मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन सिंह यादव ने ऐलान किया कि प्रदेश में जो किसान जैविक और प्राकृतिक खेती कर रहे हैं, उन्हें सरकार की तरफ से सोलर पंप दिए जाएंगे. इससे किसानों का खर्च बचेगा और बिजली की खपत भी कम होगी. मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के आदिवासी बेल्ट में इस अभियान को तेजी से बढ़ावा दिया जाएगा. उन क्षेत्रों में जहां बिजली के तार या अन्य तरह के इंफ्रास्ट्रक्चर लगाने में मुश्किलें आती हैं, वहां किसानों को सरकार की तरफ से सोलर पंप दिए जाएंगे.
शुक्रवार को एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा, जैविक और प्राक़तिक खेती करने वाले को सोलर पंप देंगे ताकि वह खुद के बल-बूते पर चलकर स्वयं के बिजली बिल से मुक्ति पाए. खासकर ट्राइबल बेल्ट में यह बड़ी दिक्कत है, लाइनें बिछाना और बाकी सारी चीजें करना. हमारा प्रयास है जैविक और प्राकृतिक खेती को अपने पैरों पर खड़ा करना. उन किसानों के लिए जो भी बन सकता है, उसे जरूर करेंगे.
जैविक खेती के बारे में उन्होंने कहा कि हमें अनावश्यक रसायनों के उपयोग से बचना है क्योंकि यह हमारी सभी व्यवस्थाओं को बिगाड़ रहा है. मध्य प्रदेश में 11.48 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में जैविक खेती हो रही है. जैविक खेती हमारे स्वास्थ्य के साथ-साथ पूरे पृथ्वी के लिए अच्छी है. मध्य प्रदेश में डिंडोरी, मंडला, बालाघाट, छिंदवाड़ा, बैतूल, कटनी, उमरिया, अनूपपुर जैसे जिले जैविक खेती के मूल आधार है. यहां के 33 जिलों में एक लाख एकड़ में जैविक खेती हो रही है. आने वाले समय में यह प्रयास रहे कि यह 5 लाख एकड़ में होनी चाहिए.
मध्य प्रदेश सरकार किसानों को पहले भी सोलर पंपों पर सब्सिडी देती है जिसके लिए कुछ शर्तें होती हैं. किसान अगर उन शर्तों का पालन करता है या योजना का पात्र होता है तो उसे सोलर पंप की सब्सिडी दी जाती है. सोलर पंप का आवेदन केवल खेती के लिए सिंचाई के लिए होता है. इस योजना में वे सभी किसान पात्र होंगे जिनके पास पहले से खेती के लिए बिजली का कोई कनेक्शन नहीं है. एक बार सोलर पंप लगने के बाद उसके रखरखाव और सुरक्षा की जिम्मेदारी किसान की होगी. किसान उस सोलर पंप को बेच नहीं सकता या किसी और को नहीं दे सकता.
अन्य जरूरी शर्तों की बात करें तो सोलर पंप लगवाने के लिए किसानों के पास जमीन होनी चाहिए. साथ ही किसान के पास सिंचाई का स्थाई स्रोत होना चाहिए. अगर सोलर पंप लगाने के बाद उसमें किसी तरह की टूट-फूट होती है या पंप की चोरी होती है तो उसकी जिम्मेदारी किसान की होगी. हालांकि तकनीकी खराबी होने पर सरकार उसकी भरपाई करेगी.
सोलर पंप के लिए किसान के पास ऐसी जगह होनी चाहिए जहां सोलर प्लेट लगाई जा सके और वह जगह छायादार नहीं होनी चाहिए. अगर सोलर पंप लगाने के बाद किसान का मोबाइल नंबर बदलता है तो इसकी जानकारी उसे मध्य प्रदेश ऊर्जा विकास निगम के जिला कार्यालय में देना होगा. एक बार सोलर पंप लग जाने के बाद उसे दूसरी जगह पर शिफ्ट नहीं किया जा सकेगा.
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