अब किसान नहीं रहेंगे अनजान, मोबाइल पर मिलेगी मिट्टी की सेहत की पूरी जानकारी

अब किसान नहीं रहेंगे अनजान, मोबाइल पर मिलेगी मिट्टी की सेहत की पूरी जानकारी

बिहार के गांव-गांव में पहुंची मोबाइल मृदा जांच प्रयोगशालाएं, किसानों को मिल रहा डिजिटल मृदा कार्ड. नीतीश सरकार की इस पहल से उपज बढ़ी, लागत घटी और खेती हो रही वैज्ञानिक.

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अब किसान नहीं रहेंगे अनजान, मोबाइल पर मिलेगी मिट्टी की सेहत की पूरी जानकारीसॉइल हेल्थ कार्ड से किसानों को फायदा

किसी राज्य की कृषि तभी समृद्ध हो सकती है, जब वहां की मिट्टी की उर्वराशक्ति बनी रहे. इसके लिए समय-समय पर मिट्टी की जांच करवाना अनिवार्य होता है. बिहार सरकार मृदा स्वास्थ्य योजना के तहत निःशुल्क मिट्टी जांच करवा रही है. किसान अपने खेतों की मिट्टी की जांच करवा कर खेती को और अधिक वैज्ञानिक और लाभकारी बना रहे हैं. मिट्टी की सेहत को समझकर किसान अब न सिर्फ उपज बढ़ा रहे हैं, बल्कि लागत घटाकर आमदनी भी बढ़ा रहे हैं. आज राज्य के किसान मोबाइल प्रयोगशाला की बदौलत अपने मोबाइल पर ही मिट्टी की सेहत से जुड़ी पूरी जानकारी प्राप्त कर पा रहे हैं. वित्तीय वर्ष 2024-25 में राज्यभर से 5 लाख मिट्टी नमूनों की जांच की गई.

मोबाइल मिट्टी जांच प्रयोगशाला से काम आसान

बिहार सरकार ने मिट्टी जांच की सुविधा को हर गांव, हर किसान तक पहुंचाने के लिए ज़मीनी स्तर पर मजबूत ढांचा तैयार किया है. आज राज्य के सभी 38 जिलों में जिला स्तरीय मिट्टी जांच प्रयोगशालाएं कार्यरत हैं. इसके साथ ही प्रत्येक प्रमंडल में 9 चलंत (मोबाइल) मिट्टी जांच प्रयोगशालाएं सक्रिय हैं, जो खेतों तक जाकर नमूने लेती हैं, जिससे किसानों को मिट्टी जांच करवाने में किसी तरह की दिक्कत नहीं आती है और वे समय पर मिट्टी की जांच करवा पाते हैं. ग्राम स्तर पर 72 प्रयोगशालाएं, 14 अनुमंडल स्तरीय नई प्रयोगशालाएं, कृषि विज्ञान केंद्रों और विश्वविद्यालयों की प्रयोगशालाएं भी किसानों को यह सुविधा दे रही हैं.

12 मानकों पर होती है वैज्ञानिक जांच

राज्य सरकार की प्रयोगशालाओं में मिट्टी की जांच 12 वैज्ञानिक मानकों जैसे pH, नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटैशियम, सूक्ष्म पोषक तत्व आदि पर की जाती है. यह संपूर्ण प्रक्रिया डिजिटल और पारदर्शी है. कृषि कर्मी खेत पर जाकर GPS आधारित लोकेशन, फोटो और किसान का पूरा विवरण ऐप पर अपलोड करते हैं, जिससे सटीकता बनी रहती है. अब किसानों को अपनी मिट्टी की रिपोर्ट के लिए प्रयोगशाला के चक्कर नहीं लगाने पड़ते हैं. बिहार सरकार ने मृदा स्वास्थ्य कार्ड को डिजिटल रूप में किसानों के मोबाइल पर उपलब्ध कराना शुरू कर दिया है, जिससे समय की बचत हो रही है और किसान त्वरित निर्णय ले पा रहे हैं.

डिजिटल दुनिया के साथ आगे बढ़ रही खेती

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का स्पष्ट विजन है कि खेती सिर्फ परंपरा नहीं, अब उसे टेक्नोलॉजी और वैज्ञानिक सोच के साथ आगे बढ़ना चाहिए. मिट्टी जांच जैसी योजनाएं यह दर्शाती हैं कि बिहार में खेती अब अनुसंधान और आधुनिकता से जुड़ चुकी है. किसानों की आमदनी बढ़ाने और खेती को टिकाऊ बनाने की यह पहल पूरे देश के लिए एक उदाहरण बन रही है.

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