ICRISAT ने बिना केमिकल मिट्टी की जांच के लिए बनाया डिवाइस, संस्‍थान का AI-ML और LLM तकनीक पर जोर

ICRISAT ने बिना केमिकल मिट्टी की जांच के लिए बनाया डिवाइस, संस्‍थान का AI-ML और LLM तकनीक पर जोर

इंटरनेशनल क्रॉप्‍स रिसर्च इंस्‍टीट्यूट फॉर सेमी-एरिड ट्रॉपिक्‍स (ICRISAT) भी आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI), मशीन लर्निंग (ML) और लार्ज लैंग्‍वेज मॉडल (LLM) के इस्‍तेमाल से कृषि क्षेत्र में ‘क्रांति‍’ लाने की तैयारी कर रहा है. संस्‍थान ने बिना केमिकल के मिट्टी की जांच के लिए एक डिवाइस भी बनाई है.

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ICRISAT ने बिना केमिकल मिट्टी की जांच के लिए बनाया डिवाइस, संस्‍थान का AI-ML और LLM तकनीक पर जोरICRISAT खेती में AI/ML/LLM तकनीक के इस्‍तेमाल पर दे रहा जोर. (सांकेत‍ि‍क तस्‍वीर)

दुनियाभर में खेती-किसानी में नई तकनीक अपनाने के लिए कवायद की जा रही है. अब लैटेस्‍ट टेक्‍नोलॉजी आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI), मशीन लर्निंग (ML) और लार्ज लैंग्‍वेज मॉडल (LLM) का हर क्षेत्र में बोलबाला है. खेती-किसानी में भी इसकी उपयोगित पर जोर दिया जा रहा है. इसमें सफलता मिलने से कृषि कार्यों में आसानी होगी और इनपुट घटाने और आउअपुट बढ़ाने में मदद मिलेगी. इसी क्रम में अब इंटरनेशनल क्रॉप्‍स रिसर्च इंस्‍टीट्यूट फॉर सेमी-एरिड ट्रॉपिक्‍स (ICRISAT) भी आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI), मशीन लर्निंग (ML) और लार्ज लैंग्‍वेज मॉडल (LLM) के इस्‍तेमाल से कृषि क्षेत्र में ‘क्रांति‍’ लाने की तैयारी कर रहा है. संस्‍थान ने बिना केमिकल के मिट्टी की जांच के लिए एक डिवाइस भी बनाई है.

कृषि क्षेत्र में 54 साल से काम कर रहा ICRISAT

बता दें कि ICRISAT की स्‍थापना को 54 साल हो चुके हैं. यह संस्‍थान दालों और मोटे अनाजों की 1200 किस्‍में बनाकर जारी कर चुका है. अब यह उत्पादन की क्‍वालिटी में सुधार के उक्‍त तकनीक के इस्‍तेमाल पर जोर दे रहा है. ICRISAT ने इसकी शुरुआत करते हुए एक  AI-आधारित प्लांट हेल्थ डिटेक्टर लॉन्च किया है.

यह डिवाइस किसानों और अन्य पारिस्थितिकी तंत्र के प्‍लेयर्स को पौधे के स्वास्थ्य का जल्दी से आकलन करने और जरूरत पड़ने पर पौधे-फसल के उपचार बताने में मदद करता है. साथ ही ICRISAT ने एक डिजिटल साइल लाइब्रेरी भी बनाई है. यह लाइब्रेरी मिट्टी की सेहत के बारे में जल्दी से जल्दी आकलन करने में मदद करती है.

ICRISAT के महानिदेशक ने कही ये बात

'बिजनेसलाइन' की रिपोर्ट के मुताबिक, ICRISAT के महानिदेशक हिमांशु पाठक ने कहा कि यह एक बहुत ही उभरता हुआ क्षेत्र है. यहां तक कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) भी इस तकनीक पर काम कर रहा है. ये तकनीकें वास्तव में मददगार साबित होंगी. ICRISAT ने LLM की ताकत का इस्‍तेमाल करते हुए अपने नॉलेज बैंक का इस्‍तेमाल करने का प्‍लान बनाया है. 

रिपोर्ट के मुताबिक, ICRISAT के उप महानिदेशक (अनुसंधान और नवाचार) स्टैनफोर्ड ब्लेड ने कहा कि हम अनिवार्य फसलों के 1,30,000 से अधिक एक्‍सेशन पर मशीन लर्निंग और री-इन्‍फोर्समेंट लार्निंग का इस्‍तेमाल करके नए लक्षणों की तलाश शुरू कर सकते हैं, जो पहले कभी संभव नहीं थे. हमारे पास टेराबाइट्स डेटा है और हमारा लक्ष्य यूनीक लक्षणों को खोजना और उन्हें उन किस्मों में विकसित करना है, जिनकी हमें तलाश है. 

तेलंगाना सरकार के साथ मिलकर कर रहे काम

स्टैनफोर्ड ब्‍लेड ने आगे कहा कि हम फसल बीमा और इसे और अधिक कुशल बनाने को लेकर तेलंगाना सरकार के साथ काम कर रहे हैं और बहुत ही खास क्षेत्रों की खोज की कोशिश में हैं, जहां उपकरण तेलंगाना और उन सभी भौगोलिक क्षेत्रों में किसानों के लिए फायदेमंद होंगे, जहां हम काम करते हैं. 

हिमांशु पाठक ने कहा कि ICRISAT ने 15,000 से ज्‍यादा सैंपल्स का डेटा एकत्र कर एक खास डिजिटल सॉइल लाइब्रेरी बनाई है. कुछ हाइपरस्पेक्ट्रल डिवाइस का इस्‍तेमाल करके अनूठी तकनीक, बिना किसी रसायन के नमूनों का परीक्षण करने में मदद करती है, जबकि सॉइल टेस्टिंग की वर्तमान मेथड में केम‍िकल का इस्‍तेमाल होता है. 

पाठक ने कहा कि हम कुछ ही समय में मिट्टी का परीक्षण करने और उसके स्वास्थ्य को जानने में सक्षम होंगे. हम अपने राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रणाली (NARS) भागीदारों के साथ मिलकर इसे कैलिब्रेट और मान्य करने जा रहे हैं. एक बार जब यह मान्य हो जाता है तो यह पूरे मिट्टी स्वास्थ्य मूल्यांकन में क्रांति लाएगा.

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