![खेती में एआई के प्रयोग पर हो रहा विचार खेती में एआई के प्रयोग पर हो रहा विचार](https://akm-img-a-in.tosshub.com/lingo/ktak/images/story/202402/65c7a90869078-agri-tech-ai-104911443-16x9.jpg?size=948:533)
भारत एक कृषि प्रधान देश है और देश के लिए कृषि महत्वपूर्ण है. देश की आधी आबादी आजीविका के लिए कृषि पर ही निर्भर है. देश के पास दुनिया की दूसरा सबसे बड़ा कृषि योग्य भूमि क्षेत्र है. चावल, गेहूं, कपास, चीनी और डेयरी जैसे उत्पादों के प्रमुख उत्पादक के रूप में, भारत की कृषि प्रणाली न केवल उसके लिए, बल्कि बाकी दुनिया के लिए भी जरूरी है. इस समय जबकि दुनिया आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) की तरफ देख रही, विशेषज्ञों की मानें तो अब यही तकनीक कृषि क्षेत्र को भी बदल सकती है.
विशेषज्ञों के मुताबिक भारत की कृषि प्रणाली गंभीर चुनौतियों का सामना कर रही है. भारत के 1.4 अरब लोगों का पेट भरने के लिए और ज्यादा कुशल फसल का होना अति आवश्यक है. बदलते समय में बाकी चीजों के साथ-साथ खेती में भी काफी बदलाव हुए हैं. इजरायल दुनिया का वह देश था जिसने बताया कि एआई को कैसे कृषि के लिए प्रयोग किया जा सकता है. इजरायल की तरह ही भारत में भी एआई को किसानों की जरूरत के लिहाज से समझने की कोशिशें की जा रही हैं.
एआई किसानों के समय की बचत करने में कारगर साबित हो सकता है. किसान कम टाइम में ज्यादा कमाई कर सकते हैं. इसकी मदद से वो मौसम का अनुमान समय से पहले लगा सकते हैं. उन्हें पता लग सकता है कि पेड़ पौधों को कब खाद-पानी की जरूरत है. मशीन लर्निंग एआई का वह हिस्सा है जिससे अच्छा लाभ मिल सकता है. इसकी मदद से फसल उत्पादन, कीटनाशक, रोग प्रबंधन और कृषि से जुड़ी दूसरी बातों पर भी ध्यान दिया जा सकता है. साथ ही डाटा एनालिसिस की मदद से मिट्टी से लेकर मौसम तक की तमाम जानकारी मिल सकती है
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मशीनों में कई प्रकार के सेंसर व उपकरणों की मदद ली जा सकती है. इसकी मदद से खेती में सिंचाई, खाद व कीटनाशक का इस्तेमाल ऑटोमेटिक रूप से हो सकता है. एआई के जरिए ज्यादातर मशीनें ऑटोमेटिक हो जाएंगी तो आप खेत में समय और लेबर दोनों बचा सकते हैं, जिससे प्रोडक्शन भी बढ़ेगा और मुनाफा भी.
इजरायल खेती के काम में एआई से लैस ड्रोन का प्रयोग करता है. कृषि में ड्रोन का प्रयोग करने का सबसे बड़ा फायदा अलग-अलग एंग्ल से फसलों की हाई-रेजाल्यूशन फोटोग्राफ्स को कैप्चर करने की उनकी क्षमता है. एआई एल्गोरिदम का प्रयोग करके इन फोटोग्राफ्स का एनालिसिस कर किसान वनस्पति पैटर्न में सूक्ष्म परिवर्तनों का पता लगा सकते हैं. वो रोगग्रस्त पौधों की पहचान कर सकते हैं और यहां तक कि विभिन्न सिंचाई तकनीकों की प्रभावशीलता का आकलन भी कर सकते हैं. परिशुद्धता और उसका स्तर किसानों को कई गुना फायदा पहुंचा सकता है. इस वजह से फसल की पैदावार में भी वृद्धि होगी.
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