क्वालिटी ग्रेन के लिए जाना जाता है. इन हाइब्रिड्स को इस तरह से डिजाइन किया गया है, जिससे किसान पर्यावरण अनुकल उपायों को अपनाते हुए उपज बढ़ा सकें. डिकाल्ब स्प्रिंग हाइब्रिड्स में 80-85 प्रतिशत स्टार्च होता है, जिससे ये एथनॉल बनाने वाली डिस्टिलरीज के लिए श्रेष्ठ हैं. डिकाल्ब हाइब्रिड्स सिलेज कल्टीवेशन के लिए भी अनुकूल हैं.
बेयर के भारत, बांग्लादेश और श्रीलंका में क्रॉपसाइंस डिवीजन के क्लस्टर कॉमर्शियल लीड मोहन बाबू ने कहा कि बेयर मक्का किसानों को उत्पादकता और आय बढ़ाने में सहायता करने के लिए प्रतिबद्ध है. इसके लिए उन्हें सही उपकरण, जानकारी एवं सपोर्ट प्रदान किया जाएगा. इससे उनकी उपज बढ़ेगी और मक्का बाजार की बदलती जरूरतों को पूरा करना संभव होगा. अपने बढ़े रकबे और राष्ट्रीय उत्पादन में बढ़ते योगदान के साथ भारत के मक्का इकोसिस्टम में उत्तर प्रदेश ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. मक्के की खेती को मजबूती देते हुए हमारा लक्ष्य फूड, फीड और सस्टेनेबल फ्यूल के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में भारत की यात्रा में सहयोग करना है. इससे लंबी अवधि में किसानों के लिए आर्थिक विकास करना और परिस्थितियों के अनुरूप ढलना संभव होगा.
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