मार्च के आगमन के साथ ही रबी फसलों की कटाई शुरू हो गई है. लेकिन कई किसान गेहूं और दलहन की कटाई करने के बाद पराली को खेत में यूं ही छोड़ देते हैं. क्योंकि पराली को भूसे में बदलना काफी महंगा और मेहनतभरा काम होता है. लेकिन अब किसानों को चिंता करने की बात नहीं है. वे पराली को असानी से भूसा में बदल सकते हैं और उसे बेच कर अच्छी कमाई कर सकते हैं. क्योंकि सरकार पराली को भूसा बनाने वाली मशीन 'स्ट्रॉ रीपर' की खरीद पर बंपर सब्सिडी देती है. हालांकि, सब्सिडी का समय निकल गया है.
दरअसल, स्ट्रॉ रीपर की कीमत 4 लाख रुपए के करीब है. ऐसे में सीमांत और कम जोत वाले किसान इसे खरीद नहीं पाते हैं. यही वजह है कि अलग- अलग राज्यों में सरकारें समय-समय पर भूसा बनाने वाली मशीन स्ट्रॉ रीपर पर सब्सिडी देती रहती है. पिछले महीने तक मध्य प्रदेश सरकार स्ट्रॉ रीपर पर 50 प्रतिशत सब्सिडी दे रही थी. यानी आप आधी कीमत में ही स्ट्रॉ रीपर को खरीद सकते हैं. इसके लिए आपको अपने जेब से 2 लाख रुपये तक खर्च करने पड़ेंगे. खास बात यह है कि अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के किसानों को 50 प्रतिशत सब्सिडी मिलती है .जबकि, सामान्य वर्ग के आवेदकों को 40 फीसदी अनुदान दिया जाता है. सब्सिडी से संबंधित जानकारी के लिए किसान कृषि अभियांत्रिकी विभाग के ई-कृषि यंत्र अनुदान पोर्टल E-krishi yantra anudan portal पर विजिट कर सकते हैं.
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इस साल मध्य प्रदेश कृषि अभियांत्रिकी विभाग ने राज्य के किसानों को स्ट्रॉ रीपर पर सब्सिडी देने का ऐलान किया था. 25 जनवरी से आवेदन चालू हुए थे. कृषि अभियांत्रिकी विभाग ने किसानों को 1 फरवरी तक अपना एप्लीकेशन फॉर्म सभी आवश्यक दस्तावेजों के साथ जमा करने को कहा था. इस बार कई किसानों ने सब्सिडी पर इस मशीन की खरीद की है. इसके अलावा पंजाब, हरियाणा, बिहार और उत्तर प्रदेश में भी भूसा बनाने वाली मशीन पर सरकार सब्सिडी देती है.
स्ट्रॉ रीपर 3 इन 1 कृषि यंत्र है. इसका उपयोगफसल की कटाई, थ्रेशिंग और पराली को भूसा बनाने में किया जाता है. इस यंत्र को ट्रैक्टर से जोड़कर चलाया जाता है. यानी जिन किसानों के पास ट्रैक्टर है, वही इस यंत्र के लिए अप्लाई कर सकते हैं. खास बात यह है कि स्ट्रॉ रीपर की खरीद पर सब्सिडी का लाभ उठाने के लिए किसानों को 10 हजार रुपये सिक्योरिटी मनी डीडी के रूप में जमा करना होता है. तकनीक विशेषज्ञों के मुताबिक, स्ट्रॉ रीपर में विशेष तरह के ब्लेड लगे होते हैं. इन ब्लेडों के जरिए मशीन पराली को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर भूसा में बदल देता है, जिसे पशुओं के चारे के रूप में इस्तेमाल किया जाता है.
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