हरियाणा में टारगेट से आगे निकली DSR तकनीक से धान की बुवाई, 4000 रुपये बोनस दे रही सरकार

हरियाणा में टारगेट से आगे निकली DSR तकनीक से धान की बुवाई, 4000 रुपये बोनस दे रही सरकार

देश के लगभग सभी राज्यों में धान की रोपाई पूरी हो चुकी है. वहीं, कई राज्य ऐसे हैं जहां के किसान DSR तकनीक से धान की खेती करते हैं. ऐसा ही एक राज्य है हरियाणा जहां DSR तकनीक से धान की रोपाई के टारगेट को पार कर लिया गया है.

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हरियाणा में टारगेट से आगे निकली DSR तकनीक से धान की बुवाई, 4000 रुपये बोनस दे रही सरकारDSR तकनीक से धान की रोपाई

देश के लगभग सभी राज्यों में मॉनसून की बारिश जोरों पर है. इसके साथ ही खरीफ की मुख्य फसल धान की खेती की भी शुरुआत हो चुकी है. इसी बीच हरियाणा ने चालू सीजन में सीधी बुवाई वाले चावल (DSR) की खेती के लिए अपने लक्ष्य को पार कर लिया है, जिसमें 50,540 किसानों ने 3,44,522.73 एकड़ भूमि पर रजिस्ट्रेशन कराया है. कृषि विभाग ने 3,02,000 एकड़ का लक्ष्य रखा है, जो पिछले साल के 2,25,000 एकड़ के लक्ष्य से अधिक है.

4000 रुपये बोनस दे रही सरकार

डीएसआर तकनीक से धान की रोपाई का उद्देश्य पानी बचाना है, जिसे राज्य के 12 प्रमुख धान उत्पादक जिलों में लागू किया गया है. इस तकनीक को बढ़ावा देने के लिए सरकार प्रति एकड़ 4,000 रुपये का बोनस दे रही है. कृषि विभाग ने ये जांचने के लिए वेरिफिकेशन प्रक्रिया शुरू की है कि धान की खेती डीएसआर तकनीक के तहत की गई है या पारंपरिक रोपाई पद्धति के तहत.

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अधिकारी कर रहें हैं खेतों का दौरा

वहीं, पिछले साल की सफलता के बाद विभाग ने इस सीजन में डीएसआर का लक्ष्य बढ़ा दिया है. इसको लेकर करनाल के कृषि उप निदेशक (डीडीए) डॉ. वजीर सिंह ने कहा कि हमने लक्ष्य हासिल कर लिया है और अब हमारी टीम के सदस्य किसानों के दावों की जांच करने के लिए खेतों का दौरा कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि डीएसआर तकनीक में धान की रोपाई के लिए पानी भरे खेतों की जरूरत नहीं होती है, बल्कि धान की फसल को अन्य अनाजों की तरह सूखे खेत में बोया जाता है, जिसे बुवाई से पहले सिंचाई के बाद तैयार किया जाता है. इसके अलावा उन्होंने जोर देकर कहा कि डीएसआर से करीब 30 फीसदी पानी की बचत होती है.

इन जिलों में हुई इतने एकड़ खेती

डॉ. सिंह ने कहा कि इस तकनीक से न केवल पानी की बचत होती है, बल्कि यह पारंपरिक तरीकों से अधिक लाभदायक भी है. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, अंबाला में 2,652 किसानों ने 12,000 एकड़ के लक्ष्य के मुकाबले 13,474.10 एकड़, फतेहाबाद में 6,592 किसानों ने 25,000 एकड़ के लक्ष्य के मुकाबले 47,529.23 एकड़ जमीन का रजिस्ट्रेशन कराया है. हिसार में 2,369 किसानों ने 25,000 एकड़ के लक्ष्य के मुकाबले 13,246 एकड़ जमीन पर डीएसआर की खेती रजिस्टर्ड कराई है.

उधर जींद जिले में 2,945 किसानों ने 20,000 एकड़ के लक्ष्य के मुकाबले 19,084 एकड़ जमीन पर डीएसआर की खेती रजिस्टर्ड कराई गई है. कैथल जिले में 18,000 एकड़ का लक्ष्य रखा गया था, जिसमें से 2,115 किसानों ने 13,123.97 एकड़ का रजिस्ट्रेशन कराया है. वहीं, करनाल में 30,000 एकड़ के लक्ष्य के मुकाबले 4,253 किसानों ने 29,935 एकड़ का रजिस्ट्रेशन कराया है.

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