"आम" खास है, इसी वजह से ये फलों का राजा है. आम भारत का सबसे लोकप्रिय फल है. वहीं पूरे भारत में आम की खेती करीब 11 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में की जाती है. किसान इसकी खेती व्यावसायिक तौर पर करते हैं. भारत में दशहरी, लंगड़ा, चौसा,आम्रपाली, रत्नागिरी, अल्फांसो और केसर आदि आम अपनी खुशबू और स्वाद के लिए जाना जाता है. वहीं आम की सघन बागवानी में किसान नई-नई तकनीक अपनाकर उत्पादन को बढ़ा सकते हैं.
ऐसी ही एक तकनीक है थैलाबंद जिसे अपनाकर किसान बेहतर उत्पादन और चमकदार फल ले सकते हैं. साथ ही इस तकनीक को अपनाकर किसान अपनी आमदनी भी बढ़ा सकते हैं. आइए जानते हैं क्या है ये तकनीक कैसे करें इसका इस्तेमाल.
थैलाबंद तकनीक अपनाने से फलों की तुड़ाई के समय फल चिकना, हल्का और सुनहरा पीला रंग का होता है. साथ ही फलों में कीट और रोग से मुक्ति मिलती है. फलों की गुणवत्ता बेहतर होती है. वहीं सघन बागवानी में पौधों के छोटे होने के कारण थैलाबंद तकनीक का इस्तेमाल आसानी से हो जाता है.
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आम के फलों में थैलाबंद तब करना चाहिए जब फलों का आकार आंवले के बराबर हो जाए. वहीं फल को बंद करते समय उसमें कई पोषक तत्व जैसे, जिंक सल्फेट और कॉपर सल्फेट का छिड़काव करने के बाद थैले में बंद करना चाहिए.
थैलाबंद फलों की तुड़ाई करते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि फल परिपक्व हो गया हो. साथ ही फलों का रंग सुनहरा पीला हो. दरअसल सघन बागवानी में पौधों की ऊंचाई कम होने से हाथ से तुड़ाई आसानी से हो जाती है. वहीं फल तोड़ते समय यह सावधानी रखनी चाहिए कि एक-एक फल को ध्यान से तोड़ा जाए. फल को तोड़ने के बाद अच्छी तरह से छायादार जगह पर रखना चाहिए. इसके अवाला ये भी ध्यान देना चाहिए कि आम की तुड़ाई करीब एक सेंटीमीटर लंबे डंठल के साथ हो.
थैलाबंद किया गया फल आकार में सामान्य, सुनहरा पीला और धब्बा रहित होता है. साथ ही फसलों की क्वालिटी काफी अच्छी होती है. वहीं सामान्य तापमान पर थैलाबंद वाले फलों की भंडारण क्षमता अच्छी होती है. इसे किसान तोड़ने के बाद कई दिनों तक रख सकते हैं.
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