इस वक्त सब्जियों की फसल पर सबसे ज्यादा खतरा पाले से है. खासतौर पर आलू, टमाटर और मटर की खेती में इसका असर अधिक होता है. इसलिए किसान भाई-बहन पहले ही इससे बचाव का इंतजाम कर लें तो वो नुकसान से बच जाएंगे. भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा के कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि घटते तापमान को देखते हुए फसलों व सब्जियों को संभावित पाले से बचाने के लिए हल्की सिंचाई कर सकते हैं. जमीन में नमी पाले के असर को बहुत कम कर देती है. पाला से फसलों को बचाने के लिए गंधक का स्प्रे भी कर सकते हैं. एक लीटर गंधक 1000 लीटर पानी में मिलाकर एक हेक्टेयर में स्प्रे कर दें.
कृषि वैज्ञानिकों ने 22 जनवरी तक के लिए जारी एडवाइजरी में बताया है कि अगेती कद्दू वर्गीय फसलों की पौध तैयार करने के लिए पॉली हाउस में छोटे पॉलीथीन बैग में पौध तैयार की जा सकती है. वर्तमान मौसम में पत्तागोभी और फूलगोभी की रोपाई मेड़ों पर की जा सकती है. पालक, धनिया, मेथी की भी बुवाई इस समय की जा सकती है. गोभी की फसल में डायमंड बैक मॉथ, मटर में फली छेदक और टमाटर में फल छेदक कीट की निगरानी के लिए फेरोमोन ट्रैप का इस्तेमाल करें. एक एकड़ में 3-4 ट्रैप लगा सकते हैं. फलियों के उचित विकास के लिए 2 फीसदी यूरिया या पोटेशियम सल्फेट का छिड़काव करने की सलाह दी जाती है, इससे मटर की फसल को पाले से होने वाले नुकसान से भी बचाया जा सकता है.
अनुकूल मौसम की स्थिति को ध्यान में रखते हुए किसानों को सलाह दी जाती है कि वे इस सप्ताह प्याज की पौध की रोपाई करें.अंकुर छह सप्ताह से अधिक पुराना नहीं होना चाहिए. रोपाई छोटी क्यारियों में की जानी चाहिए. किसानों को डीप ट्रांसप्लांटिंग से बचने की सलाह दी गई है, इससे नुकसान हो सकता है. प्याज के पौध की रोपाई से दस से पंद्रह दिन पहले अंतिम जुताई के समय 20 टन अच्छी तरह से सड़ी हुई गोबर की खाद, 20 किलो नाइट्रोजन, 60-70 किलो फॉस्फोरस और 80-100 किलो पोटाश के साथ डालें. रोपाई 15 सेमी (पंक्ति-पंक्ति) x 10 सेमी (पौधे-पौधे) की दूरी पर की जानी चाहिए.
गेंदा की फसल में पुष्प सड़न रोग लग सकता है. इसकी निगरानी करते रहें. यदि लक्षण दिखाई दें तो बैविस्टिन @ 1 ग्राम प्रति लीटर या इंडोफिल-एम 45 @ 2 मिली प्रति लीटर पानी में मिलाकर आसमान साफ रहने पर छिड़काव करने की सलाह दी जाती है. गेहूं की फसल में दीमक के लक्षण दिखाई देने पर क्लोरपाइरीफॉस 20 ईसी @ 2.0 लीटर प्रति एकड़ की दर से शाम के समय 20 किग्रा रेत के मिश्रण का प्रयोग करना चाहिए.
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वर्तमान मौसम में सरसों की फसल में माहू की निरंतर निगरानी की सलाह दी जाती है. प्रारंभिक अवस्था में किसानों को सलाह दी जाती है कि वे पौधे के संक्रमित हिस्से को काटकर नष्ट कर दें. चने की फसल में फली छेदक कीट की निगरानी करें. यदि फूल 10-15 फीसदी तक तक पहुंच गए हों तो फेरोमोन ट्रैप का इस्तेमाल करें. एक एकड़ में 3-4 ट्रैप का इस्तेमाल कर सकते हैं. ना है. किसानों के लिए यह सलाह डॉ. अनंता वशिष्ठ, डॉ. पी. कृष्णन, डॉ. देब कुमार दास, डॉ. बीएस तोमर, डॉ. जेपीएस डबास, डॉ. दिनेश कुमार, डॉ. पी. सिन्हा और डॉ. सचिन सुरेश सुरोशे ने दी है.
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