गर्मी के मौसम में तेजी से बढ़ते तापमान से मुर्गीपालकों को अपनी मुर्गियों को बचाना जरूरी है क्योंकि गर्मी अधिक बढ़ने से मुर्गियों की मृत्यु दर बढ़ सकती है. मुर्गियों में मृत्यु दर अधिक होने से मुर्गीपालकों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है. गर्मी के मौसम में थोड़ी सी सावधानी बरतकर मुर्गियों को भारी गर्मी के प्रकोप से बचाया जा सकता है और अधिक लाभ कमाया जा सकता है. इसी कड़ी में CO2 सेंसर मुर्गीपालकों के लिए बेहद जरूरी है. ये कैसे करता है काम, आइए जानते हैं.
CO2 सेंसर कार्बन डाईऑक्साइड गैस के स्तर को मापता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पशुओं को सही और स्वस्थ हवा का आनंद मिले. यह प्रयोग पोल्ट्री उत्पादन में सबसे अधिक प्रचलित है. किसी भी जगह पर वेंटिलेशन और हीटिंग के बीच संबंध को ठीक करने और पशुओं के घर में सही एयर क्वालिटी मेंटेन करने के लिए सीओटू का स्तर सही बनाए रखना जरूरी होता है.
सेंसर की मदद से हम किसी भी जगह का सीओटू गैस का स्तर मापते हैं. मुर्गीपालन में कार्बन डाईऑक्साइड को निचले स्तर पर रखना जरूरी होता है. खासकर चूजों की सेहत के लिए. अगर इस गैस का स्तर मुर्गी फार्म में बढ़ जाए तो मुर्गियों की तबीयत बिगड़ सकती है. इसलिए सेंसर लगाकर गैस के स्तर को बराबर देखा जाता है. सेंसर को एक कनेक्टर और केबल के साथ लगाया जाता है जो सेंसर को डिस्कनेक्ट और निकालना आसान बनाता है.
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CO2 सेंसर एक प्रकार का उपकरण है जो कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) गैस के स्तर को मापता है. ये सेंसर किसी खास जगह में इस्तेमाल किया जाता है ताकि CO2 की मात्रा को नियंत्रित किया जा सके और हवा की क्वालिटी को बेहतर रखा जा सके. CO2 सेंसर एक ऐसा उपकरण है जो आसानी से वातावरण में CO2 के बदलाव को माप सकता है. ये सेंसर घरेलू या व्यावसायिक उपयोग में लिए जाते हैं, जैसे कि वेंटिलेशन सिस्टम, हवा प्रदूषण नियंत्रण या ग्रीनहाउस उत्पादन में. CO2 सेंसर का महत्व बढ़ रहा है क्योंकि यह वातावरण में आ रहे बदलाव को समझने में मदद करता है. अगर किसी जगह पर सीओटू का स्तर लिमिट से अधिक हो जाए तो यह सेंसर तुरंत आगाह कर देता है. इससे गैस के स्तर को कम करने या उसमें सुधार करने में सुविधा मिल जाती है. मुर्गी फार्म के लिए भी ऐसी ही बात है.
मुर्गी शेड में जरूरत से ज्यादा मुर्गियां रखना नुकसानदायक है. मुर्गी शेड में ज्यादा भीड़ होने से गर्मी बढ़ेगी और मुर्गियों में हीट स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाएगा. मुर्गियों के लिए सही जगह के बारे में पशु चिकित्सक का कहना है कि ब्रॉयलर फार्म में प्रति चूजा एक वर्ग फीट जगह दी जाती है और लेयर्स के लिए प्रति बड़ी मुर्गी 2 - 2.5 वर्ग फीट जगह की जरूरत होती है. यानी 30 फीट x 100 फीट (कुल 3,000 वर्ग फीट) के शेड में एक पोल्ट्री किसान 3,000 ब्रॉयलर और 1,200 से 15,000 लेयर्स रख सकता है.
इसके अलावा मुर्गी शेड की छत पर गर्मी कम करने के लिए पुआल या घास डलवा दें और छत पर सफेदी करवा लें. सफेद रंग कम गर्मी सोखता है, जिससे छत ठंडी रहती है. वरिष्ठ पशु चिकित्सक के अनुसार आधुनिक मुर्गी फार्म में गर्मी से बचाव के लिए स्प्रिंकलर या फॉगर सिस्टम भी होते हैं, जो पानी का छिड़काव करते रहते हैं. स्प्रिंकलर के साथ पंखे भी जरूर लगवाएं और कमरे की खिड़की भी खुली होनी चाहिए, जिससे कमरा हवादार और ठंडा रहेगा.
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