टिकाऊ खेती विधियों को अपनाने के साथ ही उन्हें बढ़ावा देने के इरादे से 3 संस्थानों ने हाथ मिलाया है. इसका उद्देश्य मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने, सूक्ष्म जीवों के विकास के साथ ही पैदावार में बढ़ोत्तरी करना है. इससे किसानों की लागत घटेगी और उनकी आय में बढ़ोत्तरी का रास्ता भी खुलेगा. बीज कंपनी सिंजेंटा इंडिया ने करनाल स्थित ICAR-CSSRI और हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के साथ करार किया है, ताकि किसानों की मदद की जा सके.
जमीन को उपजाऊ बनाए रखने के साथ ही पर्यावरण अनुकूल खेती करने के साथ ही टिकाऊ कृषि तरीकों को अपनाने में किसानों की मदद करने के लिए बीज और कीटनाशक बनाने वाली कंपनी सिंजेन्टा इंडिया ने आगे कदम बढ़ाया है. कंपनी ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के करनाल स्थित केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान (ICAR-CSSRI) और हिसार स्थित चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (CCS HAU) के साथ हाथ मिलाया है. कंपनी दोनों संस्थानों के साथ मिलकर रिसर्च, नई तकनीक की मदद से फसल पैदावार बढ़ाने में मदद करेगी.
सिंजेन्टा इंडिया की ओर से जारी बयान में कहा गया कि करनाल स्थित ICAR-CSSRI के साथ मिलकर टिकाऊ कृषि विधियों को बढ़ावा देने और खारे पानी और मिट्टी वाले क्षेत्रों में मिट्टी के स्वास्थ्य और लचीलेपन में सुधार करने पर फोकस किया जाएगा. जबकि, हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के साथ मिलकर पैदावार में सुधार के लिए विविध टिकाऊ खेती तरीकों को बढ़ावा देने का काम किया जाएगा.
सिंजेन्टा की ओर से कहा गया कि जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता के नुकसान से लेकर किसानों की मांगों तक बदलती दुनिया की चुनौतियों का प्रभावी ढंग से सामना करने के लिए इनोवशेन किया जा रहा है. हम भारत में कृषि को किसानों की स्थिरता और समृद्धि का मॉडल बनाने के लिए सभी को साथ लेकर चलने में विश्वास करते हैं. हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति बीआर कंबोज ने कहा कि विश्वविद्यालय सिंजेन्टा इंडिया को उपज पैदावार में सुधार और विकसित भारत के लक्ष्य को साकार करने में विविध टिकाऊ कृषि विधियों को बढ़ावा देने में मदद करेगा.
करनाल स्थित ICAR-CSSRI की ओर से कहा गया कि सिंजेन्टा इंडिया के साथ टिकाऊ कृषि विधियों के माध्यम से मिट्टी के खारेपन का प्रबंधन और फसल उत्पादन में सुधार पर संयुक्त अनुसंधान और विकास प्रोजेक्ट चलाए जाएंगे.
सिंजेंटा की ओर से कहा गया कि कृषि अनुसंधान के लिए सटीक, विश्वसनीय और समय पर सूचना के माध्यम से निर्णय लेने में सुधार के लिए आईसीटी ऑपरेटेड मशीन और तकनीक के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए मिलकर काम करेंगे. ग्रामीण युवाओं की क्षमता निर्माण, फसल संरक्षण के लिए रसायनों के सुरक्षित उपयोग और कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके), कृषि डिप्लोमा तकनीकी स्कूलों, किसान समूहों और सिंजेन्टा की आईआरआईएसई (ग्रामीण भारत कौशल संवर्धन) पहल के तहत विश्वविद्यालय के अन्य संस्थानों के जरिए नई तकनीक को अपनाने से जुड़े प्रोजेक्ट को लागू करेगा.
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