कर्नाटक में क्यूआर कोड स्कैन करने के बाद ही किसानों को खाद और बीज बांटा जाएगा. इससे खाद और बीजों का दुरुपयोग रुकेगा. खाद-बीज के वितरण में फर्जीवाड़े पर भी रोक लगेगी. इसके लिए कर्नाटक के हावेरी में कृषि विभाग ने खाद-बीज वितरण के लिए क्यूआर कोड सिस्टम लॉन्च किया है. हावेरी के कृषि विभाग का कहना है कि क्यूआर कोड का सिस्टम अपनी तरह का पहला है. क्यूआर कोड सिस्टम चलाने के लिए हावेरी के कृषि विभाग ने K-Kissan सॉफ्टवेयर शुरू किया है. इसी सॉफ्टवेयर की मदद से किसानों को खाद और बीज का वितरण किया जाएगा.
'टाइम्स ऑफ इंडिया' की एक रिपोर्ट में कहा गया है, के-किसान सॉफ्टेवयर पर किसान के जमीन की डिटेल दर्ज की जाएगी. आगे चलकर इसी डिटेल के आधार पर किसान के खेत के आधार पर खाद और बीज का वितरण किया जाएगा. सॉफ्टवेयर की मदद से ये पता चलेगा कि किसी किसान के पास कितनी जमीन है. अगर वह अपनी जमीन से अधिक खाद और बीज की मांग करेगा तो क्यूआर कोड इसकी जानकारी दे देगा. क्यूआर कोड सिस्टम में हर किसान को एक एफआईडी यानी कि फार्मर्स आइडेंटिटी नंबर दिया जाता है. जब किसान की एफआईडी के-किसान सॉफ्टवेयर में दर्ज की जाएगी तो उसके जमीन की पूरी डिटेल मिल जाएगी. इसी आधार पर किसान को खाद और बीज का वितरण किया जाएगा.
कृषि विभाग के असिस्टेंट डायरेक्टर बीएच वीरभद्रप्पा कहते हैं, क्यूआर कोड लेटेस्ट सिस्टम है और इसे अप्रैल से ही लागू किया गया है. क्यूआर कोड की मदद से नकली बीज और बीज के दुरुपयोग पर रोक लगाई जा सकेगी. क्यूआर कोड सिस्टम लागू होने के बाद बीज बांटने का काम आसान हो गया है क्योंकि किसानों की पूरी डिटेल डिजिटल हो गई है. इससे बीज वितरण का काम आसान और तेज हुआ है.
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वीरभद्रप्पा कहते हैं, क्यूआर कोड सिस्टम की वजह से किसानों और बीजों की डिटेल उंगलियों पर उपलब्ध है. अपग्रेडेट सिस्टम से ये भी पता चल सकेगा कि किस कंपनी का बीज बिका है और उस कंपनी के पास बीज का कितना स्टॉक बचा है. हावेरी का कृषि विभाग हर किसान को 2.5 एकड़ खेत के लिए बीज बांटता है. हालांकि कुछ किसान सब्सिडी के लालच में 2.5 एकड़ से अधिक खेत के लिए बीज ले लेते हैं. अगर कोई किसान ऐसा करता है तो एफआईडी नंबर की मदद से उसके खिलाफ कार्रवाई की जा सकेगी. एफआईडी नंबर की मदद से यह भी पता चल सकेगा कि कोई किसान किसी दूसरे किसान के नाम पर बीज तो नहीं ले रहा है.
क्यूआर कोड से बीज लेने के लिए किसान को अपना एफआईडी नंबर या आधार नंबर देना होगा. क्यूआर कोड से बीज लेने के बाद के-किसान सॉफ्टवेयर पर लाभार्थी किसान और उसके बीज की पूरी डिटेल दर्ज होगी. इससे कृषि विभाग किसान की फसल पर भी नजर रख सकेगा. कृषि विभाग यह भी जानकारी रखेगा कि किस कंपनी का बीज किसान ने इस्तेमाल किया.
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