गोबर गैस गाय के गोबर से उत्पन्न बायोगैस है. इस शब्द का उपयोग पहली बार भारत में किया गया था, जहां बायोगैस पारंपरिक रूप से डेयरी फार्मों से गाय के गोबर से बनाई जाती है. गोबर गैस पाचन क्रिया से उत्पन्न होती है. गोबर गैस प्राकृतिक गैस और अन्य जीवाश्म ईंधन का एक पर्यावरण-अनुकूल विकल्प है. इससे ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने में मदद मिल सकती है. जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में ऑफ-ग्रिड घरों के लिए स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों तक पहुंच भी बढ़ सकती है. इसकी लोकप्रियता न केवल विकासशील देशों में बढ़ रही है. हीटिंग और खाना पकाने के लिए सस्ती ऊर्जा प्रदान करता है, लेकिन यह दुनिया भर में भी बढ़ रहा है.
क्योंकि अधिक सरकारें जीवाश्म ईंधन के विकल्प तलाश रही हैं. इतना ही नहीं गोबर गैस का इस्तेमाल आज के समय में मोटर साइकिल या कार चलाने में भी किया जाता है. इतना ही नहीं गोबर गैस की मदद से पानी में जहाज को भी चलाया गया है.
CNG से चलने वाली गाड़ियों को गोबर गैस से भी चलाया जा सकता है. इसके लिए गोबर गैस में मौजूद कार्बन डाई ऑक्साइड, सल्फर डाई ऑक्साइड को निकाल कर लगभग 95 प्रतिशत मिथेन को सिलेण्डर में भरा जाता है. इन सिलेण्डर को वाहन में CNG सिलेण्डर की जगह उपयोग में लेकर वाहन चलाए जा रहे हैं.
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यह प्रक्रिया दो चरणों में पूरी होती है, इन चरणों को अम्ल यानी एसिड निर्माण चरण और मीथेन निर्माण चरण के रूप में जाना जाता है. पहले स्तर में, कचरे में मौजूद कार्बनिक यौगिकों को गोबर में मौजूद एसिड उत्पादक बैक्टीरिया के समूह द्वारा एक्टिव किया जाता है. चूँकि कार्बनिक एसिड इस स्तर के मुख्य उत्पाद हैं, इसलिए इसे एसिड निर्माण स्तर कहा जाता है. दूसरे चरण में, मीथेनोजेनिक बैक्टीरिया मीथेन गैस का उत्पादन करने के लिए कार्बनिक एसिड पर सक्रिय होते हैं.
ऑटोमोबाइल विशेषज्ञों के मुताबिक, फिलहाल मारुति सुजुकी के 14 सीएनजी मॉडल बाजार में उपलब्ध हैं. इसमें ऑल्टो, सेलेरियो, वैगनआर, स्विफ्ट, स्विफ्ट डिजायर, बलेनो, अर्टिगा, ग्रैंड विटारा और अन्य कारें शामिल हैं. भारतीय सीएनजी कार बाजार में मारुति सुजुकी की हिस्सेदारी करीब 70 फीसदी है. मारुति ने 2010 में तीन मॉडलों, ऑल्टो, ईको और वैगनआर के साथ बाजार में सीएनजी कारों की बिक्री शुरू की. लोगों ने बायोगैस पर कार चलाने के लिए पहले ही कुछ प्रयास किए हैं. हालाँकि, ये प्रयास बहुत छोटे स्तर पर रहे हैं. परिणामस्वरूप, वे उतने सफल नहीं हो पाये हैं. कंपनी ने इस योजना को सफल बनाने के लिए बड़े बदलाव किए हैं. निश्चित ही यह प्रयोग सफल होगा.
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