झारखंड की फसलों के लिए कृषि एडवाइजरी जारी, पढ़ें एक्सपर्ट की सलाह

झारखंड की फसलों के लिए कृषि एडवाइजरी जारी, पढ़ें एक्सपर्ट की सलाह

किसान बारिश को देखते हुए अपने खेतों की हल्की सिंचाई करें और पर्याप्त नमीं बनाए रखें. इसके साथ ही जिन खेतों में नमी की कमी है उन खेतों में सब्जियों में फूल आने के दौरान 2 प्रतिशत डीएपी और एक प्रतिशत एमओपी का पत्तियों पर छिड़काव करना चाहिए.

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झारखंड की फसलों के लिए कृषि एडवाइजरी जारी, पढ़ें एक्सपर्ट की सलाहJharkhand Agriculture News

झारखंड में इस वक्त ठंड और कोहरे का प्रकोप देखा जा रहा है. ऐसी स्थिति में पालतू पशुओं के साथ-साथ फसलों और सब्जियों का भी विशेष ध्यान रखना पड़ता है. इसलिए किसानों को ऐसे मौसम में अपने फसलों और सब्जियों की उचित देखभाल करने से संबंधित कृषि सलाह जारी की जाती है. इनका पालन करके किसान मौसम से होने वाले नुकसान से बच सकते हैं. किसानों को जारी किए गए एडवाइजरी में कहा गया है कि कम तापमान और कम नमी के कारण फसलों में होने वाले तनाव से बचाव के लिए सुबह के वक्त खेतों में हल्की सिंचाई करें. कम तापमान में कारण खराब अंकुरण से बचने के लिए सब्जियों की नर्सरी के ऊपर कवर करने के लिए कम लागत वाले पॉलिथीन का इस्तेमाल करें.     

झारखंड के कई जिलों में हल्की बारिश हुई है और 10 जनवरी को बारिश होने का अनुमान है. ऐसे में किसान बारिश को देखते हुए अपने खेतों की हल्की सिंचाई करें और पर्याप्त नमीं बनाए रखें. इसके साथ ही जिन खेतों में नमी की कमी है उन खेतों में सब्जियों में फूल आने के दौरान 2 प्रतिशत डीएपी और एक प्रतिशत एमओपी का पत्तियों पर छिड़काव करना चाहिए. गेंहू के लिए सलाह जारी करते हुए कहा गया है कि जिन किसानों ने देर से गेहूं की बुवाई की है और बुवाई किए हुए 21-25 दिन बीत चुके हैं वो आवश्यकतानुसार पहली सिंचाई करें. सिंचाई के पहले 3 से 4 दिन बाद नाइट्रोजन का छिड़काव करें. साथ ही गेहूं की फसल में खरपतवार प्रबंधन के लिए मेटा सल्फ्यूरॉन 8 ग्राम प्रति 150 लीटर पानी प्रति एकड़ में उपयोग करें. 

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गेहूं और सरसों के लिए सलाह

गेहूं की फसल में अगर दीमक का प्रकोप दिखाई दे रहा है तो क्लोरपायरीफॉस 20 इसी को दो लीटर पानी में साथ दो किलोग्राम बालू मिलाएं और शाम के समय खेतों में इसका छिड़काव करें इसके बाद सिंचाई करें. वहीं सरसों की खेती के लिए सलाह जारी करते हुए कहा गया है कि तापमान में कमी के कारण रतुआ रोग हो सकता है. इसके नियंत्रण के लिए मैटलेक्सिल दो ग्राम प्रति लीटर पानी के साथ छिड़काव करें. चना के खेत में अगर फूल 10 से 15 फीसदी तक पहुंच गया है तो चने की फसल को फली छेदक कीट से बचाने के लिए फरोमैन ट्रैप का इस्तेमाल करें. प्रति एकड़ तीन से चार फेरौमैन ट्रैप का इस्तेमाल करें. साथ ही कीटों की आबादी को नियंत्रित करने के लिए चने के खेत के आसपास टी आकार के खूंटे लगाकर पक्षियों के बैठने की व्यवस्था करें. 

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मटर की फली बढ़ाने के लिए करें यह उपाय

सब्जियों की बात करें तो मटर की फसल में फलियों की संख्या बढ़ाने के लिए दो प्रतिशत यूरिया के घोल का छिड़काव करें. इस समय जिन किसानों ने प्याज की बुवाई की है उनकी फसल में थ्रिप्स का हमला हो सकता है और बैंगनी धब्बे का संक्रमण हो सकता है. इसलिए इसकी लगातार निगरानी करते रहे. इसके अलावा इनका प्रकोप होने पर चिपचिपे पदार्थ टिपोल 1.0 ग्राम प्रति लीटर के साथ तीन ग्राम प्रति लीटर पानी में डायथेन एम-45 का आवश्यकता के आधार पर छिड़काव करें. अधिकतम और न्यूनतम तापमान में अधिक अंतर होने पर गोभी वर्गीय फसलों में डायमंड बैक मोथ का संक्रमण हो सकता है. इसे नियंत्रित करने के लिए स्पाइनोसैड 45 एससी को 0.5 मिली प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें. 

 

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