Smart Tech in Agri: भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गन्ना उत्पादक देश है, और अब गन्ने के खेतों में एक नई डिजिटल क्रांति देखने को मिल रही है. परंपरागत खेती के तरीकों की जगह अब स्मार्ट टेक्नोलॉजी ले रही है, जिससे किसान अधिक उपज पा रहे हैं, संसाधनों का बेहतर उपयोग कर रहे हैं और अपनी आमदनी बढ़ा रहे हैं. AI, IoT, ड्रोन, रिमोट सेंसिंग और प्रिसिजन फार्मिंग जैसी तकनीकों के जरिए गन्ना खेती अब अधिक सटीक, टिकाऊ और मुनाफेदार बन रही है.
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित सिस्टम किसानों को खेत से जुड़े रीयल टाइम डेटा के आधार पर सही फैसले लेने में मदद कर रहे हैं. इससे 40% तक उपज बढ़ने की संभावना है. खेतों में लगाए गए स्मार्ट सेंसर मिट्टी की नमी, तापमान, पोषक तत्वों की स्थिति (जैसे NPK और pH) को मापते हैं, जिससे सटीक खाद और सिंचाई की जा सकती है.
ड्रोन से खेत की तस्वीरें लेकर फसल की स्थिति, बीमारियों के लक्षण, और खरपतवार की पहचान की जाती है. ड्रोन स्प्रेइंग से 90% तक पानी की बचत होती है.
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जैसे कि Agripilot.ai ऐप, किसानों को रोजाना सुझाव देता है – कब सिंचाई करनी है, कौन-सी दवा कब डालनी है आदि. AI आधारित स्मार्ट सिंचाई सिस्टम पानी की सही समय और स्थान पर आपूर्ति सुनिश्चित करते हैं, जिससे 30–40% तक पानी की बचत होती है.
GIS और VRT तकनीकों से खाद और दवाइयां उसी जगह और मात्रा में डाली जाती हैं जहाँ ज़रूरत हो, जिससे 25% तक लागत में कमी आती है और पर्यावरण पर भी असर कम होता है.
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AI की मदद से कीट और बीमारियों की पहचान पहले ही हो जाती है. ड्रोन से दवा या जैविक नियंत्रण एजेंट भी छोड़े जा सकते हैं. इससे नुकसान कम होता है और उत्पादन बेहतर होता है.
AI आधारित खेती से महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में किसानों को 150 टन प्रति हेक्टेयर तक की उपज मिली है, जो राष्ट्रीय औसत से लगभग दोगुनी है. गन्ने की लंबाई, वजन और शर्करा (सुक्रोज) की मात्रा 30–40% तक बढ़ी है.
ई-गन्ना ऐप और ERP पोर्टल के जरिए किसानों को गन्ना पर्ची, भुगतान और सर्वे जानकारी सीधे मोबाइल पर मिल रही है. इससे पारदर्शिता और समय की बचत होती है. ब्लॉकचेन तकनीक से गन्ने की सप्लाई चेन में पारदर्शिता और ट्रेसबिलिटी बढ़ाई जा रही है.
स्मार्ट मशीनें और रोबोट अब बीज की बुवाई, कटाई और खाद डालने जैसे काम सटीक और तेज़ी से कर रहे हैं. इससे श्रमिकों की कमी की समस्या भी हल हो रही है.
हालांकि ये तकनीकें बहुत फायदेमंद हैं, लेकिन अभी ड्रोन और सेंसर जैसे उपकरणों की कीमतें ज्यादा हैं. साथ ही डिजिटल साक्षरता की कमी, इंटरनेट कनेक्टिविटी, और भूमि का बिखराव भी अपनाने में रुकावट बनते हैं.
सरकार की योजनाएं जैसे डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY), और राष्ट्र्रीय कृषि विकास योजना (RKVY) किसानों को स्मार्ट खेती की ओर प्रेरित कर रही हैं. भारत का गन्ना क्षेत्र अब एक डिजिटल युग में प्रवेश कर रहा है- जहां हर एकड़, हर बूँद और हर बाइट का हो रहा है स्मार्ट इस्तेमाल.
(लेखक: डॉ. फ़ौज़िया तरन्नुम, सलाहकार, एसपीई डिवीजन (जीएसएमए), ज़ुआरी इंडस्ट्रीज लिमिटेड)
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