Tractor: आज भी लाखों की कीमत वाले ट्रैक्टरों को पीछे छोड़ देता है 18 हजार का जीटर

Tractor: आज भी लाखों की कीमत वाले ट्रैक्टरों को पीछे छोड़ देता है 18 हजार का जीटर

ट्रैक्टर बेशक 1972 मॉडल का है, लेकिन इंजन में दम 2020 के मॉडल से भी ज्यादा है. मेंटीनेंस और डीजल खपत पर बहुत ही कम खर्च होता है. आज भी इस ट्रैक्टर के कई फीचर्स ऐसे हैं जो नए ट्रैक्टर में नहीं आ रहे हैं. 18 हजार रुपये का खरीदने के बाद आज दूसरे किसान इस ट्रैक्टर के 80 हजार रुपये तक देने को तैयार हैं. 

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Tractor: आज भी लाखों की कीमत वाले ट्रैक्टरों को पीछे छोड़ देता है 18 हजार का जीटरआगरा निवासी किसान के घर में खड़ा 51 साल पुराना जीटर ट्रैक्टर.

आज एक ट्रैक्टर की कीमत करीब छह-सात लाख रुपये से शुरू होती है. बावजूद इसके ये ट्रैक्टर 51 साल पुराने जीटर ट्रैक्टर का मुकाबला नहीं कर पाते हैं. इतने साल बाद भी इन महंगे-महंगे ट्रैक्टर में वो फीचर्स नहीं आए हैं जो इस पुराने ट्रैक्टर में हैं. बेशक इस ट्रैक्टर को 51 साल हो चुके हैं, लेकिन इसके मालिक का दावा है कि अभी ये आठ-दस साल और अच्छे से काम करेगा. किसान ने इसे 18 हजार रुपये का खरीदा था, लेकिन आज इसके 80 हजार रुपये तो लग चुके हैं. 

लेकिन किसान इस ट्रैक्टर को बेचना नहीं चाहता है. इतने साल बाद आज भी ये ट्रैक्टर खेत में काम करने के साथ ही ट्राली से माल भी ढोता है. डीजल की खपत, इंजन की पॉवर और मेंटीनेंस को लेकर किसान ने इस ट्रैक्टर के बारे में कई बड़े दावे किए हैं. हालांकि अब इस कंपनी के ट्रैक्टर देश में नहीं आते हैं. किसान का कहना है क‍ि उस वक्त इसका 40 लीटर का डीजल टैंक 35 से 36 रुपये में भर जाता था. 

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जानें 51 साल पुराने इस ट्रैक्टर की छह बड़ी खूबियां 

तहसील किरावली, आगरा के रहने वाले किसान राजवीर ने किसान तक को बताया कि 1972 मॉडल के इस ट्रैक्टर को उन्होंने अपने एक रिश्तेादार से 1973 में खरीदा था. तब से लेकर अब तक दो और ट्रैक्टर खरीद चुके हैं. लेकिन उसमे से एक तो पूरी तरह खत्म हो गया तो वो कबाड़ में बेच दिया. अब जो दूसरा बचा है तो वो भी बस चल ही रहा है. लेकिन हमारा जीटर आज भी उसके मुकाबले ज्यादा काम आता है. इसमे दो फिल्टर हैं जो कभी बदलने नहीं पड़ते हैं. बस थोड़े से डीजल से उन्हें साफ करना पड़ता है. इसमे पॉवर ब्रेक हैं, जिन्हें आज डिस्क ब्रेक कहा जाता है.  

पहियों में हवा भरने के लिए इसमे कंप्प्रेशर दिया गया है. इंजन स्टार्ट करने के बाद गियर डालने पर ही इससे जुड़ी मशीनरी काम करेगी. जबकि दूसरे ट्रैक्टर में ऐसा नहीं है. इससे चलने वाली मशीन में अगर कुछ फंस जाता है तो इस ट्रैक्टर में लगे लिवर की मदद से उसे उल्टा चलाकर फंसी हुई चीज को निकाला जा सकता है. पीछे के दो पहियों में होजिंग लगी होने के कारण ये सड़क पर ट्राली के साथ चलते वक्त आगे से खड़ा नहीं होता है. जैसे सड़क पर अगर थोड़ी सी चढ़ाई आ जाए तो चढ़ाई और वजन के चलते आज के ट्रैक्टर आगे से उठ जाते हैं. 

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51 साल में एक बार भी नहीं खुला इंजन 

राजवीर ने बताया कि 51 साल में एक बार भी इस ट्रैक्टर का इंजन नहीं खुला है. छोटी-छोटी सर्विस को छोड़ दें तो कभी भी इसके इंजन में कोई काम नहीं हुआ है. अगर इसकी डीजल खपत के बारे में बात करें तो एक घंटे पानी का पम्प चलाने के लिए एक लीटर डीजल लगता है. जबकि आज के दूसरे ट्रैक्टर में एक घंटे में दो से ढाई लीटर तक डीजल खर्च हो जाता है.

 

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